फैशनेबुल दिखने के नाम पर अधिकतर लोगों के दिमाग में पहला शब्द आता है कि डिजाइनर कपड़े पहने या ट्रेंड को फॉलो करें। समय-समय पर बॉर्डरोब के कलेक्शन में बदलाव को महिलाएं अपना स्टाइलस्टेट्मेंट मानती हैं। वैसे भी महिलाएं शॉपिंग के लिए सदियों से मशहूर हैं और आज के समय ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन ने महिलाओं के अंदर शॉपिंग का क्रेज और भी बढ़ा दिया है। विज्ञापनो की बढ़ती दुनिया अब मोबाइल तक पहुंच चुकी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं फैशन एप की। पिछले महीने मैं लाजपतनगर गई थी शॉपिंग के लिए, वहां मुझे 3000 की शॉपिंग के बाद एक डिस्काउंट ऑफर दिया गया। लेकिन उसके लिए मुझे लावेला नाम का एक फैशन एह्रश्वप डाउनलोड करना था। इस एप के माध्यम से अब मैं अपने मोबाइल पर लाजपत नगर के सभी स्टोर्स के कलेक्शन देख सकती हूं।
इसी तरह फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, वोनिक, जिवॉमें, पैंटालून और डब्लू जैसे ब्रांड के फैशन एप भी उपलब्ध हैं। इनमें मिलने वाले धमाकेदार सेल के ऑफर हर किसी को मजबूर कर देते हैं शॉपिंग के लिए। इसके अलावा जनपथ और सीपी की स्ट्रीट शॉपिंग भी एक अच्छा ऑह्रश्वशन है। वहां हर रेंज में हर तरह कलेक्शन मिल जाते हैं।
पूरे महीने की सैलरी शॉपिंग में खर्च कर लेने के बाद 10 दिन बाद फिर मेरे सामने यही समस्या आ गई कि मैं कुछ अलग दिखने के लिए पहनं क्या। क्योंकि नए कपड़े आते ही पुराने कपड़े वॉर्डरोब में नीचे दब जाते हैं। फिर कुछ दिनों के बाद लगता है कि हमारे ज्यादा कुछ पहनने के लिए है ही नहीं और अब शॉपिंग की जरूरत है।
मेरी तरह अधिकतर वॄकग वुमन के सामने हर रोज सुबह यही मुश्किल आती है कि वे आज पहनें क्या। ऑफिस आने के बाद दिनभर में दोस्तों के बीच एक आध बार कपड़ों की चर्चा हो ही जाती है। रोज सुबह उनकी भी यही मुश्किल होती है। ह्रिश्वाछले दिनों हुई वैडिंग एशिया एक्जीबिशन में मैं कई डिजाइनर्स से मिली। अपनी इस समस्या के विषय में मैंने वहां मौजूद फैशन डिजाइनर राखी देव वर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ आपकी नहीं, बल्कि अधिकतर महिलाओं की है।
मेरे पास अक्सर महिलाएं इसी के कंसल्टेशन के लिए आती हैं कि वे अपने वॉर्डरोब में किस तरह का बदलाव लाएं। मैं उनको भी ये सलाह देती हूं और आपको भी दे रही हूं कि जरूरी नहीं है कि बदलते ट्रेंड के साथ शॉपिंग करें। बल्कि हमें अपनी वॉर्डरोब में रोटेशन करना चाहिए।
क्या पहने इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए एक अच्छा विकल्प है कि आप कलर के हिसाब से दिन को विभाजित कर लें। जैसे सोमवार से लेकर शनिवार तक ऑफिस डे होता है तो सोमवार को व्हाइट या ग्रीन कलर पहनें, उसके साथ कोई डार्क कलर का कॉम्बिनेशन भी रख सकती हैं। मंगलवार को ऑरेंज किसी दूसरे कलर कॉम्बिनेशन के साथ पहनें। बुधवार को ग्रीन कलर पहनें। ब्रृहस्पतिवार को यलो स्काई ब्लू कॉम्बिनेशन के साथ पहनें और शुक्रवार को रेड या पिंक डैनिम के साथ पहनें। शनिवार को ब्लैक ड्रेस पहनें। इन कलर्स को बचे हुए कलर के साथ कॉम्बिनेशन में पहन सकती हैं।
इसी तरह कलर के हिसाब से दिन बांट लेने से रोज सुबह आपको यह मुश्किल नहीं होगी कि पहनना क्या है? दिन तय कर लेने के बाद अलग-अलग रंगों को कपड़ों को विभाजित कर लें। जैसे कि आपके पास 8 ऑरेंज ड्रेस हैं और सप्ताह में ऑरेंज का एक ही दिन है। तो अगले 8 सप्ताह के लिए मंगलवार की आपकी ड्रेस तैयार है। इस तरह पूरे महीने आप अपने लुक में बदलाव भी महसूस करेंगी और कपड़े जल्दी रिपीट भी नहीं होंगे।
इस तरह का फॉर्मूला आप अपनी ड्रेस के साथ एक्सेसरीज में भी ट्राई कर सकती हैं। उनके इस सुझाव के बाद रोज सुबह कपड़ों को लेकर आने वाली मुश्किलें मेरे लिए काफी असाान हो गईं। ये रोटेशन केवल आप ऑफिस वियर में ही नहीं बल्कि हैवी पार्टी ड्रेसेज में भी कर सकती हैं। अगर बदलाव करना है तो अपने हेयरस्टाइल व मेकअप के साथ करें। इससे हर पार्टी में आप अलग लुक के साथ नजर आएंगी। इसके अलावा आप अपनी बहन या भाभी के कपड़ों को भी एक्सचेंज कर के पहन सकती हैं। इस तरह के सुझाव केवल हमारी मुश्किलों को ही आसान नहीं करते हैं बल्कि सीख भी देते हैं कि मुश्किलें पैसे से नहीं बल्कि समझदारी से सुलझती हैं।