Ek Galat Faisla
Ek Galat Faisla

Hindi Kahani: आज राधा जी काफी खुश नज़र आ रही थी। दौड़ भाग कर घर का सारा  बंदोबस्त देख रही थी कहीं कोई कमी ना रह जाय| राधा जी काफी खुश नज़र आ रही थी। दौड़ भाग कर घर का सारा  बंदोबस्त देख रही थी कहीं कोई कमी ना रह जाय  आज बेटी प्रिय ससुराल से पहली बार घर आ रही थी। वो भी सिर्फ एक ही दिन के लिए उसको भेजा था ससुराल वालो ने पग फेरे की रसम जो करनी थी। वर्ना तो  प्रिया की ससुराल वाले उसको भेजते ही नहीं|
इस लिए राधा जी चाहती थीं की बेटी के आने के बाद उनको किसी काम के  लिए उठाना ना पड़े | बस यही सोच कर बड़ी फुर्ती से हाँथ पैर चला रही थीं |
इतने में कार का हॉर्न सुनाई दिया | और प्रिया दरवाजे पर थी |  लोटे का पानी वार कर उसको घर ले कर आई | ड्राईवर के साथ आई प्रिया  को देख कर माँ ने पूछ ही दिया बेटी दामाद जी कब आयेगे | प्रिया ने बोला माँ वो दफ्तर गए हैं | उनके पास समय नहीं था |
राधा जी चुप हो गई | एक ही महीने में प्रिया कितनी बदल गई थी | राधा जी कभी खुश हो रही थीं और कभी दुखी | प्रिया  उन्हें कुछ चुप सी लग रही थी | और पूछने का सिरा कुछ हाँथ लग नहीं रहा था |
शादी के बाद भी राधा जी ने जब भी फोन किया  प्रिया  ने कभी खुल कर कुछ कहा ही नहीं | हर बात का एक  छोटा सा जवाब देती थी |
अंत में दोपहर को खाना खा कर जब मा बेटी आराम करने कमरे में लेटे  तो राधा जी ने पूछ ही लिया बेटी तू खुश तो है ना ?
प्रिया ने कहा माँ  मेरे गहने कपड़े  देख कितने कीमती हैं | वो तो देख रही हूँ बेटा पर तेरा  चेहरा तो उदास लग रहा है | मेरी बैचैनी और ना बढ़ा मेरे बच्चे बोल क्या बात है | राधा जी का स्वर भीग सा गया |
प्रिया बोली माँ तुम  भी अजीब हो शादी में ख़ुशी कब से मायने रखने लगी |  बड़ी सी गाडी में आई हूँ | कपड़े  लत्ते सब दामी हैं | जेवर से लदी  हूँ और क्या चाहिए आप को ?
आप ने मेरी शादी अफसर से की थी तो अब हम भी  मैडम जी कहलाते है | हा अगर मेरी शादी  किसी मेरे यौग्य व्यक्ति से करती तो शायद तुमको वो सब मेरे चेहरे पर दिखता जो तुम ख़ोज रही हो | माँ तुमने मुझसे यही कहा था बेटा शादी के लिए हाँ कर दो  कुंडली  भी मिल गई है और लड़का बहुत बड़ा अफसर है | तो अब मुझसे ऐसे सवाल मत पूछो  जिनका जवाब मेरे पास है ही नहीं |
और हाँ माँ गाड़ी में उपहारों के काफी सारे पैकेट है उन्हें आप रिश्तेदारों में बाँट देना मेरे सुखी होने का प्रमाण भी मै लाई हुं समाज को देने के लिए।  आज राधा जी को अपना ही फ़ैसला गलत लग रहा था | जिसको सुधारने की हिम्मत भी उनमे नहीं थी |
काश शादी के वक्त  कुंडली के साथ साथ  लड़के के व्यक्त्त्वि को भी लड़की के साथ मिला कर  देखा होता तो आज इस घर का माहौल कुछ और होता | ससुराल से पहली बार घर आ रही थी। वो भी सिर्फ एक ही दिन के लिए उसको भेजा था ससुराल वालो ने पग फेरे की रसम जो करनी थी। वर्ना तो  प्रिया की ससुराल वाले उसको भेजते ही नहीं|
इस लिए राधा जी चाहती थीं की बेटी के आने के बाद उनको किसी काम के  लिए उठाना ना पड़े | बस यही सोच कर बड़ी फुर्ती से हाँथ पैर चला रही थीं |
इतने में कार का हॉर्न सुनाई दिया | और प्रिया दरवाजे पर थी |  लोटे का पानी वार कर उसको घर ले कर आई | ड्राईवर के साथ आई प्रिया  को देख कर माँ ने पूछ ही दिया बेटी दामाद जी कब आयेगे | प्रिया ने बोला माँ वो दफ्तर गए हैं | उनके पास समय नहीं था |
राधा जी चुप हो गई | एक ही महीने में प्रिया कितनी बदल गई थी | राधा जी कभी खुश हो रही थीं और कभी दुखी | प्रिया  उन्हें कुछ चुप सी लग रही थी | और पूछने का सिरा कुछ हाँथ लग नहीं रहा था |
शादी के बाद भी राधा जी ने जब भी फोन किया  प्रिया  ने कभी खुल कर कुछ कहा ही नहीं | हर बात का एक  छोटा सा जवाब देती थी |
अंत में दोपहर को खाना खा कर जब मा बेटी आराम करने कमरे में लेटे  तो राधा जी ने पूछ ही लिया बेटी तू खुश तो है ना ?
प्रिया ने कहा माँ  मेरे गहने कपड़े  देख कितने कीमती हैं | वो तो देख रही हूँ बेटा पर तेरा  चेहरा तो उदास लग रहा है | मेरी बैचैनी और ना बढ़ा मेरे बच्चे बोल क्या बात है | राधा जी का स्वर भीग सा गया |
प्रिया बोली माँ तुम  भी अजीब हो शादी में ख़ुशी कब से मायने रखने लगी |  बड़ी सी गाडी में आई हूँ | कपड़े  लत्ते सब दामी हैं | जेवर से लदी  हूँ और क्या चाहिए आप को ?
आप ने मेरी शादी अफसर से की थी तो अब हम भी  मैडम जी कहलाते है | हा अगर मेरी शादी  किसी मेरे यौग्य व्यक्ति से करती तो शायद तुमको वो सब मेरे चेहरे पर दिखता जो तुम ख़ोज रही हो | माँ तुमने मुझसे यही कहा था बेटा शादी के लिए हाँ कर दो  कुंडली  भी मिल गई है और लड़का बहुत बड़ा अफसर है | तो अब मुझसे ऐसे सवाल मत पूछो  जिनका जवाब मेरे पास है ही नहीं |
और हाँ माँ गाड़ी में उपहारों के काफी सारे पैकेट है उन्हें आप रिश्तेदारों में बाँट देना मेरे सुखी होने का प्रमाण भी मै लाई हुं समाज को देने के लिए।  आज राधा जी को अपना ही फ़ैसला गलत लग रहा था | जिसको सुधारने की हिम्मत भी उनमे नहीं थी |
काश शादी के वक्त  कुंडली के साथ साथ  लड़के के व्यक्त्त्वि को भी लड़की के साथ मिला कर  देखा होता तो आज इस घर का माहौल कुछ और होता |