पेरेंट्स के झगड़ों से प्रभावित होती है बच्चे की मानसिकता, इन कारकों को ना करें नजरअंदाज: Parenting Tips
बच्चे छोटे जरूर होते हैं, लेकिन उन्हें सारी बातें समझ में आती है। हर घर में छोटे-मोटे झगड़े होते रहते हैं। बात तब बढ़ जाती है, जब माता-पिता अपने बच्चों के सामने ही झगड़ना शुरू कर देते हैं।
Parenting Tips: बच्चों का मन बेहद कोमल होता है। वह छल-कपट से कोसों दूर रहते हैं। ऐसे में आप और आपका पार्टनर बच्चों के सामने प्रतिदिन लड़ते हैं, फिर यह सोचते है कि आपके बच्चे को यह सारी बातें समझ में नहीं आती हैं, तो आप ऐसा सोचकर बिल्कुल गलत कर रहे हैं। बच्चे छोटे जरूर होते हैं, लेकिन उन्हें सारी बातें समझ में आती है। हर घर में छोटे-मोटे झगड़े होते रहते हैं। बात तब बढ़ जाती है, जब माता-पिता अपने बच्चों के सामने ही झगड़ना शुरू कर देते हैं। शुरुआती दौर में बच्चों पर इसका कुछ खास असर नहीं दिखाई देता है। उस खराब माहौल का असर बच्चे पर भविष्य में होता है। एक सर्वे के अनुसार जिन परिवारों में संघर्ष और नकारात्मक अनुभव बड़े पैमाने पर होते हैं, वहां बड़े होने वाले बच्चों की मानसिकता अन्य बच्चों से अलग होती है। आज हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने वाले हैं, जो अगर आपको अपने बच्चे में दिखाई देते हैं, तो आप उसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें।
असुरक्षित महसूस करना

बच्चों के सामने माता-पिता के बीच में छोटी-मोटी बहस होना आम बात है। लेकिन, अगर यह हिंसक हो जाए, तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। ऐसे में वह एक ऐसा घर चाहते हैं, जहां उन्हें लड़ाई देखने को ना मिले और उनकी भावनाओं को मजबूती मिले। लेकिन, जब माता-पिता अपने बच्चों के सामने ही एक दूसरे से लड़ाई करते हैं, तो बच्चे पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है और वह बेचैन रहने लगते हैं।
आत्मविश्वास खत्म होना

बच्चों में बचपन से ही आत्मविश्वास होना जरूरी है। क्योंकि, यही एक वह चीज है, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है। लेकिन, अपने पेरेंट्स को हमेशा लड़ते देखने वाले अधिकांश बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है। बच्चों को ऐसा लगता है कि कहीं माता-पिता के बीच में जो झगड़े हो रहे हैं, उसका कारण वही तो नहीं है? इससे उनके भीतर अपराध बोध की भावनाएं भी पैदा होती है और उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचती हैं।
ध्यान केंद्रित ना कर पाना
माता-पिता के झगड़े से बच्चों की एकाग्रता भी भंग होती है। वह शांत जगह पर रहकर भी अपने कामों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर पैरंट्स अपने बच्चों में ऐसा कुछ लक्षण देखते हैं, तो उन्हें तुरंत सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि, अगर उन्होंने थोड़ा सा भी नजरअंदाज किया, तो उनके बच्चे के भविष्य पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा।
माता-पिता को खोने का डर

अक्सर पेरेंट्स बच्चों के सामने ही लड़ते वक्त तक एक-दूसरे को घर से निकालने की बातें करते हैं। जो बच्चों के मन पर गलत प्रभाव डालती हैं। बच्चों को लगता है कि अगर माता-पिता में से कोई भी एक व्यक्ति घर छोड़कर चला गया तो उनका क्या होगा? बच्चे इस वजह से कई बार झगड़ालू स्वभाव के भी हो जाते हैं। वह लोगों से बदजुबानी भी करने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को सतर्क रहने की जरूरत हैं।
हर बात पर झूठ बोलना
अगर कोई बच्चा बचपन से ही अपने माता-पिता से झूठ बोलता आ रहा है, तो इसके कई कारण होते हैं। बच्चे कई बार माता-पिता के झगड़ों से बचने के लिए झूठी कहानियां बनाते हैं और उन्हें सुनाते हैं। ताकि, वह उन झगड़ों से अपने आप को सुरक्षित रख सकें। अगर आप भी अपने बच्चों की झूठ बोलने की आदत से परेशान हो चुकी है, तो ऐसे में संभलने की जरूरत आपको है। क्योंकि, बच्चे पेरेंट्स के झगड़ों की वजह से ही झूठ बोलना शुरु कर देते हैं और यह आदत उनकी आगे जाकर भी नहीं बदलती हैं।
खाने और सोने में समस्या
वैसे बच्चे हमेशा खाने-पीने में नखरे करते हैं। लेकिन, वह कुछ भी खाना पसंद ना करें तो इसका मतलब यह है कि उनके घर का माहौल सही नहीं है। जिन भी बच्चों के घर पर झगड़े होते हैं, उनके खाने और सोने के तरीकों में बेहद अंतर होता है। इसलिए, माता-पिता अपने बच्चों के किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज ना करें, क्योंकि यह उनके बच्चे के लिए घातक हो सकता हैं।
