Social Story in Hindi: सिर्फ तुम्हारें जज करने से रिश्ते की सूरत नहीं बदल जायेगी! हर इंसान अपने स्वार्थ और जरूरत के अनुसार रिश्ते का निर्वाह कर रहा है.
तुम्हारें लिए सिर्फ सात महीने में वो इतनी गन्दी हो गई कि कहती हो “क़ोई इतना तंग करता हैं?”
मैं तुमसे मर्यादित तरीके से बात करती हूँ और तुम मेरे हीं सामने उसे “पागल” और “क़ोई नहीं पूछेगा” कहती हो…
तुम बताना तुम्हारें मायके में तुम्हें कौन पूछता हैं…
सिर्फ तुम्हारी माँ को छोड़कर क़ोई तुम्हें सही नहीं कहता.. क्या मैं भी उन बाकि लोगो कि तरह तुम्हें गलत मान लूं..
वो 34साल से इतना भुगत चुकी है की वो इससे निकल हीं नहीं पा रही सिर्फ यही वजह हैं उसकी परेशानी कि!तुमने शादी से पहले तो बहुत कहा था मैं आपका दर्द समझती हूँ. यही समझी………
इतने दिनों में तुम अगर शांत रहकर अपना रास्ता निकाल लेती उसे अपशब्द नहीं कहती तो मैं मान लेती तुम महान हो! पर तुमने कौन सी कसर छोड़ी उसकी बेइज्जती करने कि.
तुम ये भी भूल गई कि तुम्हें इस घर में लाने के लिए उसने क्या किया? आज अगर तुम यहां हो तो उसकी वजह सिर्फ वहीं हैं.
माँ बनने वाली हो अगर तुम्हारा पति तुम्हारें पेट पर लात मारकर तुम्हें सीढ़ी से धक्का दें और वहीं खून से लटपथ उसे लादकर IGAMS में अकेले उसके साथ रहने वाला सिर्फ उसका मायका!
बच्चे के हत्यारे को क्या उपनाम देती तुम जरा बताना ?
तुम्हारा पति तुम्हारें सामने औरतों के साथ हमबिस्तर होता,टोकने पर मारता…क्या उपनाम देती तुम!
क्या उस इंसान को तुम माफ कर पायी हो जिसकी वजह से तुम्हारी दीदी कि जान गई?
बार बार कहती हो की वो तुम्हें इस्तेमाल की…. तुम्हें इस्तेमाल कर वो तुम्हारें घर नहीं पहुंची लेकिन तुम उसे इस्तेमाल कर यहाँ पहुँच गई.
अगर उसे इस्तेमाल करना आता न आज वो तुम्हारी जगह होती…
राजनीति करना उसे आता न तो वो साम्राज्य वो भोग रही होती!बार बार उसे अकेली और निसहाय
मत बोला करो,वो बेवकूफ़ हैं पर गन्दी नहीं…
तुम्हारे साथ तुम्हें खोने की वजह वो टूटी है उसका अरमान था की तुम उसका दर्द समझोगी, तुम ये समझती इसके पहले हीं दूरियां और खटास ने अपना रंग दिख दिया.
चिंता मत करना अब उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं बचा हैं और जिनके पास खोने के लिए कुछ न हो न वो पाता जरूर हैं।
तुम्हारी सारी परेशानी का अंत होगा बस कुछ महीने की बात हैं।
एकतरफा निर्णय थोड़े ही करना हैं न तो वो अकेली हैं न अनाथ। सभी मिलते हैं और एक स्वस्थ रास्ता निकालते हैं.
मेरी दीदी लाचार नहीं समय की सताई हुई है। उसे दर्द देने वाला पति तुम्हें कबूल हैं पर वो बेचारी तुम्हें कबूल नहीं। एक अनुरोध है तुमसे एक बार अपनी सास की तकलीफ़ बेटी बनकर समझो तुम्हें तुम्हारा जवाब मिल जायेगा.
कुछ बातों को इग्नोर करना सीखो,100 परसेंट तो क़ोई भी सही नहीं हैं.
अन्यथा मत लेना अभी तुम बहुत कुछ जानती नहीं हो? जिस दिन जान जाओगी नजर और नजरिया दोनों बदल जायेगा.
और हाँ!जिस औरत से तुम इतनी नफरत करती हो न उसी ने मुझे कहा था,” बहन तुम्हें मेरी कसम उसका हाल चाल पूछ लिया करो अकेली हैं उसका ख्याल रखना, कम से कम किसी को तो वो अपनी बात कह सकें.”
तुमने क्या किया अगर पति कि हीं माँ समझकर उसे सम्मान दे देती तो तुम मेरी नजर में बड़ी हो जाती..
नहीं स्वेता, आज वो सिर्फ तुम्हें गलत इसलिए लगती हैं कि तुम्हारी सारी जरूरतें पूरी हो चुकी हैं!
कहती हो कि आप लोग उनसे बात करती हैं तो क्या करती हैं, उसकी हर गलती पर उसे समझाती हूँ!
हमेशा वो गलत नहीं होती ये भी तय हैं, एक फ़ौज तैयार कि गई हैं उसे गलत सिद्ध करने कि…
वो देखती हूँ….मैं जानती हूँ इसे पढ़ने के बाद तुम मुझसे कभी बात नहीं करोगी लेकिन एक बात याद रखना सिर्फ वहीं तुम्हें सच बता सकते हैं जो तुमसे किसी स्वार्थ से नहीं जुड़े हो..तुम मेरे लिए हमेशा वहीं रहोगी जो हो..
ईश्वर से कामना करूंगी कि तुम हमेशा खुश रहो!
