sab doston ko daawat
sab doston ko daawat

नन्ही गोगो को खाने में सबसे ज्यादा पसंद है मटर-पनीर की सब्जी। मम्मी से बार-बार कहती है, “मम्मी, आपने पिछली बार मटर-पनीर की सब्जी बहुत अच्छी बनाई थी। पर, अब कितने दिनों से तो बनाई ही नहीं है। आज फिर से बनाओ न मम्मी!”

नन्ही गोगो की इस फरमाइश पर मम्मी निहाल हो जाती हैं। हँसकर कहती हैं, “ठीक है, तू चल मेरे साथ। अभी शर्मा अंकल की डेयरी से पनीर लेकर आते हैं।”

नन्ही गोगो झटपट पैरों में चप्पल डालती है, नन्ही-सी कंघी से बाल सँवारती है और झटपट तैयार होकर मम्मी से कहती है, “चलो मम्मी, चलो। जल्दी चलो न!”

और जब मम्मी अपने मन का सारा प्यार उड़ेलकर नन्ही गोगो के लिए मटर-पनीर की सब्जी बनाती हैं, तो उस दिन वह इतनी खुश होती है, जैसे हवा में उड़ रही हो। कई बार मम्मी के पास आकर कटोरी भरवा ले जाती है और खाना खाने से पहले ही दो-तीन कटोरी सब्जी तो जरूर हप्प कर जाती है।

एक दिन की बात, गोगो की मम्मी ने मटर-पनीर की सब्जी बनाई तो जैसा कि होना ही था, नन्ही गोगो को सबसे पहले चखने के लिए दी। गोगो को मटर-पनीर की सब्जी इतनी अच्छी लगी, इतनी अच्छी लगी कि पूरी तीन कटोरियाँ खाने के बाद वह घर के सब कमरों में उछलती फिरी। और गाने लगी—

मेरी मम्मी कितनी अच्छी हैं,

अच्छी हैं, अच्छी

मेरे लिए कितनी अच्छी बनाती हैं,

मटर पनीर की सब्जी,

सचमुच मम्मी अच्छी हैं, अच्छी हैं, अच्छी!

थोड़ी देर बाद नन्ही गोगो को याद आया, अरे, उसका पार्क में खेलने का टाइम हो गया! सब बच्चों ने कहा था, गोगो अपनी नीली वाली गेंद लाना। जमीन पर टप्पे मारकर गेंद लपकने वाला खेल खेलेंगे। जिसके ज्यादा नंबर आएँगे, वह जीतेगा। बस, याद आते ही नन्ही गोगो ने अपनी नीली गेंद उठाई और झट से झूला पार्क की ओर दौड़ पड़ी।

नन्ही गोगो का आधा मन तो खेल में था, लेकिन आधा मम्मी की बनाई प्यारी-प्यारी मटर-पनीर की सब्जी में। झूला पार्क की ओर दौड़ती हुई भी वह अभी तक गाना गा रही थी, ‘मम्मी मेरी अच्छी हैं, अच्छी हैं, अच्छी बनाती हैं मेरे लिए मटर पनीर की सब्जी, सब्जी है अच्छी, अच्छी है अच्छी!’

गोगो के नन्हे मित्रों ने जब उसे यह अजीब-सा गाना गाते हुए देखा, तो बोले, “गोगो, तू तो गेंद का गाना गाती थी कि गेंद मेरी अच्छी है, अच्छी, पर आज गेंद को भूलकर यह कौन-सा दूसरा गाना गाने लगी?”

सुनकर नन्ही गोगो खिल-खिल हँसती हुई बोली, “तुम नहीं समझोगे? यह मटर-पनीर का गाना है कि मम्मी मेरी अच्छी हैं, अच्छी हैं, अच्छी, बनाती हैं मेरे लिए मटर-पनीर की सब्जी अच्छी-अच्छी!”

सुनकर नन्ही गोगो की सहेलियों को बड़ा अजीब लगा। गुलाबी फ्राक वाली पिंकी बोली, “बनाती तो मेरी मम्मी भी बहुत सब्जियाँ कमाल की हैं, पर मैंने तो कभी ऐसा गाना नहीं गाया।”

मीनू ने अजीब-सा मुँह बनाकर कहा, “हाँ भई, है तो बात सच्ची…सच्ची है सच्ची!”

सुनकर सब जोर से हँस पड़े।

गोगो समझ गई, मीनू समेत सभी उसका मजाक उड़ाने के मूड में हैं। पर उसने बुरा नहीं माना। बोली, “अगर तुम लोग कोई और गाना गाना चाहते हो, तो गाओ न! तुम्हें गाने से कौन रोकता है? वैसे एक बात बता दूँ, तुम्हारी मम्मी और सब्जियाँ चाहे जैसी बनाती हों, पर मटर-पनीर की सब्जी मेरी मम्मी से अच्छी नहीं बना सकतीं। मेरी मम्मी की सब्जी तो बस कमाल है, कमाल!”

“कमाल कि धमाल!” मुटकी दिप्ती ने हँसते हुए पूछा।

मीनू बोली, “ओ गोगो, ऐसे ही कमाल और धमाल करती रहोगी या खिलाओगी भी। हम भी जानें, तुम्हारी मम्मी कितनी अच्छी सब्जी बनाती हैं?”

