भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में मनाए जाते हैं दिवाली जैसे त्यौहार: Diwali Festival Celebration
Diwali Festival Celebration

Diwali Festival Celebration: घर में साफ-सफाई चल रही थी, दीवाली जो आने वाली थी। 12 साल के शिखर और 10 साल की याशिका भी बड़े उत्साह से अपनी मम्मी का हाथ बंटा रहे थे। इस बार तो उनकी मम्मी को दुगना काम करना था, ऊपर का फ्लोर भी साफ करवाना था। भले ही वो ज्यादा तो कुछ नहीं कर पाते थे, लेकिन मम्मी की गाइडेंस में अपना कमरा, बुक्स और टाॅय अल्मारी साफ करने का जिम्मा उन्हीं का था। स्कूल में उनकी छुट्टियां चल रही थी, तो वो इसके लिए कुछ टाइम निकाल ही लेते थे। आर्ट एंड क्राॅफ्ट में परफेक्ट दोनों बच्चों ने मिलकर दीवाली पर डेकोरेशन के लिए कई चीजें बना ली थी। ग्लासी पेपर, चार्ट पेपर और वेस्ट मैटीरियल से उन्होंने वंदनवार, फ्रिल, कंडील और यहां तक कि रंगोली के सुंदर-सुंदर डिजाइन भी तैयार कर लिए थे।

उनके उत्साह की एक वजह और भी थी। अमेरिका से उनके दादा-दादी, चाचा-चाची और बच्चे पूरे 8 साल बाद आ रहे थे। शादी के बाद कंप्यूटर इंजीनियर चाचा की पोस्टिंग अमेरिका में हो गई थी। दादा-दादी भी पिछले चार साल से उनके पास ही थे। उनके 6 साल के बेटे सारांश और 3 साल का बेटा साहिल वहीं पैदा हुए थे। वैसे तो वीडियो काॅल के जरिये उनसे अक्सर बात हो जाती थी, लेकिन पहली बार मिलने को सभी बेताब थे। फिर दीवाली के मौके पर पूरे परिवार के इकट्ठे होने से त्यौहार का मजा दोगुना हो़ जाएगा। 

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दीवाली से चार दिन पहले सभी आ गए और जैसे घर में रौनक आ गई। शुरू मे तो बच्चे थोड़ा झिझके, लेकिन कुछ समय में वे एक-दूसरे से हिल-मिल गए। अगले दिन जब सभी मिल-जुल कर दीवाली की तैयारियों में जुटे थे। शिखर की मम्मी दादीजी और चाची के साथ मिठाइयां बना रही थीं और पापा घर के दूसरे काम देख रहे थे। शिखर और याशिका ने उन्हें खुद बनाई कंदील, फ्रिल वगैरह लगाने के लिए दी। सारांश और साहिल उनकी बनाई चीजें देख कर हैरान थे और पूछ रहे थे  कि वे इसका क्या करेंगे। तब उनकी दादी ने उन्हें  बताया  कि ‘‘दीवाली त्यौहार पर वे इनसे घर सजाएंगे। वंदनवार को घर के मुख्य द्वार पर, रंग-बिरंगी फ्रिल से घर और पूजाघर सजाएंगे, कंदील को घर के बाहर टागंेगे जिसमें दीवाली वाले दिन दिया जलाएंगे और छोटी दीवाली को मुख्य द्वार और पूजाघर के सामने विभिन्न रंगों या फिर फूलों से रंगोली बनाएंगे।“

Diwali Festival Celebration
Diwali Festival Celebration 2023

तब सारांश ने बड़ी मासूमियत से कहा कि ‘‘दीवाली पर तो भगवान राम की जय-जय करके बम-पटाखे छोड़ते हैं और मिठाइयां खाते हैं। और दीवाली तो अभी दूर है न।‘‘  उनकी बात सुन कर दादाजी ने उन्हें समझाया,‘‘ बेटा जैसे अमेरिका में क्वांज़ा फेस्टिवल सात दिन तक ( 26 दिसंबर से 1 जनवरी) चलता है जिसमें लोग रोज रात को कैंडल्स जलाते हैं और अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तो को गिफ्ट देते हैं। वैसे ही भारत में दीवाली का त्यौहार 5 दिनो तक चलता है।  पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या को भगवान राम 14 साल का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे , जिसकी खुशी में अयोध्यावासियों ने दिए जलाए और मिठाइयां बांटी थीं। तब से इस दिन को दीवाली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रात के समय सभी लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं, मिठाइयां खाते-खिलाते हैं और एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं। देर रात तक आतिशबाजी चलाते हैं।‘‘

चारों बच्चे दादा जी को बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा-‘‘सारांश बेटा, अमेरिका में तुम भी दीवाली मनाते हो, लेकिन वो सिर्फ एक या दो दिन तक ही चलती है। लेकिन भारत में यह त्यौहार 5 दिन तक चलता है। यह त्यौहार दीवाली से दो दिन पहले धनतरस से शुरू होता है, उसके बाद छोटी दीवाली, दीवाली, गोवर्द्धन पूजा और आखिर में भाई दूज मके दो दिन बाद भाई दूज तक चलता है। एक-दूसरे के घर जाते हैं और उपहार और मिठाई का आदान-प्रदान करते हैं। दीवाली की शाम को घर-घर महालक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तरह-तरह के पकवान-मिठाइयां खाते हैं। अपने घर-बाहर लाइट्स, कैंडल और दिये जलाकर अमावस्या के अंधेरे को दूर करते हैं। बच्चे-बड़े मिलकर आतिशबाजी चलाते हैं……‘‘

याशिका ने दादाजी को बीच में टोकते हुए पूछा-‘‘ दादाजी क्या अमेरिका में भी दीवाली मनाई जाती है? दीवाली पर जलाए जाने वाले पटाखे और दिये क्या वहां भी मिलते हैं?‘‘ याशिका की बात का जवाब देते हुए दादाजी बोले,‘‘ हां बेटा, अमेरिका ही नहीं दुनिया के कई देश हैं जहां अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में रहते हैं। उनकी अपनी कम्यूनिटी है और वे मिलकर हर भारतीय त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं। उनकी सेलिब्रेशन में उस देश के निवासी भी शरीक़ होते हैं और खूब एंजाय करते हैं।‘‘

शेखर ने भी जिज्ञासा प्रकट करते हुए पूछा कि ‘‘ दादाजी , आपने अभी क्वांज़ा फेस्टिवल का जिक्र किया था। क्या यह दीवाली की तरह का फेस्टिवल है। क्या दूसरे देशों में भी ऐसे फेस्टिवल होते है जिसमें कैंडल्स, दिये या लाइट्स जलाई जाती हैं और आतिशबाजी की जाती है?‘‘ इस बार दादाजी के बजाय शेखर के चाचा ने जवाब दिया-‘‘ हां बेटा, अमेरिका ही नहीं दुनिया के कई देशों में उनके कल्चर के हिसाब से ऐेसे फेस्टिवल होते हैं और ये फायर फेस्टिवल के नाम से जाने जाते हैं। मैंने कई ऐसे फेस्टिवल देखे भी हैं। जेैसे दादाजी ने अभी बताया कि अमेरिका में 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक क्वांजा फेस्टिवल मनाया जाता है। यह सात दिन तक चलता है। अफ्रीकी-अमेरिकी संस्कृति में अफ्रीकी विरासत को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। लोग अपने परिवार और दोस्तो को गिफ्ट देते हैं। घर-घर में रोज रात को क्रमशः काले, लाल और हरे रंग की कैंडल जलाई जाती हैं जो आत्मनिर्णय, जिम्मेदारी, रचनात्मकता, सामूहिक कार्य, आर्थिक रूप से दृढ़ता, एकता और विश्वास जैसे जीवन के सात सिद्धांतांे का प्रतीक हैं।‘‘

बच्चे बहुत ध्यान से चाचा को सुन रहे थे। उनके चाचा ने आगे बताया-‘‘ बेटा 9-18 अक्तूबर तक जर्मनी   की राजधानी बर्लिन में फेस्टिवल ऑफ लाइट मनाया जाता है। यह दुनिया के लाइट-आर्ट फेस्टीवल्स में एक है। इसकी शुरूआत कुछ 2005  बिरगिट ज़ानडर ने की थी। अक्तूबर में 10 दिन तक पूरा शहर में रंगीन लाइट-आर्ट में बदल जाता है। हरेक बिल्डिंग्स चाहे वह सरकारी हों या ऐतिहासिक- रंग-बिरंगी लाइट्स से जगमगा उठती हैं। इन लाइट्स के जरिये वहां के इतिहास और संस्कृति की कहानियां पेश की जाती हैं। बिल्डिंग्स के आगे  सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम भी होते हैं जिनमें बड़े-बड़े कलाकार हिस्सा लेते हैं। दूर-दूर से टूरिस्ट भी इस फेस्टिवल में शामिल होते हैं।‘‘

दादाजी  बोले-‘‘ बच्चों जैसे हमारे देश में दीवाली पर 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम के अयोध्या आने की कथा प्रचलित है। उसी तरह सीरिया में 16 दिसंबर से 24 दिसंबर तक मनाया जाने वाला यहूदी फेस्टीवल हनुक्काह भी है। लगभग 2100 साल पहले सीरिया के तानाशाह एंटीओचस को यहूदा मकाबी ने हरा कर जनता को स्वतंत्र कराया था। उनकी जीत का जश्न येरूशलेम के पवित्र मंदिर में जश्न मनाया गया जिसके सम्मान में आज भी लोग यह फेस्टीवल मनाते हैं। लोग हाफ-सर्कल शेप के 9 कैंडल स्टैंड मेनोराह में 8 दिन तक रोज रात को एक कैंडल जलाते है और प्रार्थना करते हैं। गाने गाए जाते हैं, गेम्स खेलें जाते हैं, आतिशबाजी की जाती है और एक-दूसरे को गिफ्ट्स दिए जाते हैं।‘‘

चाचा ने लालटेन फेस्टिवल के बारे में बताया-‘‘ बच्चों तुम तो अपने घरों में कैंडल्स या लाइट्स जलाकर दीवाली की रात को रेाशन करते हो। ताइवान के पिंगक्सी जिले में तो बड़ी-बड़ी लालटेन जलाकर आकाश में उड़ाने का दुनिया का सबसे बड़ा फेस्टिवल भी है। इसे शेंगुआन भी कहा जाता है। यह फेस्टीवल चीनी न्यू ईयर के बाद 5-15 मार्च तक मनाया जाता है। इसमे इमारतों, पार्कों फुटपाथ हर जगह से नक्काशीदार लाल-सुनहरी रंग की लालटेन ऊपर आकाश में छोड़ी जाती हैं। हज़ारों की संख्या में जलाई गई ये लालटेन अंधेरे आकाश में उजाला कर देती हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से जिले से बुरी आत्माएं या बीमारियां बाहर चली जाती हैं और लोगों का जीवन खुशियों से भर जाता है। ‘‘ 

बच्चों की उत्सुकता देखकर उनके चाचा ने अपनी बात बढ़ाते हुए बताया-‘‘ फायर फेस्टिवल की बात करें तो स्वीडन, इटली और क्रोएशिया में 13 दिसंबर को स्कैंडिनेवियाई फेस्टीवल या सेंट लूसिया फेस्टिवल भी महत्वपूर्ण है। पुरानी परंपरा के अनुसार लूसिया रात साल की सबसे लंबी अंधेरी रात है जिसमें यह फेस्टीवल प्रकाश फैलाने का एक साधन था। अंधेरे में अपने परिवार के लोगों की रक्षा करने लिए सबसे बड़ी बेटी सफेद गाउन पहन कर नौ कैंडल का ताज सिर पर रख कर रात भर जागती है। दूसरों को खाने की चीजें देती है और त्यौहारी गीत गाती है।‘‘

इस बीच दादाजी ने शिखर से पूछा, ‘‘बेटा विंटर सोलेस्टिक डे कौन सा है, बताओ?‘‘ अचानक प्रश्न पूछे जाने पर शिखर एक बार तो सोच में पड़ गया कि दादाजी यह क्यों पूछ रहे हैं। लेकिन उसने बडे कांफिडेंस से जवाब दिया ‘21 दिसंबर ‘‘। दादाजी ने उसे शाबाशी देते हुए बताया कि इस दिन कई देशों में सोलेस्टिक डे फेस्टिवल भी मनाया जाता है। सूर्य का चक्कर लगाती हमारी धरती इस दिन सबसे दूर होती है। इससे भूमध्य रेखा के ऊपर उत्तरी गोलार्ध (नोर्थ पोल) पर बसे अमेरिका और यूरोपीय देशों में दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है। इसलिए वहां सूरज देवता के सम्मान में समारोह में भाग लेते हैं। स्नोबाॅल और स्नोमैन बनाया जाता है। रात के समय लोग कैंडल और आग जलाकर नाचते-गाते हैं जिससे सूरज को ज्यादा टाइम के लिए आने के लिए मना सकें। ‘‘

इतनी सारी जानकारी पाकर बच्चों में दीवाली मनाने का और उत्साह जाग गया। वो शाम को अपने पापा के साथ बाजार गए और खूब सारे दिये, कैंडल्स, लाइट्स खरीदे। साथ ही उन्होंने कम आवाज वाले कुछ इको फ्रेंडली बम-पटाखें भी खरीदे। ताकि उनसे किसी भी तरह की हैल्थ प्राॅब्लम न हो। सबके साथ मिलकर उन्होंने दीवाली के दिन खूब मस्ती की और पकवान खाए। बच्चों के लिए तो दीवाली का त्यौहार और भी खुशियों भरा था क्योंकि इस बार उन्हें भाईदूज मनाने का मौका जो मिला था। याशिका को भी दो भाई और मिले थे। उसने बड़े चाव से शिखर, सारांश और साहिल को टीका लगाया।