Posted inधर्म

Kautuka: कलावे यानि मौली से जुड़े नियम

कलावा यानि की मौली का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है| कोई भी पूजा पाठ बिना कलावे के अधूरा ही माना जाता है किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत कलावे को कलाई पर बांधकर ही की जाती है| कलाई में बांधा गया कलावा संकट और भय के समय रक्षा कवच बन जाता है तभी तो कलावे को रक्षा सूत्र भी कहते है इसलिए सनातन धर्म ये मानता है की जब भी कोई धार्मिक काम किसी विशेष उदेश्यों व मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है तो उस काम की सफलता के लिए ही रक्षा सूत्र बांधा जाता है क्योंकि कलावे के सूती धागे में भगवान साक्षात् निवास करते है जो उस काम को सफल बनाते है कलावे प्रायः दो तरह के होते है तिरंगी और पचरंगी|

Gift this article