शनिदेव सहित सभी ग्रहों का मिलेगा आशीर्वाद, मकर संक्रांति पर इन पांच चीजों का करें दान: Makar Sankranti Daan Muhurat
Makar Sankranti Daan Muhurat

Shani Mahadasha: ज्योतिष में शनि की दशा को एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय माना जाता है। यह चरण जीवन में कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे व्यावसायिक असफलताएं, वित्तीय संकट, स्वास्थ्य समस्याएं, और रिश्तों में तनाव। शनि का उद्देश्य जीवन में अनुशासन, धैर्य, और सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करना होता है, लेकिन यह समय कई बार कठिन हो सकता है। हालांकि, शनि की महादशा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक अवसर प्रदान करती है।

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महादशा के प्रभाव

अगर आपकी कुंडली में किसी प्रकार की महादशा चल रही है, तो इसका प्रभाव यह हो सकता है कि आपके काम में रुकावटें आ सकती हैं। खासकर जब शनि की साढ़े साती का असर हो, तो जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। शनि की साढ़े साती वह सात साल की अवधि होती है, जब शनि जन्म के चंद्रमा पर गोचर करता है, और इस समय व्यक्ति को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे व्यवसाय में असफलता, स्वास्थ्य समस्याएं, और पारिवारिक तनाव। लेकिन सही उपायों के माध्यम से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

शनि की महादशा: कठिनाइयों और बाधाओं का सामना

शनि की महादशा 19 साल के लंबे समय तक चलती है, जो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याओं और चुनौतियों को लेकर आती है। इस समय करियर में अस्थिरता, पारिवारिक विवाद, वित्तीय समस्याएं और स्वास्थ्य समस्याएं आम हो सकती हैं। शनि का यह प्रभाव जीवन में संतुलन और अनुशासन की अहमियत सिखाता है, लेकिन यह समय अत्यधिक चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। हालांकि, कुछ सरल ज्योतिष उपायों को अपनाकर आप इन प्रभावों को कम कर सकते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि, और संतुलन बना सकते हैं।

शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उपाय

अनुशासन का पालन करें

शनि ग्रह को कर्म और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। यदि आप अपनी दिनचर्या में नियमितता और संयम बनाए रखते हैं, तो शनि के कुप्रभावों को कम किया जा सकता है। अनुशासन का पालन करने से न केवल शनि के प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है और व्यक्ति की ऊर्जा को संतुलित करता है।

अहंकार को त्यागें

शनि ग्रह विनम्रता और संतुलन का प्रतीक होता है। यदि किसी व्यक्ति में घमंड या स्वयं को श्रेष्ठ समझने की भावना होती है, तो यह शनि के नकारात्मक प्रभाव को बढ़ा सकती है। अहंकार को छोड़कर विनम्रता को अपनाने से शनि की महादशा के प्रभाव में कमी आती है, जिससे जीवन में शांति और संतुलन आता है। शनि का उद्देश्य हमें आत्ममंथन और धैर्य की महत्ता सिखाना है, और अहंकार को त्याग कर विनम्र बने रहना इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।

‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें

यदि आपकी कुंडली में शनि की महादशा चल रही है, तो शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए ‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यह मंत्र शनि देव की कृपा प्राप्त करने और मानसिक शांति को बढ़ाने में मदद करता है।

शनिवार को शनि चालीसा का पाठ करें

हर शनिवार शनि चालीसा का पाठ करना और शनि देव की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से सरसों का तेल चढ़ाना और पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शनि के प्रभावों को शांत करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अत्यधिक प्रभावी उपाय होते हैं। यह पूजा न केवल शनि देव को प्रसन्न करती है, बल्कि जीवन की परेशानियों और बाधाओं को दूर करने में भी मदद करती है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...