तो विशाखा‒1
ना, नी, नू, ने अनुराधा‒4
नो, या, यी, यू ज्येष्ठा‒2
8 मार्च से 15 मार्च तक
दिनांक 8 से 10 के मध्य समय पूर्णतया लाभदायक रहेगा । ग्रह स्थिति में बदलाव के साथ-साथ परिस्थितियों में भी बदलाव आएगा। आगे बढ़ने व उन्नति के रास्ते एक-एक करके खुलते जाएंगे। भाग्य को अपने साथ पाएंगे। 11, 12 को समय हानिकारक रहेगा। कोई भी छोटा-बड़ा निर्णय सोच-समझ कर लें, अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं। आप किसी जिद पर अड़ जाएंगे, उससे आपकी छवि नकारात्मक बन सकती है। घर-परिवार में व्यस्तता ज्यादा रहेगी। व्यवसाय पर भी पकड़ थोड़ी-सी ढीली रहेगी। 13, 14 को समय बहुत अच्छा फल देने वाला है। संतान की कोई प्रगति खुशी देगी। कानूनी मसले पर सलाह लेंगे और जीत हासिल करेंगे। 15 को धर्म-कर्म अध्यात्म में मन लगा रहेगा। सारी परिस्थितियां पक्ष में बनेंगी।
ग्रह स्थिति
मासारम्भ में सूर्य + शनि + बुध कुम्भ राशि का चतुर्थ भाव में, बृहस्पति + शुक्र मीन राशि का पंचम भाव में, राहु मेष राशि का षष्ठम भाव में, मंगल वृषभ राशि का सप्तम भाव में, चन्द्रमा मिथुन राशि का अष्ठम भाव में, केतु तुला राशि का बारहवें भाव में चलायमान रहेंगे ।
वृश्चिक राशि की शुभ-अशुभ तारीख़ें
2023 | शुभ तारीख़ें | सावधानी रखने योग्य अशुभ तारीख़ें |
जनवरी | 13, 14, 18, 19, 21, 22 | 5, 6, 7, 15, 16, 24, 25 |
फरवरी | 9, 10, 14, 15, 18, 19 | 1, 2, 3, 12, 13, 20, 21] 28 |
मार्च | 8, 9, 13, 14, 17, 18 | 1, 2, 3, 11, 12, 20, 21, 28, 29, 30 |
अप्रैल | 4, 5, 6, 9, 10, 11, 13, 14 | 7, 8, 16, 17, 24, 25, 26 |
मई | 2, 3, 7, 8, 11, 12, 29, 30 | 5, 13, 14, 22, 23 |
जून | 3, 4, 7, 8, 25, 26, 27 | 1, 2, 9, 10, 11, 18, 19, 20, 28, 29 |
जुलाई | 1, 2, 4, 5, 23, 24, 28, 29 | 7, 8, 15, 16, 17, 26 |
अगस्त | 1, 2, 19, 20, 24, 25, 28, 29 | 3, 4, 11, 12, 13, 22, 23, 31 |
सितम्बर | 15, 16, 17, 21, 22, 24, 25 | 1, 8, 9, 10, 18, 19, 27, 28 |
अक्टूबर | 12, 13, 14, 18, 19, 22, 23 | 5, 6, 7, 15, 16, 24, 25 |
नवम्बर | 9, 10, 14, 15, 18, 19 | 1, 2, 3, 12, 13, 21, 22, 29, 30 |
दिसम्बर | 6, 7, 8, 11, 12, 13, 15, 16 | 1, 9, 10, 18, 19, 26, 27, 28 |
वृश्चिक राशि का वार्षिक भविष्यफल
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह साल चुनौतियों से परिपूण रहेगा। हालांकि वर्षारंभ में राशिपति मंगल आपकी राशि को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है, अतः आपको ऊर्जावान व क्रियाशील बनाए रखेगा। इस साल आप पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा मेहनत करेंगे। जिसका प्रभाव कहीं न कहीं आपके स्वास्थ्य पर पड़ेगा। इस वर्ष 17 जनवरी के बाद से शनि आपकी राशि से चौथे स्थान में आकर शनि की ढैय्या आरम्भ करेंगे। अतः इस साल स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता रहेगी। ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट डिजीज जैसी दीर्घकालिक बीमारियों में नियमित परीक्षण करवाते रहें। पहले से जिस रोग की स्थिति चली आ रही है उसमें भी बार-बार समस्याएं उत्पन्न होंगी। इधर मौसम में बदलाव से मौसमी बीमारियां भी आपको जल्द ही गिरफ्त में ले लेंगी। कमर के नीचे का रोग, पैर का रोग भी आपको परेशान कर सकता है, नियमित रूप से पैदल चलें, योग-व्यायाम जैसी चीजों को अपनी दिनचर्या, जीवन का हिस्सा बनाएं।
