Overview: पूरे दिन में इस समय जीभ पर विराजती हैं मां सरस्वती
ब्रह्म मुहूर्त के पवित्र समय में मां सरस्वती का वास जिह्वा पर होता है। उस समय कही गई शुभ बातें सत्य सिद्ध होती हैं और जीवन में सकारात्मक परिणाम लाती हैं।
Maa Saraswati Sit Tongue: हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि, देवी-देवता सिर्फ मंदिरों में ही नहीं, बल्कि मानव के भीतर भी वास करते हैं। जैसे हृदय में शिव-पार्वती, नाभि में विष्णु-लक्ष्मी, नेत्र में सूर्य और चंद्रमा, कान में दिशाएं (दिक् देवता), नाक में अश्विनी कुमार, हाथ में इंद्र और कंठ या मुख में देवी सरस्वती का वास होता है। शास्त्रों में मां सरस्वती को वाणी और ज्ञान की देवी कहा गया है। साथ ही देवी सरस्वरी को शिक्षा, संगीत, साहित्य और रचनात्मकता की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। वे हमारे वचनों और विचारों को प्रभावित करती हैं। इतना ही नही पूरे दिन में एक समय ऐसा भी होता है जब मां सरस्वती का वास हमारे जिह्वा (जीभ) पर होता है। मान्यता है कि, इस समय में व्यक्ति द्वारा कही हर बात सच हो सकती है। आइए जानते हैं किस समय हमारे जिह्वा पर विराजमान होती हैं देवी सरस्वती।
जिह्वा पर कब होता है मां सरस्वती का वास

पुराणों और धर्म शास्त्रों के अनुसार, मां सरस्वती का वास विशेष रूप से प्रातःकाल (सुबह के पहले तीन मुहूर्त) में माना गया है। इस दौरान व्यक्ति की वाणी सबसे शुद्ध होती है और मन स्थिर रहता है। इसी वजह से कहा गया है कि– “ब्राह्ममुहूर्ते सरस्वती वसति जिह्वायाम्।”
इसका अर्थ है कि सुबह ब्रह्म मुहूर्त में व्यक्ति की जिह्वा पर सरस्वती का वास होता है, इसलिए उस समय जो भी शब्द बोले जाते हैं, वे सत्य सिद्ध हो जाते हैं। समय की बात करें तो लगभग सुबह 4 बजे से लेकर सुबह 5:30 तक का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है। इसे पूरे दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है और इसी समय देवी सरस्वती का वास जिह्वा पर होता है। मान्यता है कि इस समय में जो शब्द व्यक्ति के मुख से निकलते हैं, वे बहुत ही प्रभावशाली माने जाते हैं।
सत्य भाव से बोले गए शब्द ही होते है सच

कई लोगों को लगता है कि, ब्रह्म मुहूर्त में देवी सरस्वती का मुख पर वास है तो वे इस समय कुछ भी बोलेंगे तो वो बात सत्य हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है। जब कोई व्यक्ति निस्वार्थ भाव से होकर कुछ कहता है, तभी वह वाणी मां सरस्वती की प्रेरणा से निकलती है और सत्य साकार का रूप ले सकती है। इसलिए लोभ, लालच या ईष्या आदि में कोई बात न कहें। क्योंकि जब व्यक्ति का मन, वचन और कर्म एक साथ शुद्ध होते हैं, तभी सरस्वती देवी की कृपा से उनकी कही बातें फलित होती हैं। खासकर इस मुहूर्त में व्यक्ति को नकारात्मक या अशुभ बातें नहीं बोलनी चाहिए और ना ही मन में किसी के प्रति नकारात्मक विचार लाना चाहिए।
वाणी में है शक्ति

शास्त्रों के अनुसार, वाणी केवल ध्वनि नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा (शक्ति) है। देवी सरस्वती वाणी, ज्ञान और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। यदि व्यक्ति दिन के शुभ समयों में शुद्ध विचार और सच्चे शब्दों का प्रयोग करता है, तो वे ब्रह्मांड में कंपन बनकर सत्य रूप में प्रकट हो सकते हैं। इसलिए हर दिन की शुरुआत शुभ वाणी, सकारात्मक सोच और मां सरस्वती के स्मरण से करें।
