Hindi Poem: सुबह होते ही आपाधापी थोड़ी देर लग गई क्या आँख कोसती खुद को हजार बार हमेशा अव्वल आने की है चेष्टा। थोड़ी सिलवट रह गई बिस्तर में झाला थोड़ा सा लग चुका, चलो पहले बना लो चाय खुद से ही होती प्रतियोगिता। हम देते रहते खुद ही परीक्षा फिर करते आँकलन समीक्षा खुद […]
Author Archives: सविता सिंह मीरा
यादों का पन्ना-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Short Story in Hindi: आज नंदिनी काफ़ी पुराने यादों में ना जाने क्यों उलझ गई, या यूँ कह सकते हैं इस उलझन को सुलझाना ही नहीं चाहती थी। अचानक वो अपनी जिंदगी के उन पन्नो को खोलने लगी और अतीत में चली गई और उसे याद आ गई काली जी की मूर्ति और आम का वही वृक्ष।पच्चीस से […]
नदी-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: नहीं है ख्वाहिश की दरिया से जा मिलूँ अभी, लोगों की प्यास बुझे कुछ और बहुँ मैं अभी। फेंक दे तू उत्कंठा और वेदना इस बहाव में, रुको मत बस बढ़े चलो क्या रखा है ठहराव में। विसर्जित कर दो सारी गंदगी मुझे नहीं है मलाल, फ़ेंक दो द्वेष विकार और करो तुम […]
माँ की संदूक-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Short Poem: न जाने उस बक्से में क्या, रख देती थी मेरी मां।जब भी उसको खोले तब तब, मुस्का देती मेरी मां।।मैं भी सिरहाने बैठ गई, जब वो बक्सा खोली थी।देखा उसमें अपना बचपन, यादों की एक झोली थी।।एक में थी दीदी की गुड़िया, और भाई की बंदूक।उन सारे बीते लम्हों से, भर चुकी […]
टीस-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Hindi Short Story: क्या हुआ मानसी? सब अंदर है और तुम घर के पीछे क्यों खड़ी हो? इतना कहना था कि वह फूट-फूट कर रो पड़ी।ढ़ाई सालों के बाद वह अपने मायके आई हुई थी। आयी तो थी मायके किंतु अत्यंत दुखद परिस्थिति में, अपने पिता के देहांत के समय। वैसे हर साल मानसी अपने पति […]
वो मनभावन भोर- गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Short Story in Hindi: हम रोज अपने सोसाइटी जमशेदपुर स्थित टेल्को घोराबंधा आलोक विहार में फूल चुनने जाते हैं। फूल चुनने के क्रम में कभी-कभी सोसाइटी के बाहर गाँव देहात आदिवासियों के घर के तरफ भी चले जाते हैं। जहाँ आदिवासियों का मिट्टी का घर दिखता हैं और हर घर की महिलाएं पुरुष दोनों सुबह-सुबह […]
निर्वासित बेटियाँ -गृहलक्ष्मी की कविता
Poem in Hindi: ठुकराई गई बेटियाँ बुआ नैहर वापस आ तो जाती हैं पर वह पहले की भांति चहकती बिल्कुल नहीं हैं। बोझ समझती हैं खुद को भूल जाती है अपने वजूद को कोशिश करती हैं मुस्कुराने का छिपा नहीं पाती अपने दुख को। एक कोना तलाशती हैं घर में जो हक जताते थकती नहीं […]
हल्का हल्का सा प्रेम-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Love Story: परिपक्व स्त्रियाँ भी सोलह वर्षीय कमसिन बाला की तरह चंचल हो जाती हैं ज़ब लोग कहते हैं की आपसे लगाव है। आपको देखते ही प्रेम हो गया.वह अपने उस प्रियवर के सामने इतराती है,चहकती हैं, बहकती हैं, सब कुछ भूल, अल्हड़ नदी सी बहना चाहती हैं।अपने बेहद चाहने वाले मे विलुप्त होना […]
तेरी बिन्दी- गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Story: क्या हुआ निखिल?इतनी दूर से क्या इशारा कर रहे हो। कुछ समझ नहीं आ रहा है। ऐसा कह कर कर नंदिनी कार्यक्रम देखने में लग गई। निखिल पागल हो गए हो क्या, इतनी भीड़ में इस तरह क्या कर रहे हो। अरे नंदिनी रुको तो, मुझे पता था कल हमने […]
हम सिर्फ तेरे- गृहलक्ष्मी की कहानियां
Stories in Hindi: नंदिनी बहुत लापरवाह हो तुम। क्यों ऐसा करती हो? तुम लापरवाह हो या तुम्हारे घर वाले, मुझे कुछ समझ नहीं आता। देखो निखिल तुम मेरे घर वालों को तो कुछ बोलो ही मत, और तुम्हें जब इतनी चिंता थी तो, मैं तो डॉक्टर की पर्ची तुमको व्हाट्सएप्प की थी ना, और तुमको […]
