Tannishtha Chatterjee Cancer: तनिष्ठा चटर्जी एक भारतीय अभिनेत्री और डायरेक्ट हैं, जो कई हिंदी और अंग्रेजी स्वतंत्र फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं। तनिष्ठा चटर्जी को चार महीने पहले मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर का पता चला था और इससे वह सदमे में आ गई थीं। इस दौरान एक्ट्रेस-डायरेक्टर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था और सिंगल मदर तनिष्ठा चटर्जी पिछले साल कैंसर से अपने पिता को खोने के बाद वह इस दर्द से उबर रही थीं लेकिन चार महीने पहले उन्हें अपनी इस बीमारी के बारे में जानकर झटका लगा। हालांकि, इतने बड़े तूफान से गुजरते हुए वह किसी योद्धा की तरह साबित हुई हैं। उन्होंने इस जंग की कहानी सुनाई और बताया कि कैसे सबकुछ पलट गया। साथ ही महिलाओं को एक सलाह भी दी।

दरअसल, हाल में तनिष्ठा चटर्जी ने बताया कि, ‘मेरे जीवन में सब कुछ बिखर गया है, लेकिन मैं टूटी नहीं हूं। मेरे इस अनुभव से सबसे बड़ी सीख मानवता है। लोग परवाह करते हैं, आपको बस उन तक पहुंचने की जरूरत है।’ जब उन्हें अपने ब्रेस्ट कैंसर का पता चला तो वह सदमे में आ गई थीं और ये सब तब हुआ जब वह एक फिल्म बना रही थीं।

हालांकि तनिष्ठा एक और बाधा को जीतने को लेकर पॉजिटिव हैं। लगातार फाइट करते रहने के विचार ने उन्हें थका दिया है। उन्होंने कहा, ‘पहली बार, मैं मजबूत होने से थक गई हूं। पिछले साल, मैंने अपने पिता को कैंसर की वजह से खो दिया। मेरे पास शोक करने का कोई समय नहीं था क्योंकि मुझ पर मेरी मां, जो 70 साल की हैं और मेरी बेटी, जो 9 साल की है, उनकी जिम्मेदारी थी। मुझे उनके लिए मजबूत होना था। अपने पिता को खोने के पांच दिनों के भीतर, मैं अपनी फिल्म एक रुका हुआ फैसला के सेट पर वापस आ गई थी। मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रही थी। मैंने उनके पसंदीदा गाने सुने और खुद को याद दिलाया कि मुझे आगे बढ़ना है। मेरा मानना है कि यह सब आपके स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है। जब मुझे स्टेज 4 ब्रेस्ट कैंसर का पता चला तो मैंने सोचा मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? क्या यह कर्म है? मैं तबाह हो गई थी।’

चटर्जी ने महिलाओं को मैमोग्राफी कराने की सलाह दी। साथ ही चटर्जी ने अपने स्वास्थ्य को हल्के में न लेने के महत्व पर जोर दिया। “मुझे इस बात पर बहुत गर्व था कि मुझे पहले कभी किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था।

वास्तव में, मैं घमंडी था क्योंकि मैं स्वस्थ था।””मैं 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को मैमोग्राफी कराने की सलाह दूंगी क्योंकि प्रारंभिक अवस्था में इसका पता लगाना लाभदायक हो सकता है।”उन्होंने यह भी बताया कि वह अब तक छह कीमोथेरेपी सत्रों से गुजर चुकी हैं।

बता दें, फिल्म देख इंडियन सर्कस में उनके प्रदर्शन के लिए, उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – विशेष जूरी पुरस्कार / फीचर फिल्म जीता । 2019 में उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म रोम रोम में निर्देशित की, जिसे टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दिखाया गया। उन्हें टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सहित अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में ले जाया ।

मेरा नाम नमिता दीक्षित है। मैं एक पत्रकार हूँ और मुझे कंटेंट राइटिंग में 3 साल का अनुभव है। मुझे एंकरिंग का भी कुछ अनुभव है। वैसे तो मैं हर विषय पर कंटेंट लिख सकती हूँ लेकिन मुझे बॉलीवुड और लाइफ़स्टाइल के बारे में लिखना ज़्यादा पसंद...