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अनजान सहेली-गृहलक्ष्मी की कहानियां

गृहलक्ष्मी की कहानियां: मां तुम कहां गई?हां, मैं यहां किचन में हूं। क्या हुआ बेटा? शीला भागते हुए आई।मां मेरी नौकरी पक्की हो गई है। शीला यह सुनकर फूली न समाई। वो अपने बेटे के लिए बहुत खुश थी ।पर मां मुझे बेंगलुरु जाना होगा। मुझे इसी हफ्ते ज्वाइन करना है। वहां जाकर फ्लैट लेते […]

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अनोखा दूल्हा – गृहलक्ष्मी कहानियां

कानपुर के छोटे से कस्बे में सुधीर अपनी पांच बेटियों के साथ सुखी थे। धन का उनके घर में कोई अभाव ना था बहुत ही संपन्न परिवार से थे। अपनी चार बेटियों की शादी बहुत धूमधाम से सरकारी नौकरी वाले लड़कों से कर चुके थे। सुधीर को बस एक ही धुन थी उनका दामाद हो तो सरकारी नौकरी वाला।

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किराए की कोख – गृहलक्ष्मी कहानियां

अस्पताल का गलियारा गर्भवती महिलाओं से भरा था।ब्लीच की पूरी गंध मुझे असहज महसूस करा रही थी।

डॉ अनीता वर्मा ने अपने केबिन में प्रवेश किया।मैं एक नियमित जांच के लिए उनके पीछे कैबिन मे गई।

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