बंद मुट्ठियों की दास्तां- गृहलक्ष्मी की कहानी
Band Muthiyo ki Dastan

Grehlakshmi Ki Kahani: रौशन सिंह एक मशहूर डॉक्टर जिस के पास मरीजों का तांता लगा रहता। अपनी बारी के मुताबिक एक लड़की ने कमरे में प्रवेश करते हुए नमस्कार की तथा डॉक्टर के समीप रखे स्टूल पर बैठ गई। डॉक्टर ने कहा, ‘हां, बताएं आपको क्या परेशानी है?’ लड़की ने कहा, ‘डॉक्टर साहिब कुछ महीनों से मेरी उंगलियां नीचे की ओर मुड़ी हुई हैं। बहुत इलाज करवाया परन्तु यह बंद मुट्ठियां खुलती ही नहीं हैं।’
डॉक्टर ने टेस्ट करवाए लेकिन रिपोर्ट में किसी भी बीमारी का संकेत नहीं मिला। डॉक्टर ने कुछ दवाइयां लिख दीं और एक सप्ताह बाद आने की सलाह दी।
एक सप्ताह के बाद लड़की फिर डॉक्टर के पास आई। उसे दवाइयों से कोई फर्क नहीं पड़ा। डॉक्टर ने दोबारा सारे टैस्ट करवाए। फिर भी सारे टेस्ट ठीक ही निकले। डॉक्टर ने फिर दवाइयां बदल कर दे दीं तथा दो सप्ताह के बाद आने की हिदायत की। दो सप्ताह के बाद वह लड़की फिर डॉक्टर के पास आई तथा उसने निराशा में डॉक्टर से कहा, ‘डॉक्टर साहब, कोई फर्क नहीं पड़ा।’ डॉक्टर ने कहा, ‘देखो, मैंने बढ़िया दवाइयां आपको दी हैं, तुम्हारे टेस्ट भी सारे ठीक हैं, तुम्हें दवाइयों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा।’
डॉक्टर ने सोचा इस लड़की को मनोविज्ञानिक दृष्टि से टटोला जाए। डॉक्टर ने क्या तुम्हारे साथ कभी कोई हादसा या फिर एक्सीडेंट हुआ है? ये तुम्हारी मुट्ठियां बंद कैसे हुईं? वैसे क्या तुम पहले बिल्कुल ठीक थी।’
‘डॉक्टर साहब मैं आपसे अलग से बात करना चाहती हूं लेकिन आपसे निवेदन है कि यह बात आप किसी से भी नहीं कहेंगे।’ डॉक्टर ने वादा किया कि यह बात वह किसी से भी नहीं कहेंगे। ‘तुम निडर होकर सारी बात बताओ कि यह मुट्ठियां बंद कैसे हुई।’
वह लड़की सिसक-सिसक कर रोने लगी और फिर आंखों से गिरते आंसू पोंछती हुई धैर्य से कहने लगी।
उस लड़की ने अपने पर्स से एक खूबसूरत लड़की की तस्वीर निकाल कर डॉक्टर के सामने रख दी।
डॉक्टर ने उत्सुकता से पूछा, ‘यह किसकी तस्वीर है? इस बीमारी से इसका क्या संबंध है? यह तो बहुत ही खूबसूरत लड़की की तस्वीर है। यह कौन है?’
