Jallianwala Bagh Real Story
Jallianwala Bagh Real Story

Jallianwala Bagh Real Story: जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी पर अक्षय कुमार स्टारर ‘केसरी चैप्टर 2’ रिलीज हो रही है। यह सिनेमा एक ऐसी कहानी को सामने ला रहा है जो अब तक इतिहास के पन्नों में लगभग छिपी रह गई थी।कहानी है सर चेटूर शंकरण नायर की। यह वही वकील थे जिन्होंने एक बदनामी के मुकदमे में ब्रिटिश साम्राज्य को सीधे अदालत में घसीट लिया। करण सिंह त्यागी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में हैं और यह एक ऐसे नायक की कहानी कहती है, जिसे इतिहास लगभग भूल चुका है।

13 अप्रैल 1919 को, जलियांवाला बाग के खून से सने मैदान में निहत्थे भारतीयों पर गोलियों की बारिश हुई। यह दिन भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय बन गया। ‘केसरी चैप्टर 2’ इस त्रासदी और उसके बाद उठे तूफान को एक नई रोशनी में दिखाने वाली है। लेकिन ये सिर्फ एक और देशभक्ति पर आधारित फिल्म नहीं है, यह उस वकील की कहानी है जिसने ब्रिटिशों को उनके ही कानून में घेरने की हिम्मत की।

अगर आपने उनका नाम कभी नहीं सुना, तो आप अकेले नहीं हैं। लेकिन एक बार जब आप उनकी कहानी जानेंगे, तो यही सोचेंगे-“इतना बड़ा काम करने वाला शख्स इतिहास से कैसे गायब हो गया?” नायर तब भारत सरकार की वायसराय कार्यकारी परिषद के एकमात्र भारतीय सदस्य थे। जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद उन्होंने विरोध में इस्तीफा दे दिया, जो उस समय बेहद साहसी कदम था। उनके इस्तीफे से पंजाब में मार्शल लॉ हटाया गया और ब्रिटिश सरकार को पहली बार अपनी ही क्रूरता की जांच करनी पड़ी। नायर की मृत्यु 1934 में हुई। ना उनके नाम की चर्चा होती है, ना उनकी तस्वीर संसद भवन में टंगी है, फिर भी जब बाकी चुप थे, उन्होंने आवाज उठाई और उसी आवाज़ ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी।

1922 में, नायर ने Gandhi and Anarchy नाम की किताब लिखी, जिसमें उन्होंने माइकल ओ’ड्वायर (पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर) को नरसंहार का जिम्मेदार ठहराया। ओ’ड्वायर ने इस पर नायर के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया। यह मुकदमा लंदन के किंग्स बेंच कोर्ट में चला, करीब 5 हफ्तों तक। न्यायाधीश और जूरी पक्षपाती थे सो नायर केस हार गए और उन्हें 500 पाउंड जुर्माना भरना पड़ा। ओ’ड्वायर ने माफ करने का प्रस्ताव दिया, बशर्ते नायर माफी मांगें… लेकिन नायर ने इंकार कर दिया।​​​​​​​ चेतूर नायर ने केस हार कर भी नैतिक जीत हासिल की। उन्होंने दुनिया के सामने ब्रिटिश सरकार की क्रूरता उजागर कर दी और भारत की आज़ादी की मांग को और बल दिया।

1857 में केरल के पलक्कड़ जिले में जन्मे नायर सिर्फ वकील नहीं थे, वे समाज सुधारक, निर्भीक और तर्कशील नेता थे। वे 1897 में कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष बने। धार्मिक विवाहों और जाति व्यवस्था के खिलाफ खुलकर बोले। उन्होंने 1914 के एक केस में फैसला सुनाया कि हिंदू धर्म में वापस आए लोगों को अछूत नहीं माना जा सकता। लेकिन फिर भी उन्हें गांधी, नेहरू या पटेल जैसे नेताओं की तरह याद नहीं किया गया। शायद इसलिए कि वो सिस्टम में फिट नहीं बैठते थे।सीधे बोलने वाले, विद्रोही सोच रखने वाले और अंग्रेजों से बिल्कुल नहीं डरने वाले थे।

फिल्म के निर्देशक हैं करण सिंह त्यागी। करण जौहर ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है। यहां अक्षय कुमार  ने नायर का रोल किया और साथ में दिखेंगे आर. माधवन जो ओ’ड्वायर के वकील बने हैं। अनन्या पांडे भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...