Tulsi Plant Care in Winter: अमूमन हर घर में तुलसी का पौधा होता है। घर में दो तरह का तुलसी का पौधा लगाया जाता है- श्यामा और रामा तुलसी। धार्मिक मान्यताओं और वास्तु के हिसाब से इसे शुभ माना जाता है। साथ ही हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी भी है। समुचित देखभाल से तुलसी का पौधा साल भर हरा-भरा बना रहता है।
सर्दियों का तुलसी पर पड़ता है गहरा असर

तुलसी का पौधा सर्दियों में आमतौर पर डोरमेंसी में चला जाता है यानी उसकी ग्रोथ रुक जाती है। पत्तियों का आकार भी छोटा हो जाता है। कोहरे, धुंध और ठंड की मार से तुलसी का पौधा अक्सर मुरझा या सूख जाता है। सर्दियों में तुलसी का पौधा हरा-भरा रहे- इसके लिए आवश्यक न्यूट्रीएंट्स और देखभाल की जरूर होती है। अगर इसकी ठीक से देखभाल नहीं की जाती, तो तुलसी का पौधा सर्दी के मौसम की शुरुआत में ही या सर्दी के मौसम में अपने पत्ते गिराने लगता है, या उसके पत्ते पीले होने लगते हैं या मुड़ने लगते हैं। इसके अलावा कई कीट-पतंगे उस पर आसानी से अटैक करने लगते हैं जिससे यह बहुत जल्दी खराब हो जाता है।
सूरज की रोशनी में रखें पौधा
तुलसी एक ट्राॅपिकल प्लांट है जिसे धूप बहुत पसंद होती है, लेकिन सर्दियों में धूप की कमी से इसके पत्ते सूखने लगते हैं। इसलिए पौधे को ऐसी जगह रखें जहां सूरज की रोशनी आती हो। पौधा ऐसी जगह रखना चाहिए कि दिन में कम से कम 3-4 घंटे की धूप लग सके।
नेट के कपड़े से ढकें
ओंस या कोहरे की मार से तुलसी का पौधा खराब हो जाता है। पौधे को डोरमेंसी में जाने से बचाने के लिए संभव हो तो पौधे को रात के समय कमरे के अंदर ले जाएं। अन्यथा उसे ग्रीन कलर के नेट के कपड़े से ढकें क्योंकि कोहरा सीधे पत्तों के ऊपर जम जाता है। जिससे तुलसी के पत्ते जलने या पीले होने लगते हैं। दिन के समय नेट से धूप निकल कर आती है और पौधे के लिए फायदेमंद है। अगर ग्रीन न होने पर आप सूती कपड़े, दुपट्टे, बैडशीट, पुरानी शाॅल रात के समय पौधे पर टांग दें। या फिर पौधे को सफेद रंग के बड़े पाॅलीथीन में 3-4 छेद करके कवर कर दें। सुबह धूप निकलने पर इन्हें पौधे के ऊपर से हटा दें क्योंकि धूप तुलसी के लिए बहुत जरूरी है।
ज्यादा न डालें पानी

सर्दियों में तुलसी में पानी कम मात्रा में देना चाहिए। 4-5 दिन के अंतराल पर दें क्योंकि ज्यादा पानी से उनकी जड़ें गल जाती है, फंगस लग जाती है और पौधा खराब हो जाता है। कोशिश करें कि पानी तभी दें जब मिट्टी की ऊपरी लेयर सूख जाए। पानी सुबह के समय धूप में ही दें क्योंकि शाम को ओंस से पौधे खराब हो सकते हैं।
पेस्टिसाइड का छिड़काव
जब भी आप तुलसी के पौधे में पानी डालें, तब उसकी पत्तियों को स्प्रे से जरूर धोएं। इससे सर्दियों में तुलसी के पौधे पर अटैक करने वाले इंसेक्ट्स बैक्टीरिया दूर होंगे आर्गेनिक पेस्टिसाइड या इंसेक्टिसाइड से स्प्रे करें। नीम के पत्तों और ऐलोवेरा के पत्तेे पानी में उबाल और छान कर स्प्रे कर सकते हैं या नीम ऑयल को पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं। आर्गेनिक पेस्टिसाइड बनाने के लिए एक-एक छोटा चम्मच खाने वाला मीठा सोडा, दालचीनी पाउडर, कपूर का पाउडर और हल्दी को अच्छी तरह मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण को पानी में 4-5 घंटे के लिए भिगो दें। छान कर पौधों में स्प्रे करें। इस मिश्रण को आप तुलसी की पत्तियों पर पानी से गीला करने के बाद छिड़काव कर सकते हैं ताकि यह काफी दिनों तक उन पर रह सके। इस मिश्रण को पौधे की जड़ में भी डाल सकते हैं।
समय-समय पर करें पीचिंग
सर्दी के मौसम में तुलसी के पौधे पर फूल और बीज बहुत बनने लगते हैं जिससे इसकी ग्रोथ रुक जाती है। जरूरी है कि पौधे पर लगे मंजरी/बीज/सीडपोड की पीचिंग या काटते रहें क्योंकि पौधा अपनी सारी पाॅवर सीड्स बनाने में लगा देता है और पौधा सूखने लगाता है। उसकी यह पाॅवर सर्दियों में खुद को हरा-भरा बनाए रखने के लिए बचाकर रखनी होती है। इसके अलावा काले रंग के छोटे-छोटे बैक्टीरिया सबसे पहले इन्हीं पर अटैक करते हैं जो धीरे-धीरे पूरे पौधे तक चले जाते हैं। बीज को गमले में डाल दें ताकि नए पौधे उग सकें। इन बीजों को आप स्टोर भी कर सकते हैं।
पौधे की सूखी डंडियों की भी पिंचिंग करते रहें ऐसा करने से पौधे में नई ग्रोथ जल्दी होती है। तुलसी बुशी प्लांट है जो रेगुलर पिंचिंग से पौधा घना होता है, वरना वह लंबाई में बढता है और ज्यादा पत्ते नहीं आ पाते। अपने पौधे को बुशी बनाने के लिए कटिंग करते रहना चाहिए।
गुढ़ाई और आर्गेनिक खाद

पौधे की मिट्टी की गुढ़ाई 15 दिन में जरूर करें और आर्गेनिक खाद डालें। वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की लिक्विड खाद बेस्ट है। चाय पत्ती भी खाद के रूप् में डाल सकते हैं। तुलसी को हरा-भरा रखने के लिए गमले के किनारे-किनारे मिट्टी में ब्लैकबोर्ड पर लिखने वाले चाॅक के दो-तीन टुकड़े भी दबा सकते हैं। चाॅक में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है जो तुलसी के लिए फायदेमंद हैं। पानी डालने पर चाॅक के ये टुकड़े आसानी से घुल कर मिट्टी में मिल जाते हैं।