“तो चलो न! चलो मेरे घर, कोई तुम्हें रोक रहा है?” गोगो ने कहा।

“रोक तो कोई नहीं रहा, पर तुमने कहा भी नहीं।” सुनंदा बोली।

“तो अब कह रही हूँ न, हजार बार कह रही हूँ। चलो—अभी चलो। तुम सारे के सारे दोस्तों की दावत है मेरे घर।” गोगो बोली।

“अरे रहने दो, कहीं तुम्हारी मम्मी की बनाई सब्जी कम पड़ गई, तो बड़ी किरकिरी होगी तुम्हारी।” अनु ने आँखें नचाकर कहा।

इस पर गोगो तैश में आ गई। बोली, “नहीं जी नहीं, नहीं कम पड़ेगी। मेरी मम्मी ने बड़े वाले कुकर में सब्जी बनाई है। पूरा कुकर भरा पड़ा है। आओ, देख लो चलकर। आओ…आओ-आओ!”

नन्ही गोगो ने दावत का निमंत्रण दिया तो उसके दोस्त और सहेलियाँ भी भला कैसे पीछे रहतीं? सब बोले, “चलो-चलो, आज नन्ही गोगो के घर चलकर दावत खाते हैं।”

थोड़ी ही देर में नन्ही गोगो के साथ उसके सारे दोस्त घर में धड़धड़ाते हुए आए, तो उसकी मम्मी बड़ी हैरान हुईं। और खुश भी हुईं। उन्होंने झट सबको फ्रिज का ठंडा-ठंडा पानी पिलाया। बिस्कुट-टाफियाँ लाकर दीं और हँस-हँसकर बातें करने लगीं।

इतने में ही नन्ही गोगो ने कहा, “मम्मी, जल्दी करो न, मेरे दोस्त दावत खाने के लिए आए हैं। ठंडा पानी तो आप बाद में भी पिला सकती हो और टाफियाँ भी ये बाद में खा लेंगे। अभी जल्दी से इन्हें मटर-पनीर की सब्जी खिलाओ। मैंने बोला है कि मेरी मम्मी बहुत अच्छी मटर-पनीर की सब्जी बनाती हैं, तो ये सारे के सारे आ गए दावत पर।”

सुनकर मम्मी एक पल के लिए भौचक्की रह गईं। सोचने लगीं, इस पूरी की पूरी बच्चा पार्टी को दावत खिलाऊँगी, तो भला घर के लिए क्या बचेगा? और फिर अकेली मटर-पनीर की सब्जी क्या खिलाई जाएगी! साथ में बच्चों के लिए छोटे-छोटे पराँठे भी सेंक लूँ।

बस, गोगो की मम्मी ने हँसकर कहा, “तुम लोग बैठकर बातें करो, मैं अभी दावत का इंतजाम करती हूँ।”

और उन्होंने झटपट रसोई में जाकर बच्चों के लिए खूब सारे नन्हे-नन्हे, पराँठे सेंक लिए। थोड़ा-सा आम और मिर्च का अचार भी निकाला। प्लेटों में मटर-पनीर की सब्जी डाली, फिर गोगो को बुलाकर कहा, “अपने दो-तीन दोस्तों को बुला लो, जो यहाँ से थालियाँ लेकर जाएँ।”

गोगो और उसकी तीन सहेलियाँ झटपट रसोई में पहुँचीं। उन्होंने सब बच्चों के आगे थालियाँ लाकर रखीं। और सचमुच ऐसी शानदार दावत हुई कि क्या कहने! बच्चों ने मटर-पनीर के साथ खस्ता पराँठे इतने स्वाद से खाए कि देख-देखकर गोगो की मम्मी भी निहाल हो गईं।

फिर सारे बच्चे हाथों में टाफियाँ लेकर उछलते-कूदते हुए पार्क में चले गए।

रात को गोगो के पापा दफ्तर से आए, तो मम्मी ने अभी-अभी दाल-चावल बनाकर रखे थे।

पापा जब नहा-धोकर डाइनिंग टेबल पर पहुँचे और उनके आगे दाल-चावल रखे गए तो एक पल के लिए वे चौंके। फिर बोले, “अरे भई, आज तो मटर-पनीर की सब्जी बनती है। क्या तुम्हारा मेनू बदल गया नीला?”

इस पर गोगो की मम्मी जोरों से हँसीं। हँसती रहीं देर तक, फिर बोलीं, “बनी तो थी, पर सब खत्म!”

“खत्म…?” पापा को हैरानी हुई।

“और क्या, गोगो और उसके दोस्तों की दावत जो थी!” गोगो की मम्मी ने बताया।

“दावत…?” गोगो के पापा को अचंभे पर अचंभा हो रहा था। बोले, “कैसी दावत?”

और फिर मम्मी ने नन्ही गोगो के दोस्तों की दावत का पूरा किस्सा सुनाया, तो मम्मी के साथ-साथ पापा का भी हँसते-हँसते बुरा हाल था। बोले, “लाओ नीला, दाल-चावल ही लाओ। इसमें मटर-पनीर से ज्यादा स्वाद आएगा।”

कुछ देर बाद गोगो झूला पार्क से खेलकर आई, तो पापा ने उसे खूब प्यार किया। बोले, “क्यों बेटी, तुम्हारे दोस्तों को दावत कैसी लगी? क्या उन्हें तुम्हारी मम्मी के हाथ का खाना पसंद आया?”

“खूब…!” गोगो शरमाकर बोली, “पापा, वे सब कह रहे थे कि गोगो-गोगो, तेरी मम्मी खाना सचमुच बड़ा टेस्टी बनाती हैं।”

कहते-कहते गोगो हँस पड़ी। साथ ही गोगो की मम्मी और पापा भी हँस रहे थे।

ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंBachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)