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जैसा ध्यान करते हैं, वैसा ही बनते हैं – स्वामी चिन्मयानंद

ध्यान करने का प्रयोजन यही है कि हम अपनी वर्तमान जीवन-विधि और मनोदशा में सृजनात्मक प्रगति लाकर उसे एक नये व्यापक क्षेत्र में ले चलें। अपने जीवन को परम-तत्त्व के साथ एक तान या तन्मय बनाना ही ध्यान है, किन्तु तुम्हें प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

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