Posted inहिंदी कहानियाँ

एक और रति विलाप – 21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां छत्तीसगढ़

मधुरा थरथर काँप रही थी भूकंप से कांपती धरती की तरह थरथरा रही थी, लावा भटकता छाती छेद कर निकलने को विकल दिख पड़ता था, झर-झर झरते, कंप-कंपाते, चूर-चूर होते क्षण झर रहे थे। थामे तो कोई क्या थामे — टूटे क्षण, क्षत-विक्षत कण, धरा से बिछुड़ी धुल की तरह वह सतह पर जम जाना […]

Gift this article