उस लड़की ने उदास होते हुए आहिस्ता से कहा, ‘डॉक्टर साहब यह मेरी तस्वीर है कुछ महीनों पुरानी।’
डॉक्टर एकदम हैरान हो गया। कभी वह मरियल सी लड़की की ओर तो कभी उस खूबसूरत तस्वीर को देखने लगा क्योंकि उसके सामने तो एक मरियल सी शक्ल वाली लड़की जिसके आंखों के नीचे गड्ढे पड़े हुए थे और चेहरे पर मायूसी तैर रही थी। डॉक्टर को बहुत हैरानी हुई। उसने पूछा कि यह सब माजरा क्या है कि इतनी खूबसूरत लड़की आज इतनी मरियल सी शक्ल वाली लड़की कैसे हो गई।
डॉक्टर को हैरानी हुई। उसने पूछा कि यह सब माजरा क्या है कि इतनी खूबसूरत लड़की से इतनी भद्दी कुरूप शक्ल वाली लड़की कैसे बन गई? उस लड़की ने हिम्मत जुटा कर धीमी आवाज को तेज करते हुए बताया, ‘डॉक्टर साहब मैं एक कोर्ट (कचहरी) में एक (जज) न्यायाधीश की स्टेनोग्राफर थी। कुछ ही समय हुआ था मुझे वहां नौकरी लगे हुए। जज के यहां एक केस (मुकदमा) लगा हुआ था। यह केस एक खूबसूरत नवयुवक लड़के का था। उस लड़के के ऊपर स्मगलिंग का केस था। वह लड़का उच्च दर्जे के स्मगलरों में से एक था।
कुछ महीने तक उसका मुकदमा चलता रहा। उस लड़के की जमानत हो चुकी थी लेकिन उसे सजा होनी थी क्योंकि सारे सबूत उसके खिलाफ थे। वह लड़का एक प्रतिष्ठित तथा कुलीन जमीदार घराने से संबंध रखता था। वह लड़का मुकदमे की तारीख लेने के लिए मेरे पास मिन्नतें करता और मैं उसका भोला सा चेहरा देखकर उसकी मदद करने लगी।
आहिस्ता-आहिस्ता वह लड़का मेरे लिए कीमती तथा खूबसूरत तोहफे लाने लगा। मेरे ना कहने के बावजूद भी वह कोई ना कोई कीमती गिफ्ट ले ही आता था। बात यहां तक चली गई कि मैं उसके साथ बाजार शॉपिंग करने के लिए भी चली जाती थी। हमारी कुछ दिनों में ही गहरी दोस्ती हो गई।
उस लड़के ने मुझे बताया कि वह निर्दोष है तथा उसे निजी दुश्मनी के कारण फंसाया गया है। उस लड़के के बताए कई प्रमाणों से मुझे पक्का यकीन हो गया कि उसको नाजायज फंसाया गया है।
वह लड़का बहुत खूबसूरत होने के साथ-साथ हिम्मती और दिलो जान लुटाने वाला था। मेरे साथ वह दिल से मुहब्बत करने लगा था। मैं भी उसे दिल दे चुकी थी। मैं और वह कभी-कभी छुट्टी वाले दिन घूमने निकल जाते थे। उसने मेरे ऊपर पैसा पानी की तरह बहाया। उसने मुझे कभी भी शारीरिक संबंध बनाने के लिए नहीं कहा, उसकी यह आदत मुझे सबसे अच्छी लगी। उसके पास बढ़िया कीमती गाड़ी थी। मैं जिस शहर के बारे में जाने के लिए कहती, वह मुझे उसी शहर में घूमाने के लिए ले जाता था। मेरी हर ख्वाहिश पूरी करता। मुझे उससे सच्चे दिल से मुहब्बत हो गई थी।
उस लड़के ने मुझे कहा, अगर आप मुझे मुकद्दमे से बरी करवा दो तो मैं तुम्हारे साथ शादी कर लूंगा। मैं उस लड़के से सहमत हो गई। वह मुझे कहा करता था कि हमारी दुश्मनी बहुत है। जिसकी वजह से तरह-तरह के झूठे केस पुलिस डाल देती है। वह इतने सुन्दर सपने बुनता था कि जिंदगी जन्नत जैसी लगने लगी थी मुझे।
एक दिन जज साहिब अपने कमरे में बैठे अकेले चाय पी रहे थे। मैं उनके पास चली गई।
जज ने मुझे कुर्सी पर बैठने का ईशारा किया सिमट कर बैठ गई। मैंने जज से हिम्मत तथा धैर्य बांध कर कहा, ‘सर, मेरे साथ एक वादा कीजिये कि आप मुझे इंकार नहीं करेंगे।’ जज ने जिज्ञासा से कहा, ‘बेटी आप बात तो बताओ, अगर मानने वाली होगी तो जरूर मानेंगे।’
मैंने कुर्सी से थोड़ा आगे सरकते हुए संभल कर कहा, ‘सर जिस लड़के पर स्मगलिंग का केस चल रहा है उसे बरी कर दीजिए। मैं उस लड़के से बहुत प्यार करती हूं और वह भी मुझे बहुत प्यार करता है। मुझे दिल से चाहता है। झूठा केस डाला गया है। उसने मेरे साथ वायदा किया है कि वह बरी (बहाल) हो गया तो मेरे साथ शादी कर लेगा। सर, हम प्यार में बहुत आगे निकल चुके हैं, मेरी आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि प्लीज इस लड़के को बरी कर दीजिए।’
