अगर दोस्त साथ हों तो समझिए आपकी घुमक्कड़ी में थोड़े रंग और भर गए।पूरी ट्रिप को मजेदार और यादगार बनाने में ये दोस्त कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।पर इन सबमें ये भी अहम है कि आप आखिर जा कहां रहे हैं। आपके घूमने की जगह कौन सी है, वो रोमांचकारी होने के साथ पूरे ग्रुप के घूमने के लिए सुरक्षित भी तो होनी चाहिए.दोस्तों के साथ घूमने जाने से पहले अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवाल आते हैं तो चलिए जानें, अपने देश में बसी कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जिनके बारे में अभी ज्यादा सैलानी नहीं जानते हैं, मगर आपके घुमक्कड़ी वाले कीड़े यहां शांत जरूर होंगे, ये बात बिलकुल पक्की है। आइए जानें-
बांदीपुर फॉरेस्ट सिखाएगा दोस्ती की हिफाजत–
कर्नाटक के मैसूर से 80 किलोमीटर दूर बांदीपुर फॉरेस्ट का सजीव नजारा देखकर आपको समझ आएगा कि आप धरती के प्राकृतिक स्वर्ग में हैं।जहां हरियाली के साथ अपनी ही अलग दुनिया में रहने वाले जंगली जानवर आपको अनोखा अहसास जरूर कराएंगे। दोस्तों के साथ इस अनोखी जगह पर जाना आपके लिए रोमांचक तो होगा ही ये ट्रिप आपको दोस्त की हिफाजत का तरीका भी सिखा जाएगी। इन जगहों पर जंगली जानवरों से रूबरू होने का मौका मिलता है, जिनके हमला करने की समभावनाएं भी रहती ही हैं। ऐसे में एकदूसरे का ख्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है। आप इस बात को समझ पाते हैं कि एक अनकहे डर की वजह से बगल में बैठे दोस्त की जिंदगी में कितनी अहमियत है और आप उसकी सुरक्षा के लिए चिंतित भी हो जाते हैं। खास बात ये भी है कि मैसूर से उटी के रास्ते पर बना बांदीपुर फॉरेस्ट1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिजर्व के तौर पर बनाया गया था। इसकी असल स्थापना 1931 में मैसूर के राजा ने की थी। जिसमें बाद में 800 वर्ग किलोमीटर जगह और जोड़कर बांदीपुर बनाया गया। यहां की खासियत हैं, 200 से ज्यादा प्रकार के पक्षियों की प्रजाति। भगवान रंगनाथ का एकलौता मंदिर बिलिगिरी रंगस्वामी मंदिर यहीं बना है।
कैसेपहुंचे–
यहां तक पहुंचना बहुत कठिन नहीं है। हवाई यात्रा करनी है तो यहां के निकटतम हवाई अड्डा मैसूर और बंगलुरू हैं। हवाईअड्डे से बस या टैक्सी में बैठकर फॉरेस्ट तक आया जा सकता है।वहीं रेलवे से यात्रा करना चाहते हैं तो पास का रेलवे स्टेशन मैसूर है, जहां से टैक्सी से सफर कर यहां पहुंचा जा सकता है।स्टेशन से फॉरेस्ट तक आने में करीब 2 घंटे का समय लग सकता है। मैसूर-ऊटी राजमार्ग से चलते हुए सड़क रास्ते से भी यहां आया जा सकता है।
चादरटेक, फोन भूल मिले सिर्फ दोस्तों का साथ–
जमी हुई नदी पर टेकिंग करने की कल्पना कर के ही रोमांच महसूस हो सकता है। ये रोमांच असल में महसूस किया भी जा सकता है। इसके लिए आपको अपने दोस्तों के साथ जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र की जंस्कार घाटी जाना होगा। जंस्कार घाटी में ही सिंधु नदी की सहायक नदी जंस्कार है, जो अत्यधिक सर्दी मे जम जाती है, फिर लोग इसमें टेकिंग करते हैं। अभी फिलहाल लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, पर फिर भी इस जगह का आनन्द लेने के लिए लोग खास सर्दी में दुनियाभर से आते हैं। इस टेक पर जनवरी-फरवरी में आने का समय बिलकुल सही है। इस वक्त यहां का तापमान-30 से -35 डिग्री तक हो जाता है। आप सभी दोस्त स्कूल वाली मस्ती इस बर्फ की चादर पर भी कर सकते हैं। प्रज्ञा की सुनिए, यहां आपको स्कूल वाले दिन ऐसे भी याद आएंगे कि लद्दाख के ज्यादातर इलाकों में मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी दिक्कत है। पर सोचिए बिना फोन के ही तो पुराने दिन याद आएंगे। जब दोस्त बस एकदूसरे के साथ समय बिताया करते थे, तब बीच में फोन नहीं आता था। वैसे यहां गर्मी में रिवर राफ्टिंग का मजा लिया जा सकता है।
कैसे पहुंचें–
जंस्कार नदी पर चादर टेक का मजा लेने के लिए आप हवाई यात्रा कर सकते हैं। इसके लिए नजदीकी हवाईअड्डा लेह है।जहां के लिए दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर से सीधी फ्लाइट हैं।लेह से जंस्कार टैक्सी से ही पहुंचना होगा। रेल यात्रा करनी है तो जंस्कार का निकटतम रेलवेस्टेशन जम्मू-तवी है।
टीम वर्क सीखिए ऋषिकेश में–
उत्तराखंड की इस छोटी सी जगह की अपनी आध्यात्मिक अहमियत बहुत है।देशी हो या विदेशी यहां एक बार आने की तमन्ना सबकी होती है।इसके किनारे बहती गंगा मानो खुद को खुद से मिलाने का काम करती है।पर इन सबके बावजूद यह जगह अब एडवेंचर स्पोट्र्स के लिए भी जानी जाती है। यहां वाॅटरस्पोट्र्स खासतौर पर लोगों को आकर्षित करते हैं। प्रज्ञा कहती हैं कि दिल्ली और आस-पास के सभी बड़े शहर के युवा यहां अक्सर आते हैं, वो भी खासतौर पर रीवर राफ्टिंग करने के लिए। जरा सोचकर देखिए कि क्या रीवर राफ्टिंग और बनाना राइड जैसे स्पोट्र्स मिलकर टीम बनकर काम करना नहीं सिखाते हैं। ये गेम असल में दोस्तों के लिए ही हैं। जो बताते हैं कि अच्छे और साथ देने वाले दोस्त मुश्किल से मिलते हैं, इन्हें खोना मत। ऋषिकेश में बंजी जम्पिंग भी यहां कराई जाती है, जो ज्यादातर लोगों की टूडू लिस्ट में होती ही है। हरिद्वार से सिर्फ 25 और देहरादून से 43 किलोमीटर दूर बसे ऋषिकेश में दोस्तों के साथ मस्ती सच में यादगार हो सकती है।
कैसे पहुंचें–
ऋषिकेश तक पहुंचने का निकटतम हवाईअड्डा देहरादून में है।हरिद्वार में निकटतम रेलवेस्टेशन है।पर हां, अब बहुत ज्यादा लोग दिल्ली से टैक्सी या कार से सड़क रास्ते से भी यहां आने लगे हैं।
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