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आपके ट्रिप को यादगार बनाएगा- चोपटा और देहरादून: Memorable trip
Memorable trip: हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ये भूल ही जाते हैं कि मन को थोड़ा हल्का महसूस करवाना बहुत जरूरी है। इसके लिए हम काफी कुछ कर सकते हैं। अगर हम एक अच्छी ट्रिप प्लान करते हैं तो इससे हम अपने आपको तरोताजा महसूस करते हैं।
आमतौर पर लोग दो दिन छुट्टियों पर परिवार के साथ कहीं घूमने निकल जाना पसंद करते हैं। ऐसे में आप चाहें तो देहरादून और चोपटा का प्लान बना सकते हैं। दिल्ली से केवल एक रात का सफर है, जो बहुत आसानी से गुजर जाएगा।
पहले जाएं चोपटा

चोपटा, वो नाम है जहां पहुंच कर आपको ऐसा लग सकता है कि आप किसी तस्वीर के अंदर है। तस्वीर भी वो जिसमें बर्फ और हरियाली साथ में नजर आती है। जहां चारों तरफ फैली बर्फ की चादर आपको जन्नत सा एहसास करा सकती है। उत्तराखंड के दिल में बसी ये छोटी सी जगह केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का ही हिस्सा है। ये जगह तुंगनाथ तक ट्रेकिंग के लिए बेस भी है। इस जगह की खूबसूरती का अंदाजा ऐसे भी लगा सकते हैं कि इसकी ऊंचाई बहुत है और यहां लोगों की आवाजाही अभी कम ही है। और यही वजह है कि इस जगह की हवा बहुत ताजा है। यहां आना ऐसा है मानो जन्नत पर कदम रख दिए हों। चोपटा से जुड़ी कई दूसरी बातें आइए जानें-
कैसे आएं
यहां आने के लिए हवाई यात्रा करनी है तो चोपटा से 226 किलोमीटर दूर बने देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से यहां आया जा सकता है। इस हवाई अड्डा में नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से नियमित उड़ाने आती हैं। जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन की बात करें तो सबसे नजदीकी स्टेशन ऋषिकेश है। हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश से बस यात्रा भी की जा सकती है।
कब आएं
इस जगह आने का सही समय गर्मी और मॉनसून का है। सर्दी के मौसम में यहां आने से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि उस वक्त यहां काफी बर्फ गिरती है।
पर्वत मालाओं का नजारा
चोपटा, वो सुंदर जगह है, जहां से आपको कई सारी पर्वत मालाओं के दर्शन भी आसानी से होंगे। यहां से आपको हिमालय भी नजर आएगा। साथ में तीन और पर्वत मालाएं जैसे- चौखंबा, नन्दा देवी और त्रिशूल की खूबसूरती भी आप देख सकेंगी।
मिनी स्विटजरलैंड है चोपटा
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में बनी ये छोटी सी जगह 2680 मीटर की ऊंचाई पर है। मगर इसे मिनी स्विटजरलैंड इस वजह से नहीं कहा जाता है बल्कि ऐसा कहे जाने की वजह घास के मैदान हैं, जिन्हें बुग्याल भी कहा जाता है। ये बिलकुल वैसे ही हैं, जैसे स्विटजरलैंड में हुआ करते हैं।
सबसे ऊंचाई पर बना शिव मंदिर

ये जगह तुंगनाथ मंदिर के लिए भी जानी जाती है। ये मंदिर पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने शिव मंदिर के तौर पर जाना जाता है। तुंगनाथ माउंटेन रेंज में स्थित ये मंदिर समुद्र के स्तर से 3680 मीटर की ऊंचाई पर बना है। चोपटा से ये जगह सिर्फ 3.5 किलोमीटर दूर है। ये मंदिर हिंदुओं के लिए प्रमुख धार्मिक केंद्र पंच केदार में से एक है।
रावण के पाप
पंच केदार की तरफ ट्रेक करने वालों के लिए आधार शिविर बनने वाले चोपटा के बारे में एक कहानी और प्रचलित है। हिंदू पुराणों की मानें तो रावण को जब लगा कि उन्होंने कई पाप किए हैं और अब उनका प्रायश्चित किया जाना चाहिए तो वो इसी मंदिर में आया था।
5 घंटे की दूरी पर है देहरादून
चोपटा से लौटते हुए आप देहरादून जा सकते हैं। देहरादून के आसपास कई ऐसी जगह हैं, जहां आप घूमने जा सकते हैं।
स्टूडेंट ऑफ द ईयर वाला फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का

देहरादून शहर के इस जाने-माने संस्थान फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की गरिमा अपने आप में अनोखी है। इस संस्थान की स्थापना तकरीबन 115 साल पहले हुई थी। 4.5 स्क्वायर किलोमीटर में बना फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट टूरिस्ट स्पॉट भी है। ये इसलिए भी खास है क्योंकि यहां कई सारी फिल्मों की शूटिंग भी हुई है। अभिनेत्री आलिया भट्ट की पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ की शूटिंग देहरादून के इसी संस्थान में हुई थी। इसके साथ आर माधवन की फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ भी इसी संस्थान में फिल्माई गई थी। इस बिल्डिंग की खूबसूरती देखते ही बनती है। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की खूबसूरती, इसके पश्चिमी छोर पर बहती टोंस नदी से और बढ़ जाती है। इस जगह को देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
टप्केश्वर मंदिर की महिमा
देहरादून के इस खूबसूरत मंदिर को टप्केश्वर महादेव मंदिर भी कहते हैं। यहां मौजूद गुफा भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य इसी गुफा में रहते थे। इसलिए इस गुफा को द्रोण गुफा भी कहते हैं। उत्तराखंड की शान बहुत सी जगह हैं लेकिन देहरादून का ये मंदिर भक्तों के बीच काफी खास माना जाता है। यहां आकर आपको बहुत अच्छा लगेगा क्योंकि शिवलिंग पर लगातार पानी की बूंदें गिरती हैं, जो देखने में अद्भुत लगता है।
बुद्धा की भक्ति और माइंड्रोलिंग मॉनेस्ट्री

बुद्धा मंदिर के नाम से भी जानी जाने वाली माइंड्रोलिंग मॉनेस्ट्री भी देहरादून की शान है। इसको 1965 में बनवाया गया था। इसको बुद्धा से जुड़ा बड़ा सेंटर माना जाता है। यहां दुनियाभर से लाखों लोग आते हैं। चारों ओर से हरियाली से घिरी हुई इस मॉनेस्ट्री में एशिया का साबसे ऊंचा स्तूप भी बना है। ये मॉनेस्ट्री आॢकटेक्चरल मास्टरपीस भी मानी जाती है।
रॉबर्स केव य गुच्छुपानी

देहरादून से 8 किलोमीटर दूर बनी इस गुफा के बीचोबीच पानी बहता है। माना जाता है कि नदी वाली इस गुफा में भगवान शिव का रहा करते थे। यहां आकर आपको लगेगा मानो खुद प्रकृति मां के दर्शन हो रहे हैं। आसपास के लोग अकसर यहां पिकनिक के लिए आते हैं। यहां बहता पानी कुछ ज्यादा ही ठंडा रहता है।
