अपनी तारीफ किसे पसंद नहीं होती। सुसराल में भी एक ऐसा कैरेक्टर होता है जो हर काम बेहतर करता है। उसे सबसे ज्यादा रीत-रिवाज पता होते हैं, उसकी हर बात सही और अच्छी होती है। उसमें कोई कपट नहीं होता है। वह दयालू होता है। उसे घर के हर सदस्य की चिंता रहती है। जिसके चलते कई बार वह खुदको को भी नजरअंदाज कर जाता है। वह हर काम परफेक्ट करता था, है और करता रहेगा। उसमें न तो कोई खामी होती है और न ही उसके किसी काम में कमी। वह जगह रिजर्व होती है पति की मां यानी बहु की सासू मां की। वह एक अच्छी पत्नी, मां और सास होती है। ऐसी सासू मां अपनी चौपाल में अपनी खूबियों के बारे में ही सुनना पसंद करती हैं। और अक्सर उनके इस बर्ताव के चलते लोग भी उनसे प्रभावित रहते हैं।

ऐसे में यकीनन बहु की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही उस कंधों पर जिम्मेदारी भी ज्यादा हो जाती है कि वह सास की उस छवि बरकरार रखे। जबकि ऐसे में मुमकिन है कि बहु जाने-अनजाने सवालों के घेरे में अए जाए। अब आप सोच रही होगी कि भला वो कैसे? वो ऐसे कि जब परिवार को सम्भालने का काम सास कर रही है, रीत-रिवाज निभाने का काम भी उन्हीं के कंधों पर है, हर समस्या का समाधान उनके ही पिटारे से निकलता है। जब हर मर्ज की दवा सास है तो घर में बहु क्या कर रही है? या फिर बहु जिम्मेदारी सही तरीके से उठा ही नहीं पा रही। या उठाना ही नहीं चाहती। ऐसा न भी हो तब बहु कि तुलना सास के गुणों से की जाने लगती है। लाजमी है कि दूर बैठकर सास और बहु के गुणों की तुलना करने पर बहु के नम्बरों में कटौती हो जाए।    

उपाय निकालें यूं 

जब सास की महिमा चहू ओर फैली हो। तो बहु के तौर पर आपकी जिम्मेदारी बनती है कि अपनी सास की छवि को बरकरार रखें। सिर्फ और सिर्फ अपने कर्तव्र्यों का निर्वहन करती रहें। ऐसा इसलिए क्यूंकि जिन्हें आपके प्रयासों को देखना होगा वह खुद-ब-खुद उन्हें देख लेंगे। ऐसा इसलिए मुमकिन है कि हीरे की परख जौहरी को होती है उसे बताना नहीं पड़ता कि कौन हीरा है और कौन सा पत्थर। खुद को बेहतर साबित करने के लिए दूसरे को कमतर दिखाने में अक्लमंदी नहीं है। आपका ऐसा करना समस्या का समाधान नहीं है बल्कि खुद को बेहतर साबित करने और सास को कमतर जताने के फेर सिर्फ और सिर्फ घर का माहौल खराब होगा।