जज यह सब कुछ सुन कर आश्चर्य में पड़ गए और उन्होंने बहुत सोच-विचार के बाद जबाब देते हुए कहा, ‘बेटी सुनो, ऐसे लोग किसी के भी सगे नहीं होते हैं। इन्हें अपने आप पर विश्वास नहीं होता कि इनके साथ अगले पल क्या होने वाला है? इन्हें खुद पता नहीं होता। यह लोग पुलिस के साथ उतनी देर ही आंख-मिचौली खेलते हैं, जब तक यह गिरफ्तार नहीं हो जाते। इनका भविष्य एक ऐसी गुफा है, जिससे निकलने का कोई रास्ता ही नहीं होता। इन्हें आखिरकार एक दिन हथियार फैंकने पड़ते हैं। इन लोगों में प्यार, विश्वास और संस्कार नाम की कोई चीज नहीं होती। दरअसल इनके प्यार के ऊपर वाले हिस्से में शहद तथा नीचे वाले हिस्से में खतरनाक जहर होता है सांप की भांति। जोश में दोस्ताना संबंधों को रिश्ते का नाम देकर विवाह बंधन की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
बेटी तस्कर (स्मगलर) लोगों पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। यह किसी वक्त भी मौत के मुंह में जा सकते हैं। यह लोग बड़े लोगों के ईशारों पर काम करते हैं। एक ना एक दिन यह पकड़े ही जाते हैं। बेटी तू कुछ समय सोच ले, अपने घर वालों से बातचीत कर ले। मेरे ख्याल में तुझे इस लड़के के साथ शादी नहीं करनी चाहिए।’
डॉक्टर साहिब मैं लजिद हो गई तथा जज साहिब को तरले मिन्नता करते हुए सर मैं बहुत दूर निकल चुकी हूं धार में, अब वापिस नहीं आ सकती। प्लीज सर हैल्प। सर मैं सारी उम्र आपका अहसान नहीं भूलुंगी। जज ने मजबूर होकर कहा, ‘अच्छा बेटी अगर तुम इतनी ही दूर चली गई हो प्यार में। अगर पक्का मन बना ही लिया है तो फिर कुछ तारीखों के बाद उसे बरी कर दूंगा लेकिन तुम यह किसी से भी नहीं कहोगी।’
मैं खुशी में पागल होती जा रही थी। ड्यूटी के बाद शाम को मैं उस लड़के से मिली उसे सारी बात सुना दी और उसे हिदायत दी की कि तुम किसी से भी यह बात नहीं करोगे। वह बहुत खुश हो गया था।
हम अपनी आगे की जिंदगी के बारे कई हसीन सपने देखने लगे। भविष्य की अनेक योजनाओं का चित्रण कर लिया। हम छुट्टी वाले दिन बाहर घूमने चले जाते। उस लड़के के साथ अनेकों शहर हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गोआ आदि राज्यों के शहरों में भ्रमण किए। भ्रमण का सारा खर्च वह लड़का ही करता है हम दोनों बहुत खुश थे।
एक दिन जज ने मुझे बुला कर कहा, ‘देखो बेटी, दो दिनों के पश्चात मैं इस लड़के को बरी कर दूंगा तथा तुम खुशी-खुशी शादी कर लेना।’
लड़के ने मुझे कहा कि जिस दिन मैं बरी हो जाऊंगा मैं तुझे पांच बजे के बाद तेरी ड्यूटी के बाद, बस स्टैंड के बाहर एक स्तम्भ के नीचे मिलूंगा तथा वहां से फिर हम गाड़ी में बैठकर चले जाएंगे।
उसने मेरे साथ समय स्थान निश्चित कर लिया। निश्चित समय वाले दिन जज ने लड़के को बरी कर दिया। लड़का मुझे कोर्ट में ईशारा कर के चला गया।
मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जैसे विजयी सपनों के पंखों से मैं उड़ती जाऊं।
डाक्टर साहिब मैं पांच से पहले ही बस स्टैंड के सामने उस स्तंभ के नीचे जा खड़ी हो गई। अनेक तरंगे, उमंगे, याम उम्मीदों से मेरे दिमाग में खुशियों से भर दिया। जैसे सारा संसार मेरे कदमों के नीचे आ गया हो। जैसे परमात्मा ने मेरी मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी हो। खुशी में पागल सी होती जा रही थी। सच डॉक्टर साहिब जब सपने हकीकत में साकार होते हैं तो मनुष्य जन्नत तो क्या भगवान की भी प्रवाह नहीं करता। मैं उस स्तंभ के नीचे खड़ी उसका बेसब्री से स्थिर दृष्टि लगा कर इंतजार कर रही थी। पांच बज गए, छह बज गए। मेरा दिल घटने लगा। परन्तु जज साहिब के कहे शब्द कानों में गूंजने लगे। एक भय सारे शरीर में अग्नि की लहर बन कर दौड़ने लगा। एकदम ठंडा पसीना आने लगा। जज साहिब मैं कई घंटे वहां उसका इंतजार किया, वह ना आया। अब मुझे पूरा यकीन हो गया कि उसने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। मैंने क्रोध में आकर दोनों मुठियां जोर-जोर से स्तंभ पर मारती गई बस, डॉक्टर साहिब तब से यह दोनों मुट्ठियां बंद हैं खुलती नहीं।

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