पुराणों में बताया गया है कि राजा इंद्रदुयम्न अपने राज्य में भगवान की प्रतिमा बनवा रहे थे। उन्होंने देखा कि शिल्पकार उनकी प्रतिमा को बीच में ही अधूरा छोड़कर चले गए। यह देखकर राजा विलाप करने लगे। भगवान ने इंद्रदुयम्न को दर्शन देकर कहा, विलाप न करो। मैंने नारद को वचन दिया था कि बालरूप में इसी आकार में पृथ्वीलोक पर विराजूंगा।
