रमेश अपनी पांच वर्षीय बेटी के साथ खेल रहा था। कभी बच्ची छिपती। रमेश ढूंढ़ता।कभी रमेश छिपता। बेटी ढ़ूंढ़ती । जब पिता नहीं मिलते तो बच्ची रोने ल्रगती।रमेश दौड़कर उसे गले लगा लेता ।रमेश अपनी बेटी को और पिताओं से कुछ ज्यादा ही प्यार करते थे ।
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अनुताप – गृहलक्ष्मी कहानियां
वैशाली अपने ऑफिस में जरूरी फाइलें निपटा रही थी, तभी इंटरकॉम की घंटी बजी। उधर से ऑफिस के हाउसकीपिंग सुपरवाइजर शहंशाह की कॉल थी, ‘मैडम, क्या आप दो मिनट के लिए फ्री हैं?’
