जानिए क्यों खाना चाहिए मुलेठी, ये नुकसान भी हैं
कई मामलों में मुलेठी का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।
Mulethi Effects: खांसते बच्चे को दी जाने वाली मुलेठी सदियों से दादी-नानी का इलाज रही है और आज दुनिया मुलेठी या लिकोरिस के ढेरों लाभों को लेकर जागरूक हो ही गई है। मुलेठी बारहमासी जड़ी बूटी है जो यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों के लिए स्थानीय है और सदियों से आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा में खांसी दूर करने वाली औषधि के रूप में इस्तेमाल की जाती रही है। लिकोरिस एक्स्ट्रैक्ट की प्राकृतिक मिठास के कारण पश्चिमी दुनिया में इसका व्यापक रूप से स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल कैंडी, तंबाकू और शराब में कृत्रिम और प्राकृतिक मिठास के स्वाद के लिए किया जाता है। ग्लाइसीराइज़िन (लिकोरिस की मिठास के लिए जिम्मेदार एक सैपोनिन) पर किए गए अध्ययनों ने कई स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में आशा जनक परिणाम दिखाए हैं।
मुलेठी को अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जहां अंग्रेजी लिकोरिस तो संस्कृत और आयुर्वेदिक में यष्टिमधु और अन्य भाषाओं में इसके नाम मुलहठी, मुल्ती, मुलेथी, यष्टिमाधू आदि है।
मुलेठी की तासीर ठंडी होती है। इसलिए इसका सर्दियों में ज्यादा इस्तेमाल करने से कई तरह की समस्याएं हो सकती है। हालांकि मुलेठी का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना बेहतर होता है।
Mulethi Effects:मुलेठी के फायदे
सही मात्रा और सही तरीके से सेवन किया जाए तो मुलेठी के अपने फायदे हैं।
खांसी और जुकाम को ठीक करता है

मुलेठी को चबाना गले की खराश का पुराना इलाज है। इसके एक्सपेक्टोरेंट और ब्रोन्कोडायलेटर गुण काली खांसी, अस्थमा, सूखी खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों में मदद करते हैं। अस्थमा और ब्रोन्कियल स्थितियों को शांत करने के लिए मुलेठी की चाय में आधा चम्मच अदरक का रस मिलाएं। सर्दी के लिए एक कप उबलते पानी में 1 चम्मच अदरक, दालचीनी और मुलेठी का पाउडर मिला लें। इसमें शहद मिलाएं और इस मिश्रण को दिन में 1-2 बार पिएं।
पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखता है

मुलेठी में एंटी-वायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह पाचन तंत्र के म्यूकोसल स्वास्थ्य को बनाए रखता है, कब्ज से राहत देता है, गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर को रोकता है। एक चम्मच कुटी हुई मुलेठी और एक चम्मच गुड़ को एक कप उबलते पानी में डालकर 3-5 मिनट के लिए चाय पिएं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
मुलेठी का रोजाना इस्तेमाल इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जाना जाता है। लिकोरिस पौधे की जड़ों में मौजूद एंजाइम शरीर को लिम्फोसाइट्स और मैक्रोफेज का उत्पादन करने में मदद करते हैं जो कि रोगाणुओं, प्रदूषकों, एलर्जी और कोशिकाओं के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक रक्षा हैं जो ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बनते हैं। मुलेठी के पौधे की 10 ग्राम सूखी जड़ों को मसलकर 200 ग्राम चायपत्ती में मिलाकर प्रतिदिन की चाय बनाने के लिए इस मिश्रण का इस्तेमाल करें।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है

मुलेठी की जड़ में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट रक्त वाहिकाओं को पतला करने, धमनियों और नसों में प्लेक के संचय से बचने और रक्त में वसा की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके फायदे पाने के लिए रोजाना मुलेठी की चाय पिएं। इस मिश्रण को तैयार करने के लिए 10 ग्राम सूखे जड़ को 300 मिली लीटर गर्म पानी में 15 मिनट तक उबालें।
महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाता है

