Hindi Kahani: ऑफिस का दरवाज़ा खुलते ही सबकी आवाज़ें धीमी हो जाती थीं।“मैडम जी आ गईं,” किसी ने धीरे से कहा। हर फ़ाइल करीने से सजी रहती, हर कर्मचारी सीधा बैठा होता। वजह थी – मानिनि। वरिष्ठ अफ़सर, तेज़ दिमाग़, सख़्त मिज़ाज। कम बोलतीं, पर उनके शब्द आदेश जैसे होते। लोग उन्हें पीछे से “मैडम […]
Author Archives: प्रज्ञा पांडेय मनु
रोटी दिवस-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Short Story in Hindi: सर्दी की गुनगुनी धूप में सभी कर्मचारी लंच के बाद धूप का लुफ्त ले रहे थे। और बात चीत का टॉपिक बस वेलेंटाइन डे ही था। जनवरी के बाद सबका ध्यान प्रणय दिवस के मानने में ही रहता है। क्या युवा या अधेड़ क्या किशोर सब के सब बस प्रेमिका या […]
भुल्लकड़!-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Memory Loss Story: अरे अब इधर आ बता मेरा मोज़ा कहा रखा है। धोबी को प्रेस करने यूनिफॉर्म भेजा था या नहीं। या फ़िर भूल गई। भुल्लकड़ कहीं की। एक भी काम ढंग से नहीं करती। और ऊपर से ये भूलने की आदत। तुझे कुछ भी याद क्यों नहीं रहता है। ऐसा बोल कर दिनेश […]
आखिर क्यों-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Akhir Kyu: निशा को उसके पति नील ने ऑफिस में फ़ोन किया और कहा उसके बचपन की मित्र स्मृति अपने पति के साथ दिल्ली में आई है बेचारी का कैंसर लास्ट स्टेज पर है ।प्लीज तुम उससे मिलने चलो मेरे साथ क्यों की वह मेरी बचपन की मित्र है ।और हमारे ही शहर में बड़ी […]
समाधान— लघु कहानी
Samadhan Story: राम लाल की पत्नी सुनंदा के गुजर जाने के बाद उनका पुत्र राजेश उन्हें अपने पास शहर में ले आया था। और घर की ऊपर की मंजिल में बने एक कमरे में उनके रहने की व्यस्था कर दी थी। किंतु राजेश की पत्नी रमा को ये बात फूटी आंख नहीं सुहा रही थी। […]
