50 प्रतिशत वर्किंग मम्मियां रहती हैं डिप्रेशन में, रिश्तों पर पड़ रहा है इसका गहरा असर: Depression of Mom
Depression of Mom

Depression of Mom: हर महिला को परफेक्ट हाउस मेकर भी बनना है, साथ ही अच्छी मां भी, घर की आदर्श बहू भी वहीं हैं तो रिश्तेदारों की मददगार भी, आफिस में उन्हें पुरुषों से आगे निकलकर दिखाना है। सच कहें तो एक महिला के जीवन में संघर्षों की लंबी लिस्ट शामिल है। जिंदगी के हर पायदान पर उनसे उम्मीद करने वाले खड़े हैं, उसे जज करने वाले भी कम नहीं हैं। ऐसे में कहीं न कहीं एक महिला तनाव महसूस करने लगती है। कभी-कभी वह हिम्मत दिखाती है तो कभी-कभी खुद को ठगा सा महसूस करती है।

डिप्रेशन का शिकार महिलाएं

Depression of Mom
42 percent of working mothers have admitted that they are victims of depression and anxiety.

घर और दफ्तर के बीच फंसी मांओ के सामने समस्या और भी विकट होती है। उन्हें हर वक्त एक चिंता घेरे रहती है, यही कारण है कि वे डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। पिछले दिनों हुए एक हेल्थ सर्वे के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत वर्किंग महिलाएं डिप्रेशन और एंजायटी की शिकार हैं। एक ओर महिलाएं वर्किंग होकर आत्मनिर्भर होने का संदेश दे रही हैं तो दूसरी ओर जिम्मेदारियों का बोझ उन्हें अंदर ही अंदर परेशान कर रहा है।

सर्वे के अनुसार 42 प्रतिशत वर्किंग मांओं ने इस बात को स्वीकारा है कि वे डिप्रेशन और एंजाइटी की शिकार हैं। हैरानी की बात ये है कि 25 प्रतिशत वो वर्किंग वूमन जिनके बच्चे नहीं है, वो भी एंजाइटी से परेशान हैं। ऐसे में बात साफ है कि महिलाओं पर खुद को साबित करने का एक अनकहा पियर प्रेशर है, जो उन्हें प्रभावित कर रहा है।

रिश्तों पर पड़ रहा है गहरा असर

50 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकारा कि वर्क प्रेशर के कारण उनके फैमिली, पति और फ्रेंड्स से रिलेशन खराब हो रहे हैं।
50 percent of the women admitted that due to work pressure their relations with family, husband and friends are deteriorating.

यह बात एकदम सच है कि जब आप तनाव या डिप्रेशन में होते हैं तो आपको कुछ भी अच्छा नहीं लगता। अधिकांश घरों में महिलाएं घर में सबसे पहले उठती हैं और रात में सबकुछ संभालकर सबसे बाद में सोती हैं। कभी-कभी तो दिनभर काम करके महिलाएं इतना थक जाती हैं कि घर में होने वाली थोड़ी सी आवाज भी उन्हें बर्दाश्त नहीं होती। इस तनाव का असर उनके रिश्तों पर पड़ता है। सर्वे में 50 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकारा कि वर्क प्रेशर के कारण उनके फैमिली, पति और फ्रेंड्स से रिलेशन खराब हो रहे हैं।

नहीं रखती अपना ध्यान

सर्वे में सामने आया कि महिलाएं न ही अपनी सेहत का ध्यान रखती हैं और न ही मेंटल हेल्थ का।
It was revealed in the survey that women neither take care of their health nor of mental health.

एक महिला की यही कोशिश होती है कि वह अपने परिवार के हर सदस्य की इच्छा का पूरा ध्यान रखे। उसे पूरा करें, लेकिन इस चक्कर में वह खुद का ध्यान रखना ही भूल जाती है। सर्वे में यह कड़वी सच्चाई भी सामने आई है। सर्वे में सामने आया कि महिलाएं न ही अपनी सेहत का ध्यान रखती हैं और न ही मेंटल हेल्थ का।

वहीं पुरुष महिलाओं के मुकाबले में अपना ध्यान ज्यादा रखते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में हुई एक स्टडी के अनुसार जो महिलाएं ज्यादा काम करती हैं उनमें डिप्रेशन की आशंका भी ज्यादा होती है। वीक में 55 घंटे से ज्यादा काम करने वाली महिलाओं में, वीक में 35 से 40 घंटे काम करने वाली महिलाओं के मुकाबले 7.3 प्रतिशत तक डिप्रेशन में जाने की आशंका ज्यादा होती है। ऐसे में यह बात साफ है कि काम का असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है।

कुछ कदम आप भी बढ़ाएं

सर्वे के अनुसार परिवार की जिम्मेदारियां महिलाओं पर अधिक रहती है।
According to the survey, the responsibilities of the family remain more on women

