Depression in Women
Depression in Women

Depression in Women: हर इंसान का समय समय पर मूड बदलना नेचुरल है।दरअसल, कोई भी व्यक्ति हर वक्त एक जैसे मूड में नहीं रह सकता है। वह कभी खुश होता है, कभी अचानक परेशान  हो जाता है और कभी सामान्य रहता है। लेकिन जब कोई इंसान लंबे समय तक यानि कि कई दिनों तक, महीनों तक या सालों तक उदास रहे तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा मेंं एंग्जाइटी या डिप्रेशन कहा जाता हैं।

महिलाओं क्यों होती हैं डिप्रेशन और एंग्जाइटी की शिकार

आज की इस भाग.दौड़ भरी जिंदगी चाहे हमें पूरे दिनभर लोगों की भीड़ के बीच व्यस्त रखती हो, लेकिन कहीं न कही हमारे भीतर एक शांति लगातार घर करती चली जाती है, क्योंकि हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है। दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है, जिसे न आप किसी को बता पाते हैं और न खुद सहन कर पाते हैं, जो एक दिन डिप्रेशन यानि मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है। à¤•ई ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को डिप्रेशन का शिकार बनाते हैं।

मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियां 

मासिक धर्म को लेकर आज भी समाज के एक बड़े हिस्से में खुलकर बात नहीं होती है। नतीजा, इससे जुड़ी सभी परेशानियां लड़की या महिला को खुद ही झेलना पड़ती है। यही कारण है कि वह चिंता और डिप्रेशन से घिर जाती हैं। यह स्थिति उन्हें शारीरिक के साथ भावनात्मक रूप से भी कमजोर बना देती है। उनमें चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होती है।

शादीशुदा जिंदगी 

शादी को लेकर लड़कियों में कई चिंताएं होती हैं। वे यह सोचकर डिप्रेशन में आ जाती हैं कि शादी के बाद उनकी जिंदगी कैसी रहेगी। आमतौर पर ससुराल पक्ष के बुरे बर्ताव की खबरें उनके मन को आशंकित कर देती हैं। वहीं कुछ लड़कियां अपने पति और नए परिवार से कई उम्मीदें लगा बैठती हैं, जो पूरी नहीं होती हैं तो डिप्रेशन हावी हो जाता है।

गर्भावस्था और डिलीवरी के दौरान

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के मन में तरह.तरह के विचार आते हैं और वे डिप्रेशन में चली जाती हैं। इसी कारण कई बार महिला प्रेगनेंसी के दौरान बेहोश हो जाती है। यही स्थिति डिलीवरी के दौरान भी बनती है। जिन महिलाओं को मोटापा और अन्य बीमारियां होती हैं। उनमें इसका खतरा अधिक होता है। मां बनने के बाद शुरुआती हफ्तों में महिलाएं भावनाओं के रोलर कोस्टर से गुजरती हैं। इसे बेबी ब्लूज कहते हैं।

डायस्टियमिया 

यह डिप्रेशन का वह रूप है जो लंबे समय तक रहता है। यह कामकाजी महिलाओं में कम और गृहिणियों में ज्यादा पाया जाता है। महिलाएं उदास रहती हैं। उनकी नींद कम हो जाती है, हमेशा थकान रहती है और आत्मविश्वास डगमगाया हुआ रहता है। ऐसी महिलाएं ही आत्महत्या अधिक करती हैं।

नींद

डिप्रेशन दूर करने के लिए आठ घंटे की नींद लें। नींद पूरी होगी तो दिमाग तरोताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में कम आएंगे।

अपने काम का पूरा हिसाब रखें 

दिन भर में आप कितना काम करते हैं और किस गतिविधि को कितना समय देते हैं इस पर जरूर गौर करेंण्।इससे आपको सभी गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने में आसानी होगी।

योग

योग हमारे तन और मन को एक नई उर्जा से भर देता है। योग करने के बाद हम खुद में नयापन और शरीर में अलग सी चुस्ती फुर्ती का अनुभव करते हैं। रोज़ाना नियमित तौर पर योग को दिनचर्या में शामिल करें और अपने आप को व्यर्थ चितांओं के घेरे से बाहर निकालने का प्रयास करें।

दिमाग करें शट डाउन

बहुत ज्यादा क्रोध आता है तो दिमाग को कुछ नहीं सूझता। ऐसे में अपने गुस्से पर नियंत्रण के लिए सबसे पहले दिमाग के कंप्यूटर को शटडाउन करने लें यानी सब कुछ सोचना बंद कर दें। कौन क्या कह रहा है, किस बात पर आपको गुस्सा आ रहा हैए आस.पास क्या चल रहा हैए आप किसी भी बात पर ध्यान न दें।

लंबी श्वास से मिलेगी राहत

अब गहरी श्वास लें जिससे आपकी सभी इंद्रियों को आराम मिलेगा। यह उपाय काफी समय से चला आ रहा है। अपनी सांसों पर केंद्रित होकर लंबी सांस लेने से दिमागी तनाव को आराम मिलता है। क्रोध पर  तुरंत नियंत्रण के लिए इससे अधिक प्रभावी उपाय कुछ नहीं।

पहले सोचो और फिर प्रतिक्रिया दो

एक बार जब आपने अपने गुस्से पर थोड़ा नियंत्रण कर लिया तो शांत दिमाग से सोचें कि मुद्दा क्या था। गलती किसकी थी और अब आगे क्या करना है। इससे फायदा यह होगा कि आपको पूरे मामले में अपनी गलती भी समझ में आ जाएगी।

सौम्यता से अपनी बात रखें

अब आप अपनी बात सामने वाले के आगे सौम्यता से रखें। अगर कहीं आपकी गलती है तो सबसे पहले माफी मांग लें जिससे आपको अपनी बात कहने में संकोच न हो। इस तरह किसी भी परिस्थिति में क्रोध पर नियंत्रण पाने के इस उपाय पर हमेशा अमल करने से धीरे.धीरे आपका गुस्सा खुद ही कम होने लगेगा।

डाइट पर दें ध्यान

पोषण से भरपूर खाना खाएं 

पोषण से भरपूर खाना खाएं à¤œà¥ˆà¤¸à¥‡ कि अनाज, अंडे, दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां, बीन्स, पालक, मटर, मेथी आदि और मौसमी फल।

ऐंटिऑक्सिडेंट और विटामिन सी 

ऐंटिऑक्सिडेंट और विटामिन सी वाली चीजें खाएं जैसे कि ब्रोकली, सीताफल, पालक, अखरोट, किशमिश, शकरकंद, जामुन, ब्लूबेरी, कीवी, संतरा आदि।

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