Hindi Poem: मैं बोलती नहीं,
पर भीतर एक nadi बहती है,
शब्द नहीं, संवेदनाएँ
हर लहर में कहती हैं कुछ।
मैं चुप रहती हूँ,
पर मेरी आँखें अक्सर
सवाल करती हैं खुद से,
और उत्तर भी खोज लेती हैं
अंधेरों की परछाइयों में।
दीवारों से नहीं टकराती,
मैं खुद से टकरा जाती हूँ,
जहाँ मेरी खामोशी
मुझसे सबसे ऊँची आवाज़ में
कहती है —
“तू टूटी नहीं है, तू गहरी हुई है।”
लोग मुझे कमज़ोर कहते हैं,
पर मैं जानती हूँ —
मौन एक शस्त्र है,
शब्दों से कहीं ज़्यादा तीखा,
जो रिश्तों की परख करता है
बिना कुछ कहे।
जब मैं सबसे अकेली होती हूँ,
तभी मैं सबसे अधिक
संपूर्ण होती हूँ,
क्योंकि तब
मैं अपने सबसे पास होती हूँ।
मेरे प्रेम में चिल्लाहट नहीं होती,
न ही अपेक्षा की भाषा,
सिर्फ़ मौन,
जिसमें हर धड़कन
किसी आराधना-सी लगती है।
मैं कोई शोर नहीं,
मैं वो स्थिरता हूँ
जो आँधियों में भी
टूटी नहीं जाती।
