मन तो एक बच्चा है, इसको जैसा माहौल मिलेगा, ये वैसे ही ढ़ल जाएगा। इसको सुदृढ़ करना और इसको खुश रखना हमारे अपने हाथों में हैं। कई बार दूसरों के जीवन में इस कदर उलझ कर रह जाते हैं कि अपना जीवन बेमानी लगने लगता है। दरअसल, आज के इस दौर में हम खुद पर नियंत्रण रखने की बजाय दूसरों को नियंत्रित करने की चाह रखते हैं। मन हर वक्त इसी कोशिश में जुटा रहता है कि सामने वाले को कैसे काबू में किया जाए, ताकि वो हमारे हिसाब से व्यवहार करने लगे। मगर ऐसी सोच रखने वाले लोग खुद भी खुश नहीं रह पाते हैं और हर वक्त एक अजीब सी उधेड़बुन में लगे रहते हैं। खुद को शांत और सामान्य रखने के लिए हमें सबसे पहले की दूसरों चिंताओं को छोड़कर खुशियों से नाता जोड़ना है और दूसरों को उनके हाल पर छोड़ देना है। हमें उन्हें बदलने की कोशिश करने की बजाय अपने जीवन को सुखमय बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि हमारा नियंत्रण बाकियों की बजाय खुद पर रहे और हम अपने व्यक्तित्व को मज़बूत बना सकें। अगर आप भी दूसरों को नियंत्रित करते करते परेशान हो चुके हैं, तो इन बातों का रखें विशेष ख्याल

 

तनाव कम होगा

जब आप दुनिया का बोझ लादकर चलना छोड़ देते हैं, तो आप कम तनावग्रस्त महसूस करते हैं। दुनिया को उसके हिसाब से चलने दें, आप अपने हिसाब से चलिए। जैसे ही आप दुनिया को अपने तरीक़े से चलाने की सनक को अलविदा कहते हैं। ऐसा लगता है कि सिर से कोई बोझ हट गया है। आप तुरंत चिंतामुक्त हो जाते हैं, आगे चलकर भी आप कम तनाव और चिंता का अनुभव करते हैं। इतना ही नहीं आपकी ख़ुशी का स्तर बढ़ जाता है।

 

लोगों से आपका संबंध बेहतर होता है

जब आप नियंत्रण की चाह को छोड़ देते हैं, तो लोगों के साथ आपके संबंध बेहतर हो जाते हैं। आपको लोगों पर विश्वास करने में कम समस्या आएगी और आप अपने जीवन में ज़्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ पाएंगे। आप सहायता मांगने के लिए ज़्यादा तैयार होंगे और दूसरे लोग आपको कम आलोचनात्मक मानेंगे। शोध दर्शाता है कि जो लोग हर चीज़ को नियंत्रित करने की कोशिश छोड़ देते हैं, वे जुड़ाव और सामाजिकता का बढ़ा हुआ अहसास महसूस करते हैं।

 

 

परफेक्शनिस्ट बनना बंद करें

लोगों को नियंत्रण में रखने का एक कारण आप का हर एक चीज़ को परफ़ेक्ट बनाना है। हो सकता है, कि आप अपने स्थान पर किसी को बैठने देना नहीं चाहते हों या फिर किसी फाइल में कुछ कमी पाने के लिए इसको घंटों तक देखते रहते हों। इस तरह का व्यवहार ना तो आपके लिए मददगार होगा और ना ही अन्य किसी के लिए। बल्कि यह आपके लिए हानिकारक होगा और आपको अपनी ज़िंदगी जीने से दूर ले जा रहा होगा। याद रखें परफेक्शनिस्ट होना भी एक तरह की इमपरफेक्शन ही है। आप परफ़ेक्ट बनने की अपनी इस लालसा को जितना जल्दी ख़त्म करने का प्रयास करेंगे, उतना ही जल्दी आप अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना शुरू कर देंगे।

 

