कई बार नवजात शिशु बिना किसी वजह के भी रोते हैं। कई बार शाम के समय यह रोना गंभीर रूप भी ले लेता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होकर संप्रेषण की कला में माहिर होगा, उसका रोना घटता जाएगा और आपके लिए उसे संभालना इतना मुश्किल नहीं रहेगा। फिलहाल आपको यह सीखना होगा कि किस तरह के रोने का क्या मतलब होगा
मैं भूखा हूं
धीरे-धीरे विनती के सुर में हल्के-हल्के रोने का मतलब है कि उसे भूख लगी है। वह होंठ चाटता है, अंगुली चूसता है और दयनीय भाव से देखता है।
मुझे दर्द हो रहा है
यह रोना अचानक व काफी तेज होता है, जोकि काफी लंबे समय के लिए हो सकता है। शिशु की सांस उखडऩे लगती हैं। फिर सांस पर काबू पाते ही वह दोबारा रोने लगता है।
मैं बोर हो रहा हूं
ऐसा बच्चा हल्की ऊहा-ऊह के बाद जोर से रो कर गुस्सा जाहिर करता है और पूछता है कि मेरी तरफ ध्यान क्यों नहीं दे रहे? उसे गोद में उठाते ही उसके आंसू थम जाते हैं।
मैं थक गया हूं या बेचैनी है
कई बार आस-पास के माहौल से चिढ़ा बच्चा रो कर गुस्सा दिखाता है, जैसे- बार-बार नैपी बदलने का गुस्सा, नैपी गीली होने का गुस्सा या ज्यादा देर तक छोटी कुर्सी में बैठने का गुस्सा।
मैं बीमार हूं
इस तरह की रुलाई में ज्यादा जोश नहीं होता, क्योंकि शिशु निढाल होता है। इसके साथ ही आप उसमें बीमारी के लक्षण व व्यवहार में बदलाव भी देख सकते हैं। बीमार बच्चे के रोने की आवाज ऐसी होती है कि मां-बाप का कलेजा मुंह को आ जाता है। वे इसे पहचानने में कभी भूल नहीं कर सकते।