किसी भी वर्किंग वूमन के सामने चुनौतियां ज्यादा होती हैं। उन्हें कदम कदम पर खुद को साबित करना होता है। हालांकि आपने अक्सर पुरुषों को यह कहते सुना होगा कि पत्नी वर्किंग है तो वे भी उसकी मदद करते हैं, लेकिन फिर भी एक महिला के पास काम हमेशा ज्यादा ही रहता है। सर्वे में यह कड़वी सच्चाई खुलकर सामने आई। सर्वे के अनुसार परिवार की जिम्मेदारियां महिलाओं पर अधिक रहती है। वहीं अगर परिवार में बच्चे हैं तो इसमें और भी इजाफ हो जाता है। टाम्पा में दक्षिण फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर जोनाथन रोटेनबर्ग के अनुसार घर की जिम्मेदारी के अलावा महिलाओं में होने वाले हार्मोन चेंज भी डिप्रेशन का कारण है। ऐसे में परिवार को इन्हें सहारा देना चाहिए।

ऐसे पहचानें कि आप डिप्रेशन में हैं

अगर आपका मन दो सप्ताह या उससे ज्यादा उदास रहता है तो आप डिप्रेशन में हो सकती हैं।
If your mood remains sad for two weeks or more, then you may be in depression.

भारत में लोग मेंटल हेल्थ या फिर डिप्रेशन-एंजायटी को लेकर ज्यादा सचेत नहीं हैं। वे इस बारे में ज्यादा सोचते ही नहीं हैं। लेकिन यह एक बड़ी गलती है। क्योंकि लंबे समय तक रहने वाला डिप्रेशन आगे चलकर आपके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। इसलिए समय रहते डिप्रेशन को पहचानें। इसके कुछ लक्षणों पर गौर करें। अगर आपका मन दो सप्ताह या उससे ज्यादा उदास रहता है तो आप डिप्रेशन में हो सकती हैं।

इसके साथ ही अगर आपका किसी से बात करने का मन नहीं कर रहा है, आपके आत्मविश्वास में लगातार कमी आ रही है, आपको हर छोटी-छोटी बात पर रोना आ जाता है, हर काम को करने में थकान जल्दी महसूस होने लगती है, कोई भी काम करने का मन नहीं करता तो निश्चित तौर पर आप डिप्रेशन में हैं। डिप्रेशन के कुछ और लक्षण भी हो सकते हैं। जिनमें हर समय घबराहट होना, भूख ज्यादा या कम लगना या फिर किसी डिसीजन को लेने में परेशानी होना जैसे लक्षण शामिल हैं। अगर आप भी खुद में ये परिवर्तन महसूस कर रही हैं तो आपको मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए।

अपने लिए खुद लें स्टेंड

अगर आप भी डिप्रेशन में हैं और इस स्थिति से बाहर आना चाहती हैं तो खुद के लिए आपको स्टेंड लेना होगा।
If you are also in depression and want to come out of this situation, then you have to take a stand for yourself.

अगर आप भी डिप्रेशन में हैं और इस स्थिति से बाहर आना चाहती हैं तो खुद के लिए आपको स्टेंड लेना होगा। आपकी छोटी-छोटी कोशिशें बड़ा असर दिखाएंगी। सबसे पहले अपने लिए समय निकालना सीखें। डेली आधे घंटे मेडिटेशन, योग, वाॅक, एक्सरसाइज या स्विमिंग करें। ऐसा करने से आपका दिल और दिमाग दोनों शांत होंगे। डिप्रेशन को दूर करना है तो आपके पास दोस्त होना जरूरी है। आप पुराने दोस्तों से फिर से मिलें, उनके साथ समय बिताएं, उन्हें अपने दिल की बातें बताएं। ऐसा करने से आपका मन हल्का होगा।

डाइट पर ध्यान दें

मेंटल हेल्थ को अच्छा रखने के लिए अपनी डाइट पर ध्यान दें।
To keep mental health good, pay attention to your diet.

हर महिला की कोशिश होती है कि उनके परिवार की सेहत अच्छी बनी रहे। लेकिन ये बात भी ध्यान रखें कि जब आप सेहतमंद होंगी, तब ही दूसरों का ध्यान रख पाएंगी। मेंटल हेल्थ को अच्छा रखने के लिए अपनी डाइट पर ध्यान दें। डाइट में पूरे पोषक तत्वों को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियों को डेली मील का हिस्सा बनाएं। अंजीर खाने से भी आपका स्ट्रेस कम होगा। इसके साथ ही प्रोटीन, मिनरल्स और कैल्शियम से भरें नट्स आप रोज खाएं। तुलसी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, इसका सेवन नियमित करने से मेंटल हेल्थ ठीक रहती है। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...

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