अपने आत्म.सम्मान को बनाए रखें

ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो अपनी इस समस्या का सामना कर रहे होते है। उन्हें अपने आत्म.सम्मान को बनाए रखने के लिए प्रयास करने की ज़रूरत होती है। आप अपने दोस्तों को या रिश्तेदारो को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं, क्योंकि आप को लगता है कि जब तक आप उन्हें हर एक वो छोटी बात ना बताएँगे, कि क्या करना है, क्या नहीं, तो लोग आप के करीब आना और आप के साथ समय बिताना नहीं चाहेंगे। आप को ऐसा लग सकता है कि यदि आप उन्हें अपनी हर एक छोटी.बड़ी सलाह नहीं दे देते तो उन्हें आपके बारे में अपनी सोच बनाने का समय मिल जाएगा और इस तरह से वे आप की किन बातों को नापसंद करते हैं, इसे सोच पाएँगे। आप को इस तरह के विचारों को रोकने का प्रयास करना होगा।

 

स्वीकार करना सीखें

यदि आप लोगों को नियंत्रित करने वाले इस व्यवहार को छोड़ना चाहते हैं, तो आप को चीज़ों को वे जैसी हैं, उसी तरह से अपनाने की ज़रूरत है। हाँ, यदि किसी चीज़ को बेहतर बनाने के लिए कुछ सलाह की ज़रूरत हो, तो आप दे सकते हैं, लेकिन उस चीज़ को अपनी पसंद के हिसाब से बनाने के लिए आप को हर एक छोटी.छोटी सलाह ना दें। अपने रिश्ते में, अपने घर में और अपने काम की जगह पर मौजूद हर एक चीज़ को वह जैसे भी चल रही है, चलने दें।

 

अन्य लोगों को सुनें और उन से कुछ सीखें

किसी भी इंसान को कोई काम सौंपने के लिए आपको उस पर भरोसा करने के साथ.साथ उन से कुछ सीखने का प्रयास करने की ज़रूरत है। हाँ शायद आप को ऐसा लग सकता है कि इस दुनिया में सिर्फ़ आप ही ऐसे व्यक्ति हैं जिसके पास हर किसी को सिखाने के लायक कुछ ना कुछ है, लेकिन यदि आप सच में लोगों को सुनने का प्रयास करते हैं तो आप को जल्द ही अपने इस विश्वास के गलत होने का अहसास हो जाएगा। एक बार आप लोगों को सुनना शुरू कर देते हैं तो आप को समझ आ जाएगा कि लोगों के पास आप को सिखाने लायक बहुत कुछ मौजूद है।

 

खुद से करें वादा

खुद से वादा करें कि आप इस क्षण के लिए समर्पित रहेंगे। इसका मतलब यह है कि आज, अभी जो क्षण है, वही आपका है और आपको उसका पूरा इस्तेमाल करना होगा। अगला जो क्षण आएगा, वह भी इस क्षण हो जाएगा। हर पल के महत्व को समझें और जानें इस सोच से आपका विचार, दिमाग और जीवन सब परिष्कृत हो जाएगा। आप इस तरह से संकल्प ले सकते हैं, जब भी मेरे दिमाग में कोई नकारात्मक विचार आएगा तो मैं उस पर विचार नहीं करूंगा और न ही उसका प्रतिरोध करूंगा। मैं सामान्य तरीके से उसे स्वीकार कर उसकी उपस्थिति को समझूंगा और उससे बाहर निकल जाऊंगा।

 

खुद को करें प्रोत्साहित

जब भी आपको लगता हो कि आप दूसरों को नियंत्रित कर रहे हैं, तो खुद से उसी तरह बात करना शुरू कर दें, जैसे आप किसी बच्चे से करते हैं यानि प्यारए करुणा और प्रोत्साहन के साथ। इससे आप खुद को मानसिक रूप से ऊपर उठाना सीख जाएंगे और हर समय आपका मनोबल ऊंचा रहेगा।

 

चिंता छोड़ें, बेफिक्र रहें

अपने जीवन को सौहार्दपूर्ण और प्रिय तरीके से जीना सीखें। अपनी सभी चिंताओं और तनाव को दूर भगाएं और

खुश रहें। अपने को उस रूप में स्वीकार करें, जो आप इस क्षण हैं। अपने दिलए आत्माए शरीर और दिमाग का अच्छी तरह से ख्याल रखेंए तो आप अपने लिए और दूसरों के लिए भी खुशहाली का सृजन कर पाएंगे।

 

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