Palash Flower
Palash Flower

पलाश के फूलों की ख़ास बात

यह न केवल सौंदर्य के लिए बल्कि औषधीय गुणों और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है।

Palash Flower: पलाश को हम लोग आमतौर पर ढाक या टेसू के नाम से जानते हैं। यह हमारे भारतीय घरों में पाया जाने वाल एक बेहद खूबसूरत और पारंपरिक पेड़ है। इसे फ्लेम ऑफ़ द फॉरेस्ट भी कहा जाता है क्योंकि इसके गहरे नारंगी और लाल रंग के फूल जंगल को आग के समान रंग से भर देते हैं। यह न केवल सौंदर्य के लिए बल्कि औषधीय गुणों और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यदि आप इसे अपने घर के गमले में लगाना चाहते हैं तो यह न केवल आपके बगीचे की शोभा बढ़ाएगा बल्कि प्रकृति के साथ जुड़ने का अनूठा अनुभव देगा।

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Palash Flower
Palash Phool

पलाश के फूलों की गहरी नारंगी रंगत इसे वसंत ऋतु का प्रतीक बनाती है। इन फूलों का उपयोग होली के प्राकृतिक रंग बनाने में किया जाता है। इसके अलावा, आयुर्वेद में पलाश को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी छाल, पत्ते और फूल पेट संबंधी बीमारियों, त्वचा रोगों और संक्रमण के इलाज में उपयोग किए जाते हैं। पर्यावरण संरक्षण में इसका महत्व भी खास है, क्योंकि यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और पक्षियों के लिए घर बनाता है।

गमले में पलाश उगाने की प्रक्रिया सही तैयारी के साथ शुरू होती है। सबसे पहले, पलाश के बीजों को चुनें। बीज मजबूत और स्वस्थ होने चाहिए, जिससे पौधे का अंकुरण अच्छा हो। बीज को एक-दो दिन पानी में भिगोने से इसका ऊतक मुलायम हो जाता है और अंकुरण तेजी से होता है। गमला बड़ा और गहरा होना चाहिए, ताकि पलाश की गहरी जड़ें उसमें आराम से बढ़ सकें। मिट्टी की तैयारी में जल निकासी का ध्यान रखना जरूरी है। 

Beauty of Plash Phool
Beauty of Plash Phool

पलाश के पौधे की सही देखभाल उसकी सुंदरता और फूलों की चमक सुनिश्चित करती है। पलाश एक सूखा सहनशील पौधा है, इसलिए इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। गमले की मिट्टी को सप्ताह में एक बार हल्का गीला करें, लेकिन ध्यान रखें कि पानी अधिक मात्रा में न रुके। पलाश के पौधे को प्रतिदिन 6-8 घंटे सीधी धूप की जरूरत होती है। यह धूप उसकी पत्तियों को हरा-भरा बनाए रखती है और फूलों को खिलने में मदद करती है। पलाश के पौधे को समय-समय पर जैविक खाद दें। 

बीज तैयार करने और गमले का चयन करने के बाद, अब इसे मिट्टी में रोपने का समय है। गमले में 2-3 सेंटीमीटर गहराई का एक गड्ढा बनाएं और उसमें पलाश का बीज डालें। बीज को मिट्टी से ढक दें और हल्के हाथों से मिट्टी को दबाएं। बीज रोपने के बाद, मिट्टी को हल्का गीला करें। पानी डालते समय ध्यान रखें कि गमले के नीचे से पानी बाहर निकल सके, जिससे मिट्टी में ज्यादा नमी न रहे। गमले को ऐसे स्थान पर रखें, जहां सूरज की भरपूर रोशनी मिले। 

Importance of Palash
Importance of Palash

पलाश को भारतीय संस्कृति में त्रिदेव का वृक्ष कहा जाता है। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। होली के दौरान इसके फूलों का उपयोग पारंपरिक रंग बनाने में किया जाता है। पलाश पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है, क्योंकि यह पक्षियों को आश्रय देता है और जैव विविधता को प्रोत्साहित करता है। यदि आप इसे गमले में लगाते हैं तो यह न केवल आपके घर को सुंदर बनाएगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। 

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...