क्या-क्या सोचा था। कैसे-कैसे सपने देखे थे। उसके सपनों ने एक वक्त ऊँची उड़ान भरी थी। इंजीनियरिंग में प्रवेश मिलना अपने-आप में एक बहुत बड़ी बात थी। रिश्तेदारी में उसकी बात चलती तो गर्व से उसकी छाती चौड़ी हो जाती। इंजीनियर बन गया तो पापा की तरह कमाएगा। पर पापा तो सरकारी महकमे में हैं। […]
Author Archives: अंजु दुआ जैमिनी
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अवशेष-नाद – 21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां हरियाणा
विचारों का झंझावात उसे दूर, बहुत दूर उड़ाए लिए जा रहा था। अंतर्मन में भयंकर आंधी-तूफान चल रहा था। वह किसी निर्णय पर पहुंचना चाहती थी, किसी ठोस निर्णय पर। भीतरी घमासान आंसुओं की रिमझिम के जरिए उसके जख्मों को हरा किए जा रहा था। कल ही की बात लग रही थी जब— “शाबास मैडम! […]
