नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ उनके सोलह श्रृंगार का भी बहुत महत्व है। और इस दौरान महिलाओं का भी सोलह श्रृंगार करना बहुत जरूरी समझा जाता है।  ऋग्वेद में भी सोलह श्रृंगार को लेकर कहा गया है कि सोलह श्रृगांर करने से न केवल खूबसूरती बढ़ती है  बल्कि भाग्य भी अच्छा होता है। आइए जानते हैं आखिर कौन-कौन से हैं ये श्रृंगार…  

लाल जोड़ा

मां दुर्गा को लाल रंग बहुत पसंद है और  यही वजह है कि नवरात्रि के दौरान लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने की सलाह दी जाती है ताकि माता रानी प्रसन्न रहें

बिंदी

माथे पर लगा कुमकुम हर महिला के लिए उसके सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए नवरात्रि के दौरान सुहागिन स्त्रियों को कुमकुम या सिंदूर से अपने माथे पर लाल बिंदी लगानी चाहिए।

मेहंदी

मेहंदी को सुहाग का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इसके बिना सुहागन स्त्री का श्रृंगार अधूरा रहता है। मान्यता यह भी है कि  जिस लड़की के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही अधिक प्यार करता है।

सिंदूर

सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है।

गजरा

मां दुर्गा को मोगरे का गजरा बहुत प्रिय है। माना जाता है कि अगर घर की लड़की या महिलाएं इन फूलों को सिर में लगाएं तो घर में खुशहाली आती है।

मांग टीका

माथे के बीचों-बीच पहने जाने वाला  मांग टीका सिर के बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है ताकि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले।

काजल

महिलाएं अपनी आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए काजल लगाती हैं। इसके अलावा काजल बुरी नजर से भी आपको बचाए रखता है।

कमरबंद

कमरबंद कमर में पहना जाने वाला आभूषण है । कमरबंद इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।

चूड़ियां

चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसा माना जात है कि सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूड़ियों से भरी हानी चाहिए।

नथ

विवाहित स्त्री के लिए नाक में आभूषण पहनना जरुरी होता है। नाक में नथ या लौंग उसके सुहाग की निशानी मानी जाती है।

बाजूबंद

कड़े के सामान आकृति वाला यह आभूषण बाहों में पूरी तरह कसा जाता है। ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों को बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती है।

कानों में झुमके

कानों के झुमके चेहरे की सुंदरता को बढ़ाने का काम करता है। मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को खासतौर से पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए।

पायल

पायल जहां  पैरों की सुंदरता को बढ़ाती है। वहीं प्राचीन समय में पायल विशेष संकेत के लिए पहनी जाती थी। ताकि कोई स्त्री कहीं आए या जाए तो पायल से उसके आने-जाने का संकेत मिलता रहे। पायल पहनने से महिलाओं को कई स्वास्थ्य से संबंधित लाभ भी मिलते है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पायल के स्वर से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है।

बिछुआ

पैरों के अंगूठे और छोटी अंगुली को छोड़कर बीच की तीन अंगुलियों में चांदी का बिछुआ पहना जाता है। शादी में फेरों के वक्त यह रस्म इस बात का प्रतीक है कि दुल्हन शादी के बाद आने वाली सभी समस्याओं का हिम्मत के साथ मुकाबला करेगी।

अंगूठी

बाएं हाथ की तीसरी उंगली में पहनी गई सगाई की  अंगूठी  विवाहित जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है।

मंगल सूत्र

विवाहित स्त्री का सबसे खास और पवित्र गहना मंगल सूत्र माना जाता है। यह  मंगलसूत्र विवाहित महिलाओं का रक्षा कवच और सुहाग और सौभाग्य की निशानी होती है।  

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