kar bhala to ho bhala
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Heart Touching Story: किसी शहर के एकांत क्षेत्र में एक भिक्षुक रहता था वह रोज भिक्षा लाता और घर पर लाने के बाद कहता कि “बुरा करने वाले का बुरा और भला करने वाले का भला होता है।” यह उसका दैनिक क्रम था।

उसी शहर में एक वृद्ध महिला रहती थी, उसके विचार ठीक नहीं थे। एक दिन वह भिक्षुक से बोली, “क्या तुम मानते हो कि तुम्हारे कहे अनुसार ऐसा ही होता है।”

महिला के सवाल पर भिक्षुक ने कहा, “हां तथागत यही कहते हैं।”

वृद्ध महिला इस बात को लेकर नाराज हो गई। उसने भिक्षुक की बात गलत साबित करने के लिए उसे दूसरे दिन विष मिली हुई मिठाई, भिक्षा में उस भिक्षुक को दे दी। भिक्षुक भिक्षा में मिली वह मिठाई लेकर हमेशा की तरह लेकर अपने घर आ गया। रात हो चुकी थी। तभी उसके घर के बाहर किसी यात्री की आवाज आई। उसने अपना सारी यात्रा का हाल सुनाया। भिक्षुक ने उस यात्री को वह मिठाई और पीने के लिए पानी दिया। मिठाई खाने के बाद वह यात्री मर गया। यह बात जब राजा के सैनिकों को पता चली तो वह भिक्षुक को पकड़कर ले गए। रास्ते में वह वृद्ध महिला मिली उसने भिक्षुक पर तर्ज कसा। भिक्षुक ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया। नौजवान यात्री के शव की शिनाख्त जब पुलिस ने की तो पता चला कि वह उस नगर का ही रहने वाला है। वृद्ध महिला भी उसे देखने आई। लेकिन वह देखते ही हैरान हो गई। क्योंकि वो नौजवान यात्री का शव उसके अपने बेटे का था। उसे भिक्षुक की बात याद आई और उसने सिपाहियों को सारा हाल कह सुनाया। सिपाहियों ने वृद्ध महिला को कैद कर लिया और उस भिक्षुक को मुक्त कर दिया।

शिक्षा : यह बात सत्य है कि बुरा करने वाले का बुरा और भला करने वाले का भला होता है। हालांकि हम यह बात अपने मन से तो मान लेते हैं लेकिन हमारा व्यवहार और आचरण इस परम सत्य से मेल नहीं खाता। सच कहा जाए तो हमारे अधिकांश कष्टों का कारण हमारे द्वारा किए गए काम ही है। लेकिन हम इस बात से बेपरवाह दूसरों के दुःख में हो अपना सुख तलाशने की कोशिश करते हैं। कहा भी जाता है कि आज कल आदमी अपने से ज्यादा दूसरों को देख के जलने लगा है। खास तौर से मौलिकता ने भलाई की भावना को खत्म कर दिया है।

ये कहानी ‘दिल को छू लेने वाली कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंDil Ko Chhoo Lene Wali Kahaniyan (दिल को छू लेने वाली कहानियाँ)