Astrology In Relationship: ज्योतिष के चक्र में 12 राशियां एवं नौ ग्रह हैं। प्रत्येक राशि दूसरी राशि के प्रति आकर्षण एवं विकर्षण दोनों तत्त्वों से जुड़ी हुई है। ‘समान व्यसने तु सौख्यम’ सूत्र के अनुसार अग्नि तत्त्व वाली राशि अग्नि तत्त्व से एवं जल तत्त्व वाली राशि जल तत्त्व से आकर्षित होकर मैत्रीभाव रखती है। अग्नि तत्त्व वाली राशि, वायु तत्त्व राशि से भी मैत्रीभाव रख सकती है, क्योंकि वायु अग्नि को प्रदीप्त करने में सहायक तत्त्व है। अग्नि तत्त्व का जल से स्वाभाविक वैर रहेगा। सिंह और मेष, वृषभ और मेष का मैत्री भाव हो सकता है, यह सोचना तार्किक है। समान तत्त्व वाले नैसर्गिक मैत्री भाव रखते हैं। समान प्रकृति, समान सोच वाले स्त्री-पुरुष, युवक-युवतियां जब मिलते हैं, तो स्वत: ही एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और उनमें प्रगाढ़ मैत्री स्थापित हो जाती है। प्रगाढ़ मैत्री प्रेम में बदल जाती है तथा प्रेम परिणय-सूत्र में बदल जाता है। जीवन की अनजान राहों पर चलने वाले दो युवा हृदय, जीवन पर्यन्त एक-दूसरे का साथ निभाने की कसम खाते हैं तथा एक दूसरे के पूरक होकर जीवन की उच्चतम उपलब्धियों को सहज ही प्राप्त कर जाते हैं। इसके विपरीत ऐसे उदाहरणों की भी कमी नहीं, जब विवाह-सूत्र में बंधे दो प्राणी बेमेल विवाह के शिकार हो जाते हैं और पति-पत्नी को नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर कर देता है। इसका नतीजा तलाक, आत्महत्या, बलात्कार, प्रतिशोध जैसे जघन्य अमानवीय व्यवहार की घृणित कहानियों में परिणत हो जाता है। इस अध्याय के माध्यम से आप अपनी अनुकूल राशियों से मैत्री भाव स्थापित कर अपने जीवन में आगे बढ़ाने वाली राशियों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यह अध्याय आपको अपने जीवनसाथी के चुनाव में काफी सहायता करेगा। इतना ही नहीं, किन राशियों से आपको सावधान रहना है, कौन आपको नुकसान पहुंचा सकता है, आपकी शत्रु राशियां कौन-कौन सी हैं? इसकी जानकारी भी आपको इसी अध्याय में मिलेगी। इस दृष्टि से सबसे पहले राशियों के तत्त्व, स्वभाव, लिंग एवं प्रकृति को पहचानना जरूरी है। जिनका विवरण इस प्रकार है।
1- अग्नि तत्त्व (उत्तेजक राशियां)
1- मेष (चर अग्नि)
5- सिंह (स्थिर अग्नि)
9- धनु (द्विस्वभाव अग्नि)
2- पृथ्वी तत्त्व (भौतिक राशियां)
2- वृष (स्थिर पृथ्वी तत्त्व)
6- कन्या (द्विस्वभाव पृथ्वी तत्त्व)
10- मकर (चर पृथ्वी तत्त्व)
3- वायु तत्त्व (विचार प्रधान राशियां)
3- मिथुन (द्विस्वभाव वायु तत्त्व)
7- तुला (चर वायु तत्त्व)
11- कुंभ (स्थिर वायु तत्त्व)
4- जल तत्त्व
(संवेदनशील, भावुक राशियां)
4- कर्क (चर जल तत्त्व)
8- वृश्चिक (स्थिर जल तत्त्व)
12- मीन (द्विस्वभाव जल तत्त्व)
5- चर राशियां
मेष, कर्क, तुला, मकर
6- स्थिर राशियां
वृष, सिंह, वृश्चिक, कुंभ
7- द्विस्वभाव राशियां
मिथुन, कन्या, धनु, मीन
8- पुरुष राशियां
मेष, मिथुन, सिंह
तुला, धनु, कुंभ
9- स्त्री राशियां
वृष, कर्क, कन्या
वृश्चिक, मकर, मीन
राशि अनुसार जानिए अपने प्रेमी का स्वभाव

मेष- परिश्रमी, मेहनती व संघर्षशील प्रवृत्ति के होते हैं। सकारात्मक, उत्तेजक व जल्दबाजी भी इनकी विशेषता है। यह राशि प्रेरणादायक, आकर्षक, आदर्श व नेतृत्वशक्ति का परिचायक है। इनकी दृष्टि में प्रेम हमेशा निर्दोष एवं विश्वास योग्य होता है। ऐसा व्यक्ति कहता है ‘मैं भी हूं’।
वृषभ- सौन्दर्य प्रेमी, कलात्मक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। सरल नेतृत्व के परिचायक, नकारात्मक दृष्टिकोण युक्त, चर स्वभाव वाले, रहस्यमय प्रकृति के व्यक्ति होते हैं। वृषभ राशि वाले कहते हैं ‘मेरे पास भी है। इनकी दृष्टि में प्रेम सदैव धैर्यपूर्वक एवं क्षमायोग्य होता है।
