Aye Mere Watan ke Logo Writer: किसी भी देश के लोगों के लिए अपने देश का संघर्ष, उसका मान बहुत मायने रखता है। अपनी कला से हर कलाकार अपने देश के लिए कुछ न कुछ करता है। उनकी कला का ही परिणाम होता है कि हम अपने देश से और जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। फिर देश भक्ति गीतों के पास ये सामर्थ्य है कि वो सारे देश को एक धागे में मोतियों की तरह पिरो दें । देश भक्ति गीत सुनते ही हमारा मन भावुक हो जाता है और क्षण भर के लिए लगता है जैसे सारा देश आंखों में समा गया हो। आपके भी कुछ पसंदीदा देशभक्ति गीत होंगे ही जिन्हें सुनकर आप भावुक हो उठते हैं। जैसे एक देशभक्ति गीत है ऐ मेरे वतन के लोगों जिसे लता जी ने गाया है। ये गाना उनकी मधुर आवाज़ में सुनकर जैसे मन एक जगह ठहर जाता हो और वीर जवानों को याद कर आँखें भीग जाती हैं। तो क्या आप जानते हैं ये भावुक गीत लिखने वाले व्यक्ति हैं कौन। तो जानिए कौन हैं इस गीत के गीतकार।
किसने लिखा ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’

‘ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी’ ये सुनते ही आप मन भावुक होना स्वाभाविक है इसका कारण है कि इसके बोल और लता जी की आवाज़। इस गीत को राम चंद्र नारायण द्विवेदी यानी हमारे मक़बूल कवी प्रदीप ने लिखा । उनकी कविताओं से प्रभावित बॉम्बे टॉकीज़ के संस्थापक हिमांशु राय ने उन्हें अपने स्टूडियो में नौकरी पर रख लिया और उन्होंने ही राम चंद्र नारायण द्विवेदी को ‘कवी प्रदीप’ नाम रखने का सुझाव दिया। ये गीत उन्होंने 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के लिए लिखा था। ये गीत वो गीत है जिसे जब लता मंगेशकर जी ने दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में गाया, उस दौरान तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने आप को रोक न सके, इस गीत को सुनकर वो रो पड़े। ये कालजयी गीत मन को शहीदों के सम्मान में झुका देता है। इतनी शक्ति भरे गीत से किसी भी व्यक्ति की आँखें नम हो जाएं।
इस पंक्ति से बचाई अपनी गिरफ़्तारी
कवी प्रदीप को अपनी लेखनी के कारण मुसीबतों का सामना करना पड़ा। देश आज़ाद होने से पहले उन्होंने एक गाना लिखा ‘आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है ‘ अपने वक़्त में ये गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ। अब ऐसे हालात में अंग्रेज़ो को ये गीत कुछ हज़्म नहीं हुआ और उन्होंने कवी प्रदीप के खिलाफ वारंट निकाला इसपर कवी ने दलील दी कि ये गीत अंग्रेजों के खिलाफ तो है ही नहीं। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब भारत पर जापान का खतरा बढ़ गया, उस हालात को उन्होंने गीत में लिखा था कि ‘शुरू हुआ है जंग तुम्हारा जाग उठो हिंदुस्तानी तुम न किसी के आगे झुकना जर्मन हो या जापानी’। बस यही दलील देते हुए उन्होंने कहा की ये गीत तो आपके पक्ष में है और इस तरह वो जेल जाने से बच गए। इसी तरह न जाने कितने ही गीत कवी प्रदीप ने लिखे जो हम भूल नहीं पाते हैं। अब यही गीत याद कर लीजिए ‘हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के , इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के’ जैसे कितनी ज़िम्मेदारी से कोई कवी अपने देश की बागडोर आने वाली पीढ़ी को दे रहा हो।
