Swara Bhaskar poses indoors in a soft pink embroidered outfit, smiling warmly with loose wavy hair and minimal jewelry.
Swara Bhaskar

Summary: फिलिस्तीन के समर्थन में स्वरा भास्कर का बयान, लोगों ने उठाए पहलगाम पर चुप्पी के सवाल

स्वरा भास्कर ने 18 जून को मुंबई में होने वाली फिलिस्तीन समर्थक रैली का पोस्ट शेयर किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई। यूज़र्स ने उनकी पहलगाम आतंकी हमले पर चुप्पी और चुनिंदा मुद्दों पर संवेदनशीलता को लेकर सवाल उठाए।

Swara Bhaskar Trolling: बॉलीवुड अभिनेत्री और अपनी बेबाक राजनीतिक राय के लिए जानी जाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता स्वरा भास्कर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने मुंबई के आज़ाद मैदान में 18 जून को होने वाली गाज़ा और फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली का पोस्टर अपने आधिकारिक X अकाउंट पर शेयर किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई। इस बार मामला अंतरराष्ट्रीय है लेकिन बहस का मैदान देश के भीतर ही गर्माया हुआ है।

18 जून को मुंबई के आज़ाद मैदान में गाज़ा और फिलिस्तीन के समर्थन में एक एकजुटता रैली आयोजित की जा रही है, जिसका आयोजन वामपंथी दलों और सामाजिक संगठनों के गठबंधन द्वारा किया गया है। इसमें सीपीआई, सीपीआई(एम), सीपीआई(एमएल) लिबरेशन, समाजवादी पार्टी, एआईएफबी, आरपीआई (सेक्युलर) जैसे राजनीतिक दल शामिल हैं।

अपनी फिल्मों से अधिक अपने सामाजिक और राजनीतिक विचारों के कारण चर्चा में रहने वाली स्वरा ने हाल ही में मुंबई में होने वाली इस रैली को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने न सिर्फ सोशल मीडिया को दो भागों में बाँट दिया, बल्कि एक बार फिर यह सवाल उठा दिया कि क्या सेलिब्रिटीज़ को केवल ‘लोकप्रियता’ तक सीमित रहना चाहिए या सामाजिक जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए।

स्वरा भास्कर ने इस रैली के लिए समर्थन जताते हुए उसका पोस्टर अपने X अकाउंट पर शेयर किया और लिखा  “मुंबई.. Show up for Palestine on 18 June! 🇵🇸❤️✨#StopTheGenocideInPalestine”

इस पोस्ट में उन्होंने गाज़ा में चल रहे संघर्ष को “जनसंहार” बताते हुए भारत सरकार से अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

स्वरा का यह पोस्ट जल्द ही वायरल हो गया और इसके साथ ही शुरू हो गई तीखी बहस। जहां एक तबका उनके साहस की सराहना कर रहा है, वहीं दूसरा तबका उन्हें चुनिंदा मुद्दों पर ही संवेदनशील होने का आरोप लगा रहा है। कई लोगों ने उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए खासकर पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले को लेकर। आलोचकों ने विशेष रूप से हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र किया और पूछा कि जब देश में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तब स्वरा जैसी आवाज़ें चुप क्यों रहती हैं?

एक यूज़र ने लिखा “जब पहलगाम में निर्दोष लोग मारे गए, तब आपकी आवाज़ कहां थी? क्या उनका दर्द कम था?”दूसरे ने कहा “अगर आप इतनी चिंतित हैं, तो खुद फिलिस्तीन क्यों नहीं जातीं?”

कुछ यूज़र्स ने मुंबई पुलिस और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को टैग करते हुए यह भी पूछा कि क्या इस तरह की रैली की अनुमति ली गई है और क्या इसका आयोजन उचित है। सोशल मीडिया पर यह बहस भी छिड़ गई कि क्या ऐसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर इस तरह सार्वजनिक प्रदर्शन करना उचित है, खासकर तब जब देश के भीतर भी कई मानवीय संकट मौजूद हैं।

स्वरा भास्कर पहले भी कई राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलती रही हैं चाहे वह सीएए-एनआरसी का विरोध हो या रोहिंग्या शरणार्थियों का समर्थन। उनकी इस सक्रियता को जहां एक वर्ग ‘प्रगतिशील आवाज़’ मानता है, वहीं दूसरा वर्ग उन्हें एकतरफा और पक्षपाती कहता है।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...