वह चांद जिसे अजय आसमान में देखकर ही सब्र किए बैठा था, अब वह अजय के आंगन में उतरना चाहता था। अजय के दरवाज़े पर नई खुशियां दस्तक दे रही थीं, पर अजय, क्या करेगी अब अजय?
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बोझिल पलकें, भाग-32
अंशु के रूप में जिंदगी का खूबसूरत चेहरा सामने था, लेकिन अजय के पांव फिर भी आगे नहीं बढ रहे थे। क्या वजह हो सकती थी इसकी?
बोझिल पलकें, भाग-29
आज जिस ढंग से अजय चन्दानी के बंगले में दाखिल हो रहा था, वह मौत के मुंह में दाखिल होने से कम नहीं था, लेकिन अजय तो जैसे इस सच को जानकर भी झुठला रहा था। चन्दानी के चीतों को कई दिनों से किसी इंसान का मांस नहीं मिला था। कौन बनने वाला था आज उनका निवाला?
बोझिल पलकें, भाग-27
चन्दानी की कैद में बंद दीवानचन्द अजय की वह दुखती हुई रग थे, जिसके चलते अजय चन्दानी के इशारों पर न सिर्फ आपराधिक कामों को करने पर मजबूर था, बल्कि उसे ये अपराध भी हंसते-मुस्कुराते करने थे। ऐसा ही मौका इस बार भी उसके सामने आ खड़ा हुआ था। अब आगे अंजाम क्या होने वाला था इन सब का?
बोझिल पलकें, भाग-26
बदले हालात के साथ जहां चन्दानी की नजरों का घेरा अजय पर तंग होता जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ अजय और अंशु के छिपे हुए दिली जज़्बात भी बदल रहे थे। अजय समझ नहीं पा रहा था कि क्या अब भी किस्मत कहीं उस पर रहम कर रही है या खिलवाड़। क्या छिपा था अजय की जिंदगी के अगले मोड़ पर?
