Shri Krishna Chhapan Bhog: सृष्टि के कल्याण और मानव जाति के हित के लिए भगवान श्री कृष्ण ने समय समय पर अनेकों लीलाएं रचीं। गोकुल की गलियों में माखन चुराकर खाना हो या यशोदा मैया को अपने मुख में ब्रह्मांड दिखाना हो, ये सभी श्री कृष्ण की लीलाएं ही थीं। श्री कृष्ण की रची हुई लीला के कारण ही गोकुल की गोपियां और राधा रानी मिलकर श्री कृष्ण को प्रेम से माखन और मिश्री खिलाया करती थीं। आज भी श्री कृष्ण के जन्मोत्सव या अन्य श्री कृष्ण की भक्ति के दिनों में भगवान कृष्ण को माखन और मिश्री के साथ साथ छप्पन भोग भी लगाया जाता है। छप्पन भोग लगाने से श्री कृष्ण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने के पीछे भी उनकी लीला थी। शास्त्रों में भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाने के पीछे की पौराणिक कथा का उल्लेख मिलता। आइये जानते हैं।
श्री कृष्ण ने तोड़ा स्वर्ग के देवता इंद्र का घमंड
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पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि एक बार सभी ब्रजवासी इंद्र द्रेव की पूजा के उत्सव की तैयारी कर रहे थे। तब श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों से पूछा कि इंद्र देव की पूजा क्यों की जा रही है। ब्रजवासियों ने श्री कृष्ण को बताया कि पशुओं के चारे और फल सब्जियों के लिए इंद्र देव की पूजा की जा रही है, ताकि वे खुश होकर अच्छी बारिश करें। यह बात सुनकर श्री कृष्ण ने कहा कि पशुओं को चारा और हमें फल सब्जियां तो गोवर्धन पर्वत से मिलती है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, इंद्र देव की नहीं।
श्री कृष्ण की बात मानकर ब्रजवासियों ने इंद्रदेव की पूजा का उत्सव आयोजित नहीं किया। इस बात से इंद्र देव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने लगातार सात दिन तक ब्रज में बहुत तेज बारिश करवाई जिसके कारण पूरा बृजधाम चारों ओर से पानी से भर गया। ब्रजवासियों के लिए रहने की कोई जगह नहीं बची। तब इंद्र देव के घमंड को तोड़ने और उन्हें सत्य का बोध कराने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने तेज बारिश के सातों दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाए रखा। सभी ब्रजवासी सात दिनों तक उस गोवर्धन पर्वत के नीचे रहें। श्री कृष्ण की ऐसी अद्भुत लीला देखकर इंद्रदेव को अपनी भूल का ज्ञान हुआ और उन्होंने बारिश रोक दी।
सात दिनों तक भूखे रहे श्री कृष्ण
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तेज बारिश के दिनों में गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाए रखने के कारण भगवान कृष्ण ने सात दिन तक भोजन नहीं किया। माता यशोदा श्री कृष्ण को एक दिन के आठ प्रहर में आठ बार भोजन करवाती थीं। इसी कारण जब बारिश रुकी तब माता यशोदा ने पुत्र प्रेम के कारण 7 दिनों के सभी 56 प्रहरों का भोजन श्री कृष्ण को परोसा। इसी कारण भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है।
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