इस वर्ष आप पहले से अधिक ऊर्जावान व जोश से लबरेज रहेंगे। मेहनत भी खूब करेंगे। धन कमाएंगे भी लेकिन खर्चा भी जमकर ही होगा। कुछ अप्रत्याशित खर्च भी होंगे। स्वास्थ्य पर अस्पताल पर खर्चा हो सकता है। घर के किसी सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर आपको अस्पताल के चक्कर काटने पड़ेंगे। व्यापार में नए-नए प्रयोग अमल में लाएंगे। नई तकनीक, नई स्टाइल व नया हुनर का प्रयोग करेंगे। व्यापार में विस्तार सम्बन्धी कुछ नवीन आईडियाज भी आएंगे, जिसका प्रयोग व उपयोग आपको त्वरित लाभ भी देगा। आर्थिक रूप से धन की आई-चलाई रहेगी। नौकरी में वातावरण अच्छा रहेगा। कभी-कभार बॉस व अधिकारी से छोटी-मोटी बातों पर, रोजमर्रा की बातों पर तनाव व रस्सा-कस्सी की स्थिति बनेगी। सहकर्मी आपके काम में आपको सहयोग करेंगे। हालांकि काम के मामले में आप सभी से आगे रहेंगे। आपके शत्रु व प्रतिद्वन्द्वी भी आपके काम की प्रशंसा करेंगे। 17 जून से 4 नवम्बर के मध्य कामों में वक्री शनि के कारण अवरोध पैदा होंगे। कोई षड्यंत्र या गुप्त योजना आपके विरुद्ध कारित हो सकती है।
इस वर्ष 22 अप्रैल तक बृहस्पति पंचम स्थान में स्वग्रही रहेंगे। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई व अध्ययन पर फोकस करेंगे। परन्तु 22 अप्रैल के पश्चात छठे गुरु के कारण कहीं न कहीं अध्ययन से भटकाव हो सकता है। प्रतिफल इतने ठोस व सकारात्मक नहीं मिलेंगे। विषय का चयन कॉलेज में दाखिला आदि को लेकर मन में असमंजस व अनिर्णय बना रहेगा। छठे भाव में चन्द्रमा राहु की युति के कारण षड्यंत्र भी आपके विरुद्ध सक्रिय रहेंगे। रुपयों-पैसों व लेन-देन के मामले में सावधानी रखने की आवश्यकता है। वाणी व क्रोध पर नियंत्रण रखें। 22 अप्रैल, 2023 के बाद छठा गुरु शोक का कारक है, किसी निकट रिश्तेदार या खास व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी या हादसा हो सकता है। अकारण चिंताएं हावी होंगी। वर्षारम्भ में चंद्रमा+राहु की युति के कारण कई बार मन में निराशाजनक व नकारात्मक विचार आएंगे।
रुपयों-पैसों से सम्बंधित मामलों में आपको सावधान रहना चाहिए। किसी को रुपया उधार नहीं दें। आपकी बढ़ती हुई लोकप्रियता व प्रतिष्ठा आपके शत्रुओं को विचलित व डावांडोल कर सकती है। आपको अपना काम पूरी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा व गंभीरता से करना चाहिए। दो नम्बर के अनुचित कार्यों को फिलहाल बंद रखें, अन्यथा आप ट्रैप भी हो सकते हैं। विभागीय परीक्षा, नौकरी के लिए दी गयी परीक्षा, प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम पक्ष में आएगा। व्यापार में लचीला रुख व उदारवादी दृष्टिकोण हानि का कारण बन सकता है।
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वृश्चिक राशि की चारित्रिक विशेषताएं
आपकी राशि का स्वामी मंगल है। मंगल पुरुषार्थ व परिश्रम को परिलक्षित करता है। मंगल से प्रभावित जातक साहसी, कर्मठ, परिश्रमी व जुझारू प्रवृत्ति का होता है, ऐसा व्यक्ति परिस्थितियों की मार के सामने भी कभी नहीं झुकता है। मंगल तेजोमय व अग्नि तत्त्व प्रधान है। इसका प्राकृतिक स्वभाव दंबंग, क्रोध युक्त, दंभी, हठी, दृढ़ प्रतिज्ञ व स्पष्टवादी पुरुषों का प्रजनन है।
वृश्चिक राशि का राशि चिह्न ‘डंकदार बिच्छू’ है। बिच्छू के करीब 21 नेत्र शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों पर होते हैं। इसलिए इस राशि का जातक किसी वस्तु का समस्त अवलोकन करने के बाद विषय की बारीकी को सहज ही पकड़कर अपने काम की वस्तु उसमें से ग्रहण कर लेता है। बिच्छू बड़ा ही तेज स्वभाव का व शीघ्र डंक मारने वाला प्राणी है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की असावधानी से शीघ्र फायदा उठाने के लिए तत्पर रहते हैं। इस राशि में उत्पन्न व्यक्तियों के पूर्वार्द्ध साधारण तथा जीवन के अंतिम दिनों में भरे-पूरे व सर्व प्रभुत्व-संपन्न बन जाते हैं।
