Child Depression Symptoms
Child Depression Symptoms

How to improve child focus(Parenting Mistakes): जब भी बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है या बच्चा ढंग से परफॉर्म नहीं कर रहा होता है तो पैरेंट सबसे पहले बच्चे को डांट फटकार लगीते हैं और दूसरा काम करते हैं ट्यूशन लगाना। अगर फिर भी रिजल्ट अच्छा नहीं आता तो बोलते हैं कि प्रॉब्लम बच्चों में ही है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शायद पढ़ाई में पीछे रहने की वजह पैरेंट्स से कुछ छोटी-छोटी गलतियां हो सकती हैं। आजकल की जेनरेशन काफी अलग है। इस दौर के बच्चे सिर्फ किताबों से ज्ञान नहीं सिखते बल्कि उन पर माहौल, मोटिवेशन और ट्रीटमेंट का गहरा असर पड़ता है। हर वक्त अगर बच्चे पर प्रेशर या टेंशन दिया जाए तो बच्चे अंदर-अंदर घुटने लगते हैं। उनका यह डर कि अगली बार अच्छे नंबर नहीं आए तो मम्मी पापा नाराज होंगे। बस इसी कारण से बच्चों की पढ़ाई से दूरी हो जाती है। 

पढ़ाई ना कर पाने का मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा लापरवाह है या उसे अपने भविष्य की चिंता नहीं है। कई बार जब बच्चे का माइंड डाइवर्ट होता है तो उन्हें इमोशनल हेल्प की भी जरूरत होती है, जबकि पैरेंट्स अक्सर सिर्फ पढ़ो और नंबर लाओ की रट लगाए रहते हैं। आइए जानते हैं ऐसी पांच पैरेंटिंग मिस्टेक्स के बारे में जो बच्चों के पढ़ाई में रुकावट बन जाती है। अगर इन बातों पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो ट्यूशन और डांट फटकार के बिना भी बच्चा काफी अच्छा परफॉर्म कर सकता है 

stop Comparing your child to everything
stop Comparing your child to everything

बच्चों की सबसे बड़ी दुश्मन होती है यह लाइन कि- देखो पड़ोसी का बच्चा कैसा है। अगर आप हर बात पर अपने बच्चों की तुलना किसी और से करते हो तो जाने अनजाने में बच्चों के अंदर इनसिक्योरिटी पैदा हो जाती है। ऐसे में बच्चा खुद को कम समझने लगता है और धीरे-धीरे उसका कॉन्फिडेंस भी गिरने लगता है। कभी भी अपने बच्चों की तुलना किसी और बच्चे से ना करें। हर बच्चे का इंटरेस्ट अलग होता है और योग्यता भी। कोशिश करना चाहिए कि आप अपने बच्चों की स्ट्रेंथ को पहचानें और उस हिसाब से उन्हें मोटिवेट करें। 

अगर आप बच्चे पर पढ़ाई का प्रेशर बनाओगे तो बच्चा धीरे-धीरे उससे भागने लगेगा। अगर आप हर वक्त बच्चों को डराने वाले शब्द बोलते हैं जैसे फेल हुआ तो कुछ भी नहीं दूंगा, रिजल्ट खराब आया तो गेम बंद। ऐसे में बच्चा पढ़ाई को इंजॉय करना छोड़ देता है और बस डर के मारे प्रेशर में पढ़ने लगता है। इस बात का ध्यान दें कि पढ़ाई को एक गेम की तरह बनाएं ना की प्रेशर की तरह। जब बच्चा रिलैक्स रहेगा तभी दिमाग से चीजों को पढ़ेगा और समझेगा।

Before explaining to your child, change yourself
Before explaining to your child, change yourself

अक्सर बच्चा वही करता है जो वह देखता है ना कि जो उसे समझाया जाता है। अगर आप खुद दिन भर फोन या टीवी में लगे रहते हैं तो आपका बच्चा भी आपसे यही सीखेगा। ऐसे में थोड़ा-थोड़ा समय निकाल कर बच्चों के साथ बैठें। उन्हें कुछ पढ़ाएं या खुद भी पढ़ें। इससे काफी पॉजिटिव मैसेज जाता है। बच्चों को प्रेरणा मिलती है कि इतना बिजी होने के बाद भी उनके पैरेंट्स जरूरी चीजें, जैसे पढ़ाई, मेडिटेशन इत्यादि करते हैं ऐसा करने से उन्हें मोटिवेशन मिलती है और वह जिम्मेदार बनते हैं। 

कई बार बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं कर पाता क्योंकि वह अंदर से काफी परेशान होता है। स्कूल में दोस्तों के साथ अनबन या खुद से खुश नहीं होना। ऐसी चीजें बच्चों को अंदर से परेशान कर देती हैं, लेकिन पैरेंट्स को बच्चों के इन इमोशंस को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। हर दिन कुछ देर बच्चों के साथ बैठकर स्कूल की बातें करनी चाहिए। उनसे यह बात पूछनी चाहिए कि उन्हें कोई बात परेशान तो नहीं कर रहा। जब अच्छा फील करेगा तो आप से अपनी बातें शेयर करेगा। तभी आप बच्चों की मदद कर पाएंगे। 

पढ़ाई में सिर्फ नंबर लाना ही बड़ी बात नहीं होती है लेकिन अफसोस यह है कि अधिकतर पैरेंट्स बच्चों से सिर्फ यही उम्मीद रखते हैं कि उनके नंबर बहुत अच्छे आएं। ऐसा रवैया बच्चों को एक मशीन बना देता है, जिससे वह चीजों को सीखने के बजाय सिर्फ नंबर के पीछे भागते हैं। नंबर तो जरूरी है ही लेकिन साथ में चीजों का समझना, इंटरेस्टिंग होना और ज्ञान बहुत जरूरी है। जब बच्चे को चीजें इंटरेस्टिंग लगेंगी तो वह खुद पढ़ाई में रुचि लगाएगा। इसलिए नंबर से ज्यादा ज्ञान पर बच्चों का फोकस बढ़ाएं।

प्रतिमा 'गृहलक्ष्मी’ टीम में लेखक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। डिजिटल मीडिया में 10 सालों से अधिक का अनुभव है, जिसने 2013 में काशी विद्यापीठ, वाराणसी से MJMC (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की। बीते वर्षों...