गृहलक्ष्मी की कविता-चाहूं जो रोना खुलकर मैं,तो कभी रो न पाऊंतुम ही बताओ, मैं हृदय में उठता दर्द कहां छुपाऊं बेहिसाब दर्द दिया माना तूने,यूं बहुत दूर मुझसे जाकरमैं सोचूं भी जो तुझसे दूर होना,तो कभी हो न पाऊं तुम हो गए हो शामिल,मेरे वजूद में कुछ इस तरह सेकि चाहूं भी तुम्हें गर भुलाना,तो […]
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ये मेरा संविधान है-गृहलक्ष्मी की कविताएं
ये मेरा संविधान हैदेश का सर्वोच्च विधान हैये मेरा संविधान हैभारत के गणतंत्र की पहचान हैये मेरा संविधान हैइसने हम सबको सुंदर हिंदुस्तान दियाअधिकारों के उपहार दिएशोषण के विरुद्ध उपचार दिएन्याय, समता और अखंडताइसी के दम से जिंदा हैंये हर भारतवासी का ईमान हैये मेरा संविधान हैलोकतंत्र का पोषक है येअधिकारों का संरक्षक भीकानूनों का जन्मदाता […]