वृश्चिक राशि स्त्री जाति सूचक, जल तत्त्व प्रधान व रात्रि बली होती है। इस राशि के जातक रात्रि में अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। यदि आप क्रोधित हो जाएं, तो फिर आप क्षमा करना नहीं जानते। मन में क्रोधाग्नि भीतर-ही-भीतर धधकती रहती है। यद्यपि बाहर से ज्ञात होता है कि आप शांत हो गए, परन्तु प्रतिहिंसा की भावना आपके अंदर और भी भयानक रूप धारण कर लेती है। आप प्रतिद्वंद्वी को निर्दयता से हानि पहुंचाने की चेष्टा करते हैं। ये शत्रु को धर दबोचने वाले, झगड़ालू व उन्मत व्यवहार के व्यक्ति होते हैं।
सामान्यता इस राशि में उत्पन्न जातक स्वस्थ एवं बलवान होते हैं तथा परिश्रम एवं लगन के द्वारा अपने शुभ एवं महत्त्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके उनमें सफलता अर्जित करते हैं। इनको विभिन्न विषयों का ज्ञान होता है तथा एक विद्वान के रूप में इनकी छवि रहती है। कुल या परिवार में ये श्रेष्ठ रहते हैं तथा मित्र एवं बंधु वर्ग के मध्य सम्माननीय रहते हैं। आत्मशक्ति की इनमें प्रबलता रहती है। इनकी महत्त्वाकांक्षा भी तीव्र होती है। धन-संग्रह के प्रति इनकी रुचि रहती है तथा धनार्जन में नैतिक सीमा का अनुपालन कम ही करते हैं। इनमें अल्प भावुकता रहती है तथा बुद्धि के द्वारा ही अधिकांश कार्यों को संपन्न करते हैं, साथ ही विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में ये ख्याति अर्जित करते हैं।
अतः इसके प्रभाव से आप स्वस्थ एवं बलवान पुरुष होंगे तथा स्वपराक्रम एवं परिश्रम से सांसारिक कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे। इससे आपके उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे तथा जीवन में धनैश्वर्य, वैभव एवं सुख-संसाधनों को अर्जित करके सुखपूर्वक इनका उपभोग करेंगे। आप में निर्भयता तथा लग्नशीलता का भाव भी विद्यमान होगा। फलतः कार्यक्षेत्र में प्रभावशाली होंगे तथा उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होंगे।
आप एक महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति होंगे तथा अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए सर्वदा प्रयत्नशील रहेंगे। धन-संग्रह के प्रति भी आपकी रुचि रहेगी, परन्तु इससे आपके समीपस्थ लोग यदा-कदा असुविधा की अनुभूति करेंगे। भावुकता से आप जीवन में कम ही कार्य करेंगे, फलतः प्रसन्नतापूर्वक अपना समय व्यतीत करेंगे।
आप एक सहनशील स्वभाव के व्यक्ति होंगे तथा धैर्यपूर्वक अपने सांसारिक कार्यकलापों को सम्पन्न करके उनमें वांछित सफलता प्राप्त करेंगे। सरकार या उच्चाधिकारी वर्ग से आप नित्य आर्थिक लाभ अर्जित करेंगे तथा इनसे आपको सहयोग भी मिलता रहेगा, जिससे आपके अन्य कार्य भी यथासमय सिद्ध होंगे।
आपके स्वभाव में दया एवं उदारता का भाव भी विद्यमान होगा तथा अवसरानुकूल अन्य जनों को सुख-दुःख में सेवा तथा सहयोग प्रदान करेंगे। इससे अन्य लोग आपसे प्रसन्न तथा संतुष्ट रहेंगे। साथ ही सत्कर्मों को करने में आपकी रुचि रहेगी तथा यत्नपूर्वक उन्हें सम्पन्न करके मान-सम्मान एवं यश में अभिवृद्धि करेंगे।
