नन्द गांव में श्रीकृष्ण जन्म बधाई उत्सव रक्षाबंधन से ही शुरू हो जाता है। कृष्ण काल की प्राचीन परंपरानुसार अनवरत् चल रहे इस उत्सव में भाद्रपद कृष्ण द्वितीय से यहां के ‘नन्द भवन’ में मदलिरा व चाव आदि वाद्ययंत्रों पर बधाई गायन होने लगता है। ब्रज बालाएं ‘ब्रज भयौ है महरि के पूत…’ व ‘रानी चिर जीवै तेरौ श्याम…’ आदि बधाई गीत गा-गा कर नृत्य करने लग जाती हैं। ढांढी-ढांढिन नृत्य भी होते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां सुबह से ही विभिन्न कार्यक्रमों की झड़ी लग जाती है।

प्रात:काल व्रत विधान

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को प्रात: से ही अधिकांश घरों में व्रत रखा जाता है। कुछ लोग अन्न तो क्या जल तक ग्रहण नहीं करते हैं। घर-घर में धनिया की पंजीरी व पंचामृत बनाया जाता है। सारे दिन भजन-कीर्तन के कार्यक्रम चलते हैं। रात्रि को जैसे ही 11 बज कर 45 मिनट होते हैं, ब्रज के प्राय: हर एक मंदिर व घर से शंख, घंटा, घडिय़ाल आदि की आवाज गूंज उठती है। सभी अपने-अपने ठाकुर विग्रहों का पंचामृत से अभिषेक करते हैं। श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव का प्रमुख कार्यक्रम मथुरा की श्रीकृष्ण जन्म भूमि में होता है। लोग बाग यह कह-कह कर नाच उठते हैं –

 

‘नन्द के आनंद भये, जय कन्हैया लाल की

ज्वानन कूं हाथी-घोड़ा, बूढन कूं पालकी।’

 

 

 

इसके अलावा ब्रज के सभी मंदिरों में ठाकुर जी के नयनाभिराम श्रृंगार होते हैं। साथ ही उनके जन्म की खुशी में नौबत बजाई जाती है। वृंदावन के ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में वर्ष भर में केवल इसी दिन प्रात: काल अन्य मंदिरों की तरह मंगला आरती होती है। समूचे ब्रज में दीपावली जैसी धूम रहती है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यमुना जल एवं पंचामृत से अभिषेक

जन्माष्टमी को प्रात:काल राधा दामोदर मंदिर के गोस्वामी गण यमुना से यमुना जल लाकर उसमें कई कुंटल दूध, दही, घी, शहद, बूरा, पंचमेवा, औषधियां व जड़ी-बूटियां आदि मिलाते हैं। प्रात: साढ़े नौ बजे इस द्रव्य से वहां विराजित समस्त सातों ठाकुर स्वरूपों एवं उस गिरिराज शिला का अभिषेक किया जाता है जिसे कि भगवान श्रीकृष्ण ने श्रील सनातन गोस्वामी को यह कह कर दी थी कि इसकी चार परिक्रमा कर लेने मात्र से उन्हें गोवर्धन की सप्त कोसी परिक्रमा कर लेने का पुण्य फल मिलेगा। अभिषेक के दौरान वैदिक मंत्रों का पाठ भी चलता है।

दोपहर को ठाकुर जी व गिरिराज शिला के अति सुंदर दर्शन होते हैं। इस अवसर पर भक्तजन आनंद विभोर हो कर ब्रज के लोक गीत व रसिया गाते हैं। सांयकाल ठाकुरजी को छप्पन प्रकार के व्यंजनों से भोग लगाया जाता है।

रात्रि 12 के स्थान पर प्रात: 12 बजे अभिषेक

राधारमण मंदिर में जन्माष्टमी पर ठाकुरजी का अभिषेक रात्रि के 12 बजे के स्थान पर दोपहर 12 बजे होता है। इस दिन मंदिर के श्री विग्रह को नवीन पीत वस्त्र धारण कराए जाते हैं। साथ ही उन्हें स्वर्ण सिंहासन पर विराजित किया जाता है। इस दिन इस मंदिर में तिल पंजीरी पाक का विशेष भोग लगाया जाता है। साथ ही विशेष उत्सव आरती भी होती है। अगले दिन नंदोत्सव मनाया जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नन्दोत्सव

जन्माष्टमी के अगले दिन समूचे ब्रज में नन्दोत्सव की धूम रहती है। हरेक घर व मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को पालने में झुलाया जाता है और बधाईयां गाई जाती हैं। हर घर, आश्रम व मंदिर में पूड़ी-पकवान बनते हैं। जगह-जगह दधिकांदा होता है, जिसमें दही में हल्दी मिला कर एक-दूसरे पर उचीला जाता है। लोग-बाग यत्र-तत्र फल, मेवा, मिष्ठान लुटाते हैं। हरेक इसे कान्हा का प्रसाद समझ कर लूटता है।

सोने के पालने में होते हैं कान्हा के दर्शन

नंदोत्सव पर नन्द गांव के नन्द भवन में भगवान श्रीकृष्ण के स्वर्ण पालने में दर्शन होते हैं। बरसाना वासी, नन्दगांव वासियों को श्रीकृष्ण के जन्म की बधाई देने नन्द गांव आते हैं। साथ ही यहां स्थित नंद कुंड नामक सरोवर पर मल्ल युद्ध प्रिय श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम की स्मृति में विशाल दंगल का आयोजन होता है, जिसमें देश के तमाम नामी गिरामी पहलवान भाग लेते हैं।

वृंदावन के राधा दामोदार मंदिर में नन्दोत्सव ‘आनन्द महोत्सव’ के रूप में अति उल्लास के साथ मनाया जाता है। ब्रजवासी बालक मंदिर प्रांगण में होने वाली मटकी फोड़ लीला में भाग लेकर नाना प्रकार की अठखेलियां करते हैं। लूटने वाले अपने आपको अत्यंत धन्य समझते हैं। मंदिर प्रांगण में दूध-दही विशेष रूप से बिखेर दिया जाता है। इसका कारण यह बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण बाल क्रिया के दौरान दूध-दही को जमीन पर गिरा दिया करते थे। इसी परंपरा का प्रदर्शन आज भी यहां होता है। भक्तगण कीर्तन करते हैं, नाचते हैं, खुशियां मनाते हैं। यह कार्यक्रम दोपहर तक चलता है। लड्डू गोपाल स्वरूप ठाकुर जी झूले पर झूलते हैं और माताएं-बहिनें अपने आराध्य ठाकुर के बाल रूप को निहारते हुए बलइयां लेती हैं। इस दिन यहां खीर का विशेष प्रसाद भी बंटता है।

(साभार – साधनापथ)

 

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