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धर्म उधार नहीं, उदार है – मुनिश्री तरुणसागरजी

आपने अपने मकान को एयरकंडीशनर बना लिया। दुकान को एयकंडीशनर बना लिया। अपने दिमाग को भी एयरकंडीशनर बना लीजिए। अगर आपने अपने दिमाग को एयरकंडीशनर बना लिया तो सचमुच में जीवन ठंडा-ठंडा, कूल-कूल हो जायेगा।

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वास्तविक सच्चाई को समझना – मुनिश्री तरुणसागरजी

जीवन में सच्चाई दो प्रकार की होती है। एक व्यवहारिक सच्चाई और दूसरी वास्तविक सच्चाई। बेटा मेरा है, जमीन-जायदाद मेरी है। यह व्यवहारिक सच्चाई है, वास्तविक सच्चाई नहीं है। वास्तविक सच्चाई तो यह है कि तुम्हारी आत्मा को छोड़कर तुम्हारा कोई नहीं है। यह शरीर भी तुम्हारा नहीं है।

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