पेरेंट्स का बोला हुआ झूठ बच्चों को बनाता है स्वभाव से जिद्दी
बच्चे हम बड़ों से ज्यादा संवेदनशील होते हैं। उनसे किये हुए वादे, बोला गया मीठा शब्द और झूठे वादे वो हमेशा याद रखते हैं और इन सब बातों से उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
Parenting Tips: अच्छा चलो अब रोना बंद करो, बेकार का तमाशा मत करो, पढ़ने में ये शब्द जितने खराब लगते हैं, सुनने में कहीं ज्यादा चुभते हैं। अब जरा सोचिये अगर कोई आपसे इस तरह के शब्द कहे तो आपको कैसा लगेगा, गुस्सा आना तो तय है ना। तो क्या गुस्सा सिर्फ हम बड़ों को ही आ सकता है। इस तरह के कटु शब्द हम ना जाने अपने बच्चों को कितनी ही बार कह देते हैं, और तो और हम बच्चों को ना जाने कितनी ही बार झूठ बोले देते हैं, ये सोचकर की ये तो बच्चें हैं क्या समझेंगे। और यही हमारी सबसे बड़ी भूल होती है, बच्चे हम बड़ों से ज्यादा संवेदनशील होते हैं। उनसे किये हुए वादे, बोला गया मीठा शब्द और झूठे वादे वो हमेशा याद रखते हैं और इन सब बातों से उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
आइये जानते हैं हमें बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।
वादा करना

बच्चों को किसी बात पर मनाने के लिए हम उनसे वादा कर बैठते हैं, और बच्चे मान भी जाते हैं। लेकिन जब उस वादे को निभाने का वक़्त आता है तो हम मुकर जाते हैं या बच्चों को झिड़क कर मना कर देते हैं। हमारे लिए बेशक ये बहुत ही छोटी सी बात है, पर बच्चे इस बात से दुखी हो जाते हैं, उनका माता पिता से भरोसा उठ जाता है। वो फिर से हम पर यकीन कर ही नहीं पाते हैं और स्वभाव से चिड़चिड़े होने लगते हैं।
टालते रहना

किसी भी काम को ज्यादा देर तक टालना किसी क लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। अब चाहे वो घर या ऑफिस का काम हो, किसी से मिलने जाना हो, कोई जरुरी काम हो या बच्चे से किया गया कोई भी वादा। ये दिखाता है की हम अपने काम और रिश्तों के प्रति कितने वफादार हैं। कोशिश करें बच्चों से किया गया वादा समय पर निभाएं और बार बार उस वादे को टालकर बच्चे के स्वभाव को चिचिड़ा और गुस्सैल ना बनाएं।
समय ना देना

आज बच्चों के पास हमारे लिएर ढेर सारा वक़्त है और वो इस वक़्त को हमारे साथ ज्यादा से ज्यादा बिताना चाहते हैं। लेकिन हम बड़े अपने कामों में इतने उलझे हुए रहते हैं की बच्चों को समय ही नहीं दे पाते हैं। समय देने का मतलब ये नहीं की उनके साथ महिनेमे एक बार कहीं बाहर चले गए या छुट्टियों में घूमने का प्लान बना लिया। यहाँ समय का मतलब है रोज़ बच्चों के साथ थोड़ा समय बिताना उनकी बातें सुनना और अपनी बातें भी उन्हें बताना। जब माता पिता बच्चे से समय न होने का बहाना बनाते हैं या इस तरह का कोई झूठ बोलते हैं तो बच्चे बहुत बुरा महसूस करते हैं।
झूठी कहानियाँ बनाना

बच्चे माता पिता के स्वभाव से पूरी तरह परिचित होते हैं यहाँ तक की वो ये भी समझते हैं की हमारे माता पिता क्या बात सच कह रहे हैं और क्या झूठ। इसलिए बच्चों के सामने अपनी बात खुल कर रखें, और इस तरह की उनके लिए समझना आसान हो जाए। बजाये झूठी कहानियां बनाने के बच्चों को साफ़ साफ़ बताएं की इस बार आप उनके लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं या उनकी मंगवाई हुई कोई चीज़ नहीं ला पाएं हैं पर आगे से आप इस बात का पूरा ख्याल रखेंगे।