धनैश्वर्य एवं भौतिक सुखों के प्रति आपके मन में तीव्र लालसा रहेगी तथा इनकी प्राप्ति में आप अत्यधिक परिश्रम एवं पराक्रम का प्रदर्शन करेंगे।
धर्म के प्रति आपके मन में श्रद्धा रहेगी तथा समय-समय पर धार्मिक कार्यकलापों या तीर्थ-यात्राओं को मानसिक शांति के लिए सम्पन्न करेंगे। मित्र वर्ग में भी आप श्रेष्ठ एवं आदरणीय रहेंगे तथा उनसे इच्छित लाभ एवं सहयोग प्राप्त करेंगे। इस प्रकार आप परिश्रमी, संग्रहकर्ता एवं महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति होंगे तथा धनैश्वर्य से युक्त होकर अपना समय व्यतीत करेंगे।
यदि आपका जन्म वृश्चिक राशि ‘विशाखा नक्षत्र’ के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपका नाम ‘तो’ अक्षर पर है, तो आपका जन्म 16 वर्षों वाली बृहस्पति की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-व्याघ्र, गण-राक्षस, वर्ण-शूद्र, युज्जा-मध्य, हंसक-वायु, नाड़ी-अन्त्य, वश्य-द्विपद, पाया-तांबा, वर्ग-सर्प है। विशाखा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति सौम्य होते हैं तथा अपने शत्रुओं का सफाया बड़ी चतुरता से करते हैं।
यदि आपका जन्म वृश्चिक राशि ‘अनुराधा नक्षत्र’
(ना, नी, नू, ने) में है, तो आपका जन्म 19 वर्ष वाली शनि की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-मृग, गण-देव, वर्ण-विप्र, युज्जा-मध्य, हंसक-जल, नाड़ी-आद्य, पाया-तांबा, योनि-सर्प है। अनुराधा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति गुप्त व्यसनों के आदी होते हैं। फिर भी अपने बुद्धि-चातुर्य से बहुत अधिक धन अर्जित करते हैं।
यदि आपका जन्म वृश्चिक राशि ‘ज्येष्ठ नक्षत्र’ (नो, या, यी, यू) में है, तो आपका जन्म 17 वर्ष वाली बुध की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-मृग, गण-राक्षस, वर्ण-विप्र, युज्जा-अन्त्य, हंसक-जल, नाड़ी-आद्य, पाया-तांबा, योनि प्रथम चरण की-सर्प एवं बाकी तीनों चरण की-हिरण है। ज्येष्ठ नक्षत्र को ‘गण्डमूल’ कहा गया है। इसमें जन्मे व्यक्ति बहुत तेजस्वी तथा अत्यधिक पराक्रमी होते हैं।
बिच्छू की आयु कम होती है, अतः वृश्चिक राशि वाले अल्पायु को प्राप्त होते देखे गए हैं। अचानक आक्रमण, दुर्घटना तथा घटनाचक्र के मोड़ से यह शीघ्र ही काबू में आ जाते हैं। इनको प्रायः तिक्त (खट्टा) स्वाद पसंद होता है तथा खाना खाते वक्त नींबू का प्रयोग ज़्यादा करते हैं।
वृश्चिक राशि वालों के लिए उपाय
4 1/4 रत्ती का मूंगा ‘मंगल यंत्र’ से जड़वाकर धारण करें। बंदरों को भोजन व फल खिलाएं। मंगलवार को हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। ताम्रपात्र में रात्रि में जल भरकर रखें व प्रातःकाल उस जल को पिएं। लाल रंग का सुगन्धित रुमाल पास में रखें।
वृश्चिक राशि की प्रमुख विशेषताएं
- राशि ‒ वृश्चिक
- राशि चिह्न ‒ बिच्छू
- राशि स्वामी ‒ मंगल
- राशि तत्त्व ‒ जल-तत्त्व
- राशि स्वरूप ‒ स्थिर
- राशि दिशा ‒ उत्तर
- राशि लिंग व गुण ‒ स्त्री
- राशि जाति ‒ ब्राह्मण
- राशि प्रकृति व स्वभाव ‒ सौम्य स्वभाव, कफ प्रकृति
- राशि का अंग ‒ पीठ (गुदा)
- अनुकूल रंग ‒ लाल
- शुभ दिवस ‒ मंगलवार
- अनुकूल देवता ‒ शिवजी, भैरव, हनुमान
- व्रत, उपवास ‒ मंगलवार
- अनुकूल रत्न ‒ मूंगा
- अनुकूल उपरत्न ‒ तामड़ा
- अनुकूल धातु ‒ तांबा
- अनुकूल अंक ‒ 9
- अनुकूल तारीखें ‒ 9/18/27
- मित्र राशियां ‒ कर्क, मीन
- शत्रु राशियां ‒ मेष, सिंह, धनु
- व्यक्तित्व ‒ कानूनबाज, गणक, संत, समीक्षक
- सकारात्मक तथ्य ‒ बुद्धिमान, निडर, प्रकृति प्रेमी
- नकारात्मक तथ्य ‒ ईर्ष्यालु प्रवृत्ति