World Braille Day 2023: महिलाएं अपने जीवन में संघर्ष से सब हासिल कर सकती हैं। वो महिलाएं जो किसी शारीरिक समस्या जैसे नेत्रहीनता या दिव्यांगता से पीड़ित हैं वो अपने जीवन में संघर्ष कर अपने सपनों को साकार कर रही हैं। न जाने कितने ही ऐसे नए प्रयास हैं जो कि महिलाओं द्वारा किये जा रहे हैं। आज नेत्रहीन महिलाएं हर कौशल सीख रही हैं और न केवल सीख रही हैं बल्कि और महिलाओं को भी सिखा रही हैं। ‘ब्लाइंड बेक कैफे’ नेत्रहीन महिलाओं द्वारा चलाया जाने वाला कैफे है जो कि चर्चा का विषय रहा है। इस कैफे में बहुत सी महिलाएं हैं जो खाना बनाना सीखती हैं। यहां का मेन्यु ब्रेल में होता है ताकि महिलाएं मेन्यु पर लिखा मूल्य समझ सकें। इसी तरह महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस प्रांजल पाटिल को ही देख लीजिये उनका ये संघर्ष कितनी ही महिलाओं के लिए आशा की उम्मीद है।
कौन हैं लुईस ब्रेल
ब्रेल लिपि का अविष्कार लुईस ब्रेल ने 8 साल की उम्र में किया था। एक दौर था जब इसकी कल्पना करना भी मुश्किल था। दुर्भाग्यवश लुइ के मरने के सौ साल बाद उनकी लिपि को मान्यता मिली। ब्रेल लिपि वो लिपि है जिसने नेत्रहीन लोगों के लिए जीवन को आसान बनाया। 4 जनवरी को लुईस ब्रेल के जन्मदिन के अवसर पर ब्रेल दिवस मनाया जाता है। 4 जनवरी 2019 को पहली बार विश्व ब्रेल दिवस मनाया गया।
क्या है ब्रेल लिपि
ब्रेल एक कोड होता है इसके अंदर 6 बिंदुओं की तीन पंक्तियों में एक कोड बनाया जाता है। इसमें पूरे सिस्टम का कोड होता है। अब इसका उपयोग कंप्यूटर में भी किया जाता है। इस अविष्कार से नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए काफी आसानी होने लगी। तकनीकी क्षेत्र में भी नेत्रहीन लोगों का काम करना आसान हो हुआ है।
संघर्ष से पूर्ण रहा बचपन

लुईस ब्रेल का जन्म फ्रांस में 4 जनवरी 1809 को हुआ था। उनके पिता साइमन घोड़ों के लिए काठी और जीन बनाने का काम करते थे। आर्थिक तंगी के कारण लुईस को बहुत छोटी उम्र में अपने पिता के काम में सहयोग करना पड़ा। उनका बचपन संघर्ष में रहा। लुईस बहुत छोटे थे जब उनकी आंख में खेलते हुए चाकू घुस गया था। जिससे उनकी एक आंख खराब हो गयी फिर इसका इन्फेक्शन उनकी दूसरी आंख में होने लगा और 8 साल की उम्र में लुईस पूरी तरह अंधे हो गए थे।
ब्रेल दिवस की थीम
विश्व ब्रेल दिवस की थीम हर साल बदलती रहती है। अभी विश्व ब्रेल दिवस २०२३ की थीम घोषित नहीं हुई है। ये थीम ब्रेल के महत्व को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कार्य करती है।