मिथुन- सकारात्मक दृष्टिकोण युक्त, विचारवान, चिंतक, दार्शनिक, आदर्श संदेशवाहक, बुद्धिमान, बातूनी तथा वाक्पटु होते हैं। महत्त्वाकांक्षी होना व भौतिकवादी उपलब्धियों के प्रति लालायित होना भी इनका एक मौलिक गुण है। मिथुन राशि वाले कहते हैं ‘मैं भी सोचता हूं। इनकी दृष्टि में प्रेम एक सुखद अनुभूति है, जिसे सोच-विचार के बाद ही करना चाहिए।
कर्क- नकारात्मक दृष्टिकोण युक्त, संवेदनशील, भावुक प्रकृति के लोग होते हैं। चीजों को गोपनीय रखना, स्पष्ट वक्ता, नेतृत्वशक्ति से युक्त होना भी इनका एक विशेष गुण है। चंद्रमा के कारण ऐसा व्यक्ति महत्त्वाकांक्षी होता है। इनकी दृष्टि में प्रेम एक समर्पण है, प्रेम एक उत्सव है, प्रेम स्वतंत्र है। ऐसा व्यक्ति कहता है- ‘मैं ऐसा अनुभव करता हूं।
सिंह- शीघ्र क्रोधी, सकारात्मक दृष्टिकोण युक्त ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। अग्नि तत्त्व से युक्त, कठोर परिश्रमी, महत्त्वाकांक्षी, प्रेरणायुक्त, आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। ऊर्जा से भरपूर होना भी इनकी निजी विशेषता है। सिंह राशि का व्यक्ति ‘मैं ऐसा करूंगा कहता है। ऐसे व्यक्ति प्रेम को जीवन में अनिवार्य मानते हैं।
कन्या- बुध की इस राशि वाले व्यक्ति स्पष्टवादी व बातूनी होते हैं। द्विस्वभाव व डरपोक प्रवृत्ति के होते हैं। गोपनीय प्रकृति व रहस्यात्मक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। नकारात्मक दृष्टिकोण तथा प्रतिक्रियावादी होते हैं। कन्या राशि वाले कहते हैं- ‘ऐसी मेरी विवेचना है।Ó इनकी दृष्टि में प्रेम एक पूर्णता व एक पवित्रता है। कन्या राशि के लोग मानते हैं कि प्रेम के बिना जीवन अपवित्र व अपूर्ण है।
तुला- इस राशि के व्यक्ति भौतिकवादी, आकर्षक, सौन्दर्य प्रेमी तथा कलात्मक व्यक्तित्व के होते हैं। तीव्र महत्त्वाकांक्षी भी होते हैं। इनकी दृष्टि में प्रेम एक सौन्दर्य है। तुला राशि वाले कहते हैं- ‘मैं संतुलित करता हूं। तुला राशि के लोग मानते हैं कि प्रेम जीवन के भीतर मधुर संगीत का सुन्दर तारतम्य है।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले संवेदनशील, स्थिर स्वभाव तथा प्रतिक्रियावादी होते हैं। मंगल के कारण रहस्यमयी, कुछ झगड़ालू व ईर्ष्यालु प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसा व्यक्ति सोचता है ‘मेरी इच्छा ऐसी है। इनकी दृष्टि में प्रेम एक भावुकता है, जिसका अंत समर्पण से होता है।
धनु- प्रेरणादायक व्यक्तित्व, सकारात्मक पहलू, व्यावहारिक दृष्टिकोण इनकी निजी विशेषता है। ऐसे व्यक्ति महत्त्वाकांक्षी, उत्तेजक, बृहस्पति के कारण उपदेशक, आध्यात्मिक दृष्टिकोण युक्त, आदर्श अध्यापक होते हैं। धनु राशि वाला जातक अपनी उपस्थिति सदैव इस वाक्य से दर्ज कराएगा- ‘मैं तत्त्वपूर्वक देखता हूं। इनकी दृष्टि में प्रेम ईमानदारी युक्त स्वामीभक्ति है।
मकर- भौतिकतावादी प्रवृत्ति के रहस्यात्मक व्यक्ति होते हैं। स्पष्टवक्ता, नेतृत्वशक्ति सम्पन्न, प्रतिक्रियावादी, नकारात्मक दृष्टिकोण युक्त होते हैं। मकर राशि वाले व्यक्ति सदैव अपनी उपस्थिति इस वाक्य से कराते हैं- ‘मैं ऐसा करता हूं। इनकी दृष्टि में प्रेम नि:स्वार्थ तथा बुद्धिमतापूर्ण होता है।
कुंभ- सकारात्मक दृष्टिकोण तथा स्थिर स्वभाव के होते हैं। इस राशि के लोग अत्यंत गंभीर, संवेदनशील, भावुक प्रवृत्ति के, महत्त्वाकांक्षी, आकर्षक, प्रेरणास्पद तथा नेतृत्वशक्ति से युक्त होते हैं। कुंभ राशि के लोग कहते हैं- ‘मैं यह सब जानता हूं। इनकी दृष्टि में प्रेम धैर्यपूर्वक व एकाकी होता है। प्रेम में जल्दबाजी का कोई स्थान नहीं होता।
मीन- गोपनीय स्वभाव वाले, आदर्श अध्यापक, उपदेशक व वक्ता होते हैं। पृथ्वी पर सीधे देवदूत होते हैं। नकारात्मक व द्विस्वभाव प्रवृत्ति के तथा प्रतिक्रियावादी होते हैं। मीन राशि के व्यक्ति कहते हैं- ‘मेरा विश्वास है। संवेदनशील व भावुक स्वभाव के होते हैं। इनकी दृष्टि में प्रेम परिपक्वता है और जीवन में सब कुछ है। सर्वस्व परिपूर्णता में प्रेम का स्थान सर्वोपरि है, महत्त्वपूर्ण है।