ना चल पाने वाले भी दौड़ने लगेंगे, एक चिप का चमत्कारी प्रभाव: Digital Bridge
Digital Bridge

Digital Bridge: जब इंसान के दिमाग और रीढ़ की हड्डी के बीच का कनेक्शन टूट जाता है तो उसे जोड़ना एक मुश्किल काम होता है। ऐसे में इंसान लकवाग्रस्त हो सकता है। लेकिन अब विज्ञान ने इस कनेक्शन को जोड़ने के लिए डिजिटल ब्रिज बना लिया है। यह ब्रिज उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा, जो लकवे के कारण चलने में असक्षम थे। इतना ही नहीं इस नई तकनीक से लकवाग्रस्त लोग सीढ़ियां तक चढ़ सकेंगे। चलिए जानते हैं विज्ञान के ​इस बड़े चमत्कार के बारे में।

ऐसे काम करता है डिजिटल ब्रिज

इंटरफेस टूट चुकी रीढ़ की हड्डी और दिमाग के बीच फिर से कनेक्शन बनाएगा।
The interface will re-establish a connection between the severed spinal cord and the brain.

स्विट्जरलैंड के लुसाने स्थित स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की टीम ने यह इंटरफेस बनाया है जो टूट चुकी रीढ़ की हड्डी और दिमाग के बीच फिर से कनेक्शन बनाएगा। यह इंटरफेस इलेक्ट्रिक स्विच या फिर टच स्क्रीन की तरह काम करता है, जो संकेत मिलते ही एक्शन मोड में आ जाता है। वैज्ञानिक ग्रेग्रोइरी कोर्टिने के अनुसार इस इंटरफेस से व्यक्ति के विचार संकेत मिलते ही एक्शन में बदल जाते हैं। इस डिवाइस की मदद से मस्तिष्क स्पाइन के उस क्षेत्र में संदेश भेजता है, जो इंसान को चलाने में मददगार होता है।

संकेत मिलने के बाद इंसान फिर से चलने में सक्षम हो जाता है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने रीढ़ की दो डिस्क की आकार की डिवाइस पीड़ित में इंप्लांट की। जिससे 64 इलेक्ट्रोग्रिड वाली यह डिवाइस बिजली के करंट से रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से को सक्रिय करे। इसमें स्पंदन होते ही दिमाग उस हिस्से को संदेश भेजता है जो हमारे चलने फिरने के लिए जिम्मेदार होता है। नतीजन शख्स के सोचने के साथ ही वह चल पाता है।

तीन लोगों पर किया ट्रायल

 गर्ट 12 साल पहले एक मोटर बाइक हादसे की वजह से पैरालाइज हो गए थे।
Gert became paralyzed 12 years ago due to a motor bike accident.

​शुरुआत में वैज्ञानिकों ने इस डिवाइस का तीन लोगों पर ट्रायल किया है। इनमें से एक हैं नीदरलैंड्स के 40 वर्षीय गर्ट जान ओस्कम। गर्ट 12 साल पहले एक मोटर बाइक हादसे की वजह से पैरालाइज हो गए थे। उनके दोनों पैर और एक हाथ काम नहीं करता था। अब इस डिवाइस के जरिए गर्ट चलने में सक्षम हो पाए हैं।

हालांकि इसके लिए गर्ट करीब 40 परीक्षणों से गुजरे हैं। वर्तमान में गर्ट का सक्रियता के पैरामीटर पर पूर्ण नियंत्रण है। मतलब वे खुद उठकर चल सकते हैं, रुक सकते हैं और जरूरत प​ड़ने पर सीढ़ियां भी चढ़ सकते हैं। अन्य लोगों पर परीक्षण जारी है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह डिवाइस कई लोगों के लिए वरदान साबित होगी।

भावुक ओस्कम की खुशी का ठिकाना नहीं

अपने पैरों पर खड़ा होकर ओस्कम बेहद खुश हैं। वे कहते हैं कि मेरी इच्छा थी कि मैं फिर से चल सकूं, मुझे विश्वास था कि ऐसा जरूर होगा और आज वो दिन आ गया है। ओस्कम ने बताया कि उन्होंने इससे पहले भी अपने पैरों पर फिर से खड़े होने के लिए कई चीजों का उपयोग किया, लेकिन अब इस डिवाइस से यह संभव हो पाया है। ओस्कम इस डिवाइस की मदद से एक दिन में करीब 330 फीट चलने में सक्षम हैं। वे बिना हाथ के सहारा लिए खड़े हो पाते हैं।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...