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लोग आज भी फर्टिलिटी के लिए महिलाओं को जिम्मेदार मानते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि इसमें पुरुषों का भी अहम रोल होता है। चलिए आज जानते हैं सेक्स और फर्टिलिटी से जुड़े ऐसे ही मिथक और सच्चाई के बारे में।
Sex and Fertility Myth: हमारे समाज में ‘सेक्स’ आज भी एक ऐसा शब्द है, जिसके बारे में लोग खुलकर बात नहीं करते हैं। यही कारण है कि सेक्स और फर्टिलिटी को लेकर भारत में कई मिथक हैं। लोग आज भी फर्टिलिटी के लिए महिलाओं को जिम्मेदार मानते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि इसमें पुरुषों का भी अहम रोल होता है। चलिए आज जानते हैं सेक्स और फर्टिलिटी से जुड़े ऐसे ही मिथक और सच्चाई के बारे में।
मिथक 1 : लंबे समय तक गर्भनिरोधक हानिकारक

तथ्य : अधिकांश लोग यह मानते हैं कि लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। हालांकि यह पूरी तरह एक मिथक है। गर्भनिरोधक गोलियां अस्थायी रूप से ओव्यूलेशन को दबाती हैं। लेकिन ये प्रजनन क्षमता को स्थायी रूप से प्रभावित नहीं करती हैं। जब आप गर्भनिरोधक गोलियां लेना बंद करते हैं तो प्रजनन क्षमता फिर से सामान्य हो जाती हैं।
मिथक 2 : पुरुषों की फर्टिलिटी पर उम्र बेअसर

तथ्य : माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर होता है। लेकिन पुरुषों के प्रजनन क्षमता पर उम्र बेअसर है। लेकिन ऐसा नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के साथ ही पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी कम होने लगती है। बढ़ती उम्र के कारण महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों कम होने लगती हैं। साथ ही पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी भी गिरने लगती है। हालांकि बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल के कारण कम उम्र की महिलाओं में भी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
मिथक 3 : एक्सरसाइज घटाती है फर्टिलिटी
तथ्य : सेहतमंद रहने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि एक्सरसाइज करने से महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि मॉडरेट एक्सरसाइज यानी मध्यम व्यायाम से प्रजनन क्षमता बढ़ने में मदद मिलती है। हालांकि अगर महिलाएं बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करती हैं तो पीरियड्स लेट होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अगर आप गर्भधारण की सोच रही हैं तो आपको हल्की एक्सरसाइज ही करनी चाहिए।
मिथक 4 : इमोशनल हेल्थ नहीं रखती मायने
तथ्य: लोगों की सोच के वितरित अध्ययन बताते हैं कि इमोशनल हेल्थ और फर्टिलिटी के बीच गहरा संबंध है। तनाव के कारण महिलाओं और पुरुषों दोनों के ही हार्मोन पर असर पड़ता है। ऐसे में अंडों और शुक्राणुओं दोनों की गुणवत्ता कम होने का डर रहता है। इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता की प्रभावित होती है। ऐसे में सेक्स के साथ ही भावनाएं होना जरूरी है।
मिथक 5 : नियमित सेक्स से बढ़ती है फर्टिलिटी
तथ्य : ऐसा नहीं है कि नियमित सेक्स से प्रजनन की क्षमता बढ़ती है। बल्कि सही समय पर सेक्स से फर्टिलिटी की संभावना ज्यादा होती है। यानी महिलाओं के ओव्यूलेशन पीरियड से 24 से 48 घंटे पहले गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इसका रोज सेक्स करने से कोई संबंध नहीं है। वहीं नियमित सेक्स करने से पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या कम होने का आशंका बढ़ सकती है। इसलिए अगर गर्भधारण करना है तो महिलाओं के ओव्यूलेशन समय का ध्यान रखना जरूरी है।