मुलेठी पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। मुलेठी के एस्ट्रोजेन जैसे गुण इसके ऐंठन-रोधी गुणों के साथ मिलकर इसे मासिक धर्म में ऐंठन के लिए एक उपाय बनाते हैं। रजोनिवृत्ति के लक्षणों से पीड़ित लोगों को मुलेठी चाय पीनी चाहिए जो कि हार्मोन रेग्यूलेटर है।
त्वचा की बीमारियों को ठीक करता है
मुलेठी त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। तैलीय त्वचा के लिए मुलेठी का चूर्ण गुलाब जल के साथ या शुष्क त्वचा के लिए दूध के साथ मिलाएं ताकि डी-पिग्मेंटेशन से बचा जा सके। नहाने के पानी में मुलेठी का चूर्ण मिलाकर नहाने से त्वचा के रैशेज दूर होते हैं।
लिवर के स्वास्थ्य के लिए
पीलिया, हेपेटाइटिस और नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर जैसे लीवर से जुड़ी बीमारियों के इलाज में मदद करती है। मुक्त कण और विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाले नुकसान से इसके प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट गुण रक्षा करते हैं। लीवर के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक कप मुलेठी जड़ की चाय पिएं। इसे बनाने के लिए आधा चम्मच मुलेठी की जड़ के पाउडर को एक कप गर्म पानी में डालें और 10 मिनट के लिए ढकें और फिर छान लें।
वजन घटाने के लिए

मुलेठी में मौजूद फ्लेवोनाइड्स शरीर में अत्यधिक वसा संचय को कम करने में मदद करता है। मुलेठी का तेल अधिक वजन वाले शरीर और आंत के वसा को कम करने में मदद करता है।
गठिया के इलाज में

गठिया के दो लक्षणों दर्द और सूजन को शांत करने में यह जड़ी बूटी मदद कर सकती है। सूजन वाले रोगों में यह फायदेमंद है। दर्द और सूजन कम करने के लिए मुलेठी की चाय के कुछ कप हर दिन पिएं।
ओरल हेल्थ के लिए

मुलेठी दांतों और मसूड़ों को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह कैविटी वाले बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकती है, प्लेक को कम करती है और सांसों की बदबू दूर करने में मदद करती है। यह सब इसके जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण के कारण संभव है।
बालों के लिए

मुलेठी सिर के स्कैल्प और हेयर फॉलिकल्स में रक्त संचार को बेहतर बनाती है जिससे बालों की जड़े मजबूत होती हैं और बालों की ग्रोथ अच्छी होती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से गिरते बालों की समस्या दूर होती है। कई तरह के स्कैल्प इंफेक्शन से भी छुटकारा मिलता है।
ये है मुलेठी के नुकसान
- सीमित मात्रा से ज्यादा मुलेठी खाने से नुकसान भी हो सकते हैं। वहीं कुछ विशेष मामलों में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- ज्यादा मात्रा में दो सप्ताह से अधिक समय तक मुलेठी का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसके कारण मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं, हाई ब्लड प्रेशर, फ्लूइड रेटेंशन जैसी समस्याएं हो सकती है।
- अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है और इसकी दवाइयां चल रही है, तो मुलेठी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरूर कंसल्ट कर लें।
- डायबिटीज, किडनी से जुड़ी बीमारियां या फिर पोटेशियम की कमी जैसी समस्याएं हैं, तो मुलेठी के किसी भी रूप में सेवन से बचें।
- प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए मुलेठी का सेवन उपयुक्त नहीं है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना इसका सेवन न करें।
- मुलेठी का अत्यधिक इस्तेमाल करने से क्रॉनिक फटिग, मांसपेशियों की कमजोरी, सूजन, सिरदर्द, सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती है।
- अगर मुलेठी का सेवन जरूरत से अधिक किया जाए तो पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता और शरीर में कमजोरी आ सकती है।
- हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
