Hari Har Yog 2023: 4 जुलाई से सावन शुरू हो गया है और सावन के बीच में अधिकमास आ रहा है जो 18 जुलाई से शुरू हो गया है। जिसे मलमास और विष्णु जी के प्रिय होने की वजह से इसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। असल में सावन में 19 साल बाद यह अधिकमास आया है जिसकी वजह से सावन 2 महीने का हो गया है, साथ ही इस महीने में शिव और विष्णु की पूजा करने से फल की प्राप्ति होगी।
19 साल बाद आए हरि-हर योग का महत्व
ज्योतिष एस्ट्रो अरुण पंडित जी ने बताया कि, इस साल सावन 58 दिन का है। जिसमें मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। मलमास के दोरान जहां कुछ कार्य करने से पुष्य की प्राप्ति होती है, वही कुछ कामों से परहेज़ बताया गया है। 4 जुलाई से शुरू हुआ सावन 31 अगस्त की सुबह तक रहने वाला है। जिसमें शिव की पूजा के साथ विष्णु की पूजा का भी मह्त्व है। क्योंकि मलमास, अधिकमास या पुरुषोत्तम मास में विष्णु जी की पूजा की जाती है। यह हर तीन साल में एक बार आता है और य़ह अच्छा संयोग है कि यह अबकी बार सावन में आया है।
ज्योतिष अरुण पंडित जी ने बताया कि भगवान विष्णु के परम प्रिय महीने का आरम्भ प्रथम अश्विनी शुक्लपक्ष 18 जुलाई से शुरू होकर द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक रहेगा। जिसमें सभी जन अपने परिवार या खुद पर विपत्ति, समस्याओं, उल्टी दशा चाल से मिलने वाले नुकसान से बचने के लिए भगवान विष्णु की आराधना करो। साथ ही पढ़ने वाले बच्चों को भी इस महीने में विष्णु भगवान की पूजा करने से अच्छा फल मिलता है। अधिक मास में शालीग्राम भगवान की पूजा से भी विशेष लाभ मिलता है। शालिग्राम के आगे इस अधिकमास में घी का दिया जलाएं । ऐसा करने से सोभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस महीने में श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का रोज़ पाठ करें । इससे कार्यक्षेत्र में आई सभी परेशानी दूर हो जाएगी।
अरुण पंडित जी ने बताया कि अधिकमास यानी मलमास में विवाह जैसे मंगल कार्य नहीं होते है। इसके अलावा नया काम शुरू नहीं हो सकता साथ ही मुंडन भी नहीं हो सकता। असल में सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच के गैप को मलमास बैलेन्स करता है।
हरि और हर का संबद्ध
देवों के देव भोलेनाथ सब देवो में सर्वश्रेष्ठ तो है, उनके ऊपर सृष्टि के संहार और रक्षा की जिम्मेदारी भी है उन्हें भोलेनाथ यूँही नहीं कहा जाता है इसके पीछे उनका अत्यंत भोला स्वाभाव छिपा है। एक बार की बात है एक चोर था, काफी समय से उसे चोरी का मौका नही मिला था तो उसकी आर्थिक हालत ख़राब हो गई थी।
ऐसे में जब उसके खाने के भी लाले पड़ने लगे तो वो परेशान हो उठा, उस दिन उसकी नजर एक शिव मंदिर पर पड़ी, जहां रात में उसने चोरी करने की योजना बनाई। जब वो देर रात में मंदिर में दाखिल हुआ तो वंहा चोरी के लिए कुछ भी ना पाकर चिंतित हो गया, उसने कई दिनों से कुछ नही खाया था तो उसके भूखे पेट ने भी हार मान ली थी।
जब उसे कुछ नही दिखा तो अंत में मंदिर में शिव के आत्मलिंग पर लटकता घंटा उसे दिखाई दिया, घंटा पीतल का था और उसे बेच के उसे कुछ रकम मिल सकती थी जिससे वो अपना पेट भर सकता था। चोर ने घंटा उतारना चाहा लेकिन नाटे होने के कारण वो उस घंटे तक पहुंच नहीं पाया, चूँकि घंटा आत्मलिंग के ठीक ऊपर था इसलिए वो उसे काफी कोशिश के बाद भी नहीं उतार पाया।
अंत में थक हार के उसने शिव के आगे हाथ जोड़े और शिवलिंग पर चढ़ गया और घंटा उतारने लगा, जब शिव ने देखा की एक आदमी उसके शिव लिंग पर चढ़ गया है तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हो सकती थी? कोई अन्य देव होता तो चोर को सबक सीखा देता, लेकिन भोलेनाथ ने सोचा की मुझ पर फूल- दूध प्रसाद तो सब चढ़ाते है लेकिन खुद को कोई समर्पित नहीं करता है, इस इंसान ने अपने आप को ही मुझपर न्यौछावर कर दिया है।
भोलेनाथ तुरंत प्रकट हुए, उन्हें देख चोर बुरी तरह घबरा गया, उसे लगा की उसकी चोरी किसी ने पकड़ ली है। लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ कि भगवन शिव प्रकट हुए है और उसे वरदान मांगने के लिए कह रहे है तो वो फूट- फूट कर रोने लगा। तब उसने शिव से अपनी भक्ति का वरदान माँगा, ऐसे भोले भले भक्तो और भोलेनाथ से ही दुनिया में आस्था जीवित है।
अधिकमास में करें ये कार्य
सत्यनारायण भगवान की पूजा
अधिकमास में फल की इच्छा पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है. इसलिए अधिकमास में वैसे तो सभी प्रकार के शुभ कार्यों की मनाही होती है। लेकिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना सबसे फलदायी माना गया है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप
अगर आपके घर मे ग्रह दोष है तो इसके लिए अधिकमास आपके लिए महत्वपूर्ण होगा। इसमें ग्रह दोष की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना सबसे अच्छा माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है।