दो मित्र एक जंगल से गुजर रहे थे। रास्ते में उन्हें एक साधु मिला। उसने उन्हें आगाह किया कि जंगल में एक पुराना खंडहर है, उसमें मत जाना क्योंकि वहाँ एक राक्षस है जो लोगों को खा जाता है। दोनों बहुत हंसे और उसकी सलाह को अनसुना करके आगे बढ़ गए। अंदर आकर उन्होंने खंडहर देखा तो वहाँ एक पेड़ से बंधा हुआ ऊंट दिखाई दिया। उसकी पीठ पर खजाना लदा था।
पास ही कुछ शव पड़े थे, जिन्हें देखकर लगता था कि वे लोग दस्यु ही रहे होंगे। एक बोला कि लगता है इन डाकुओं में लूट के माल को लेकर झगड़ा हुआ होगा, जिसमें इनकी जानें गईं और शायद साधु बाबा इस खजाने को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं, इसलिए हमें यहाँ आने से डरा रहे थे। दूसरे ने सहमति व्यक्त की और कहा कि अब हम इस खजाने को अपने घर ले जाएंगे और आधा-आधा बांट लेंगे।
दोनों ऊंट को खोलकर अपने साथ ले चले। रास्ते में एक स्थान पर वे विश्राम के लिए रुके और भोजन करने का विचार बनाया। खाना लग गया। तभी एक मित्र लघुशंका के बहाने वापस खंडहर में आया और एक डाकू के पास पड़ी पिस्तौल उठाकर अपने कपड़ों में छिपा ली। उधर दूसरे मित्र ने अवसर पाकर पहले से खाने में जहर मिला दिया ताकि सारा खजाना वह अकेले ही हड़प सके। जब पहला मित्र लौटा तो उसने पूरा खजाना कब्जाने के चक्कर में अपने मित्र को गोली मार दी। उसका वहीं प्राणांत हो गया। इसके बाद वह खाना खाने बैठ गया। विष मिले भोजन ने उसकी भी जान ले ली।
सारः लालच का राक्षस बहुत घातक होता है।
ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–Anmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)
