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मुखौटा – 21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां गुजरात

चूल्हे से उठते धूएं से उसकी आंखो में पानी भर रहा था। लकड़ी कच्ची थी, आग पकड़ने में देर हो रही थी। वह फूंक पर फूंक मार रही थी। पर धूएं के सिवाय कुछ निकल ही नहीं रहा था। उसे डर था, उसका पति अभी बाजार से आ जायेगा और घर में धूआं भरा देखकर